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बजट 2019: मोदी सरकार भरोसा दे, टैक्स वाले परेशान नहीं करेंगे

बड़ा क्रांतिकारी बजट नहीं होगा पर इनकम टैक्स छूट मिलेगी

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बजट से लोगों को खास उम्मीद नहीं है लेकिन वो एक्टिंग वित्तमंत्री पीयूष गोयल से भरोसा चाहते हैं कि परेशान करने वाले इनकम टैक्स नोटिस और हैरासमेंट से छुटकारा मिलेगा.

मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल के आखिरी बजट में सबको थोड़ा थोड़ा प्रसाद जरूर मिलेगा लेकिन जो लोग बहुत बड़े और क्रांतिकारी ऐलान की उम्मीद रखकर बैठे हैं उन्हें निराशा लग सकती है.

फिर भी मोदी सरकार मूड ठीक करने के लिए इनकम टैक्स की लिमिट का दायरा बढ़ा सकती है. लेकिन वित्तमंत्री को पूरा बजट के बजाय वोट ऑन अकाउंट ही पेश करना चाहिए.

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लेकिन मुझे लगता है कि सबसे बड़ा मुद्दा टैक्स हैरासमेंट का है और टैक्स अधिकारियों को हाथों परेशान लोगों की नाराजगी सरकार पर बहुत भारी पड़ सकती है. 

आपको क्या मिल सकता है?

1. लोगों को राहत देने और जेब में रकम देने के लिए इनकम टैक्स छूट में बढ़ोतरी मुमकिन

2. सैलरीड क्लास (नौकरीपेशा) लोगों को सरकार से सबसे बड़ी शिकायत थी कि इतने समर्थन के बावजूद उनके हिस्से में पिछले चार बजट में कोई बड़ी छूट नहीं आई. इसलिए चुनावी साल में मोदी सरकार नौकरीपेशा लोगों का मूड बेहतर करने के लिए कुछ पॉजिटिव संकेत दे सकती है. लेकिन कोई भी बड़ा फैसला तो मुख्य बजट जुलाई में आएगा जो नई सरकार लाएगी.

3. मोदी सरकार ने पिछले बजट में शेयर बाजार पर ही लॉन्गटर्म कैपिटल गेन टैक्स ठोक दिया था. अब उसके बाद से शेयर बाजार ज्यादातर वक्त दुर्दशा का ही शिकार रहा है. इस अंतरिम बजट में शेयर बाजार को उम्मीद देने के लिए अच्छी अच्छी बातों और भरोसे वाली बातें जरूर सरकार कहेगी.

4. कैपिटल मार्केट में सुधार के लिए सरकार कदम उठाने का भरोसा दिखाएगी. डिविडेंड पर टैक्स, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स हटाए जाने चाहिए क्योंकि इससे लोगों के निवेश को बढ़ाने के मौके नहीं मिलते.

कंपनियों को इस बजट में कुछ नहीं मिलेगा. यानी कॉरपोरेट टैक्स वगैरह की छूट नहीं मिलेगी क्योंकि चुनावी साल में कोई भी सरकार अपने ऊपर उद्योगपतियों की तरफ झुकाव रखने वाली तोहमत नहीं लेना चाहेगी.

टैक्स हैरासमेंट बड़ा मुद्दा

टैक्स अधिकारियों की तरफ होने वाला हैरासमेंट या उत्पीड़न जरूर बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. लोगों को अनाप-शनाप नोटिस पर नोटिस भेजे जा रहे हैं. यहां तक कि बहुत छोटी रकम के लिए नोटिस भेजकर लोगों को परेशान किया जा रहा है. टीडीएस के डिफॉल्ट के लिए बेकार में नोटिस भेजने का मतलब नहीं क्योंकि देरी से टीडीएस जमा करने पर सरकारी खजाने को नुकसान नहीं है उल्टा 18 परसेंट ब्याज के साथ लोगों को ये जमा करना पड़ता है.

मेरे हिसाब से सरकार को शांति से रहना चाहिए, इस तरह से नोटिस भेजने से बेकार में टैक्स पेयर्स में डर और परेशानी बढ़ती है.

स्टार्टअप और एंजेल इन्वेस्टर को मिले टैक्स नोटिस भी बड़ा मुद्दा बने हैं और ये बात सरकार के लिए अच्छी नहीं रही है.

(यह लेख टी पी ओस्तवाल के साथ बातचीत पर आधारित है. ओस्तवाल टैक्स से जुड़े मामलों के इंटरनेशनल एक्सपर्ट हैं.)

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