अगर आप घर खरीदने की तैयारी में हैं तो मौजूदा मोदी सरकार का अंतिम बजट आपके लिए बड़ा मौका हो सकता है. मुझे लगता है कि सरकार खासतौर पर अफोर्डेबल घरों को सस्ता करने के लिए बनाने के लिए कम से कम 5 बड़ी बातों का ऐलान कर सकती है. चुनाव के लिहाज से भी ये उनके लिए फायदेमंद हो सकता है.
कहने को तो ये अंतरिम बजट या वोट ऑन अकाउंट है, लेकिन इसमें सरकार के पास बड़े ऐलान करने से रोकने की कोई बंदिश नहीं है. रियल एस्टेट सेक्टर हर लिहाज से इकोनॉमी और सोसाइटी के लिए सबसे अहम सेक्टर है.
रियल एस्टेट सेक्टर क्यों अहम?
रियल एस्टेट सेक्टर सबसे ज्यादा रोजगार मुहैया कराता है. बैंकों के बिजनेस को बढ़ाता है और इकोनॉमी को रफ्तार देता है. इस सेक्टर का GDP में करीब 6% का योगदान है, इसलिए थोड़ी सी राहत बड़ा काम बना सकती है.
रियल एस्टेट सेक्टर के लिए पिछले कुछ साल बहुत उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं. खासतौर पर नोटबंदी के बाद से ज्यादातर जगह प्रॉपर्टी मार्केट ठंडे ही पड़े हैं. इसके अलावा जीएसटी की वजह से भी ये सेक्टर कंफ्यूजन का शिकार रहा है, जिससे ग्रोथ पर असर पड़ा था.
नोटबंदी के अलावा GST और RERA जैसे सुधार वाले बदलावों से लंबी अवधि में फायदा होगा लेकिन फिलहाल पिछले तीन सालों से इंडस्ट्री को इनसे नुकसान हुआ है. हांलाकि रेरा जैसे कानून आने के बाद कंज्यूमर का भरोसा बढ़ा है और इसी वजह से धोखेबाजी करने वाले बिल्डर्स और डेवलपर्स इससे दूर हुए हैं.
मोदी सरकार क्या क्या कर सकती है?
रियल एस्टेट इंडस्ट्री की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली के सामने मांगों की लंबी चौड़ी लिस्ट है. उम्मीद की जा रही है इसमें से कुछ पर इसी बजट में ऐलान हो सकता है.
रियल एस्टेट इंडस्ट्री की मांग
- अफोर्डेबल हाउसिंग को प्रायोरिटी लैंडिंग का दर्जा मिले. यानी आसान और सस्ता कर्ज मिले. ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि इसमें कम मार्जिन होता है और ये “सभी के लिए घर” के मिशन की सरकारी योजना के तहत हो रहा है. इससे घरों की फाइनेंसिंग आसान हो जाएगी और रुके और ज्यादा नए प्रोजेक्ट आएंगे.
- टैक्स छूट में कार्पेट एरिया के दायरे को बढ़ाया जा सकता है. अभी मेट्रो शहरों में 30 स्क्वेयर मीटर और नॉन मेट्रो शहरों में 60 स्क्वेयर मीटर तक की छूट मिलती है. रियल एस्टेट इंडस्ट्री चाहती है कि इस लिमिट को बढ़ाया जाए घरों के दामों में कमी आए.
- इनकम टैक्स के सेक्शन 24 में हाउसिंग लोन पर जो छूट की सीमा है वो अभी 2 लाख है उसे बढ़ाकर कम से कम 3 लाख किया जाना चाहिए.
- प्रॉपर्टी के ट्रांसफर में खरीदार पर TDS हटे या कम से कम मौजूदा 50 लाख की लिमिट को बढ़ाया जाए.
- कंस्ट्र्क्शन प्रॉपर्टी पर GST लिमिट 12% से घटाकर 5% की जा सकती है.
- इसी तरह लागत कम करने के लिए सीमेंट पर GST की लिमिट 28% से घटाकर 18% की हो सकती है क्योंकि इससे सरकार को ज्यादा नुकसान भी नहीं होगा.
(वेंकट राव- बिजनेस एडवाइडरी फर्म INTYGRAT के फाउंडर हैं)
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