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UP बजट 2020: AAP जरा BJP बनी, योगी भी थोड़े केजरीवाल हो गए

यूपी सरकार के कल्याणकारी कदमों के केन्द्र में चुनावी लाभ

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दिल्ली के चुनावों में बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ वोटों का ध्रुवीकरण में मदद के लिए अपनी हिंदुत्व की राजनीतिक के बड़े सितारे योगी आदित्यनाथ को उतारा था. अब सभी ये जानते हैं कि केजरीवाल ने मोदी-योगी की शैली की केवल हल्की सी नकल की और एक नरम-हिंदू बन गए. अधिकांश चुनावी पंडित सहमत हैं कि इसने आप की झाड़ू को दिल्ली में क्लीन-स्वीप लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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अब केजरीवाल की जीत के सूत्र से थोड़ा उधार लेने की बारी यूपी के मुख्यमंत्री की है. जिस तरह आप सरकार ने पिछले छह महीनों में ’मुफ्त’ जन सुविधाओं की योजनाएं चलाई थीं, उसी तरह मंगलवार को घोषित योगी सरकार के ताजा बजट में कई सब्सिडी योजनाएं शामिल हैं. योगी को हिंदुत्व से सहायता की कोई खास जरूरत नहीं है, लेकिन वे राज्य के लोगों विशेषकर युवाओं का थोड़ा समर्थन हासिल करने के लिए मुफ्त सुविधाएं देना पसंद करेंगे.

बेरोजगार युवाओं के लिए आवंटन

वास्तव में बजट की बड़ी घोषणा यूपी के बेरोजगार युवाओं को ध्यान में रख कर का गई है. योगी-सरकार ने यूपी के भयानक बेरोजगारी संकट को दूर करने में मदद करने के लिए दो नई योजनाएं- मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना और युवा उद्यमिता विकास योजना शुरू की है. पहली योजना में युवा छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ हर महीने 2,500 रुपए मिलेंगे. उसके बाद राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि उन्हें नियमित नौकरियां मिल जाएं.

यह योजना काफी हद तक केंद्र द्वारा वित्त पोषित होने वाली है, जिससे 80,000 से ज्यादा नौजवानों को नकद सहायता दी जाएगी.

दूसरी योजना जिसका आकर्षक संक्षिप्त नाम युवा (YUVA) है, नौजवान उद्यमियों के लिए एक तरह का स्टार्ट-अप फंड है. राज्य के सभी 75 जिलों में युवा हब स्थापित किए जाएंगे. स्व-रोजगार को बढ़ावा देने वाली सभी सरकारी योजनाओं को यूपी सरकार युवा के छाते भीतर ले आएगी. इसके लिए कुल 1,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. योगी सरकार का दावा है कि इससे एक लाख से अधिक युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद मिलेगी.

राज्य में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या दो साल से भी कम समय में 58% बढ़कर लगभग 34 लाख होने को यूपी के श्रम मंत्री द्वारा विधानसभा में स्वीकार किए जाने के कुछ ही दिनों बाद ही बजट की ये घोषणाएं की गईं हैं. सीएमआईई (CMIE) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल यूपी में नौकरी चाहने वाले लगभग 10% लोग बेरोजगार थे. यह 2018 के बाद से बहुत बड़ी वृद्धि है, जब बेरोजगारी दर 6% से कम थी. योगी आदित्यनाथ जानते हैं कि बेरोजगारी की यह बड़ी दर उनके वोट-आधार में युवा की आबादी के आकार बराबर कमी कर सकती है. वो भी ऐसे वक्त ,जबकि यूपी में दो साल से भी कम समय में अगले विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

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योगी-राज में सबके लिए पैसा

केवल युवा ही अकेले नहीं हैं, जिन्हें मुफ्त सुविधाओं की जरूरत है. योगी-बजट में सबके लिए पैसा है. लड़कियों को उनकी आयु के विभिन्न चरणों में नकद मदद देने वाली पुरानी कन्या सुमंगला योजना को इस वर्ष भी 1200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. किसान दुर्घटना बीमा योजना को नया रूप दिया गया है और अब उसमें बटाईदार किसानों को भी शामिल कर लिया गया है.

स्वच्छ भारत पर लगभग 5,800 करोड़ रुपये खर्च होने जा रहे हैं और गरीबों लोगों के बीच पोषण को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय पोषण अभियान पर 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. योगी सरकार का लक्ष्य प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य के गांवों में 5 लाख नए घर बनाने का भी है.

इस साल मनरेगा एक प्रमुख क्षेत्र है, जिसमें बड़ा आवंटन हुआ है. यूपी सरकार का कहना है कि उसने पिछले साल 20 नवंबर तक 14 करोड़ 59 लाख मानव कार्य दिवस के रोजगार दिए हैं. इस हिसाब से राज्य में 2019-20 में मनरेगा के तहत 20 करोड़ मानव-दिनों का रोजगार उपलब्ध होगा. सरकार का लक्ष्य 2020-21 में मनरेगा के आवंटन में 35 करोड़ रुपये तक की वृद्धि करना है. अगर ऐसा होता है तो यह ग्रामीण रोजगार और ग्रामीण मजदूरी को बढ़ाने के लिए एक बड़ा प्रयास होगा.

बीजेपी जैसी रूढ़िवादी सत्तारूढ़ पार्टी इन सब्सिडी योजनाओं को सीधे-सीधे एक साधन के रूप में उपयोग करेगी, ये सामान्य बात नहीं है. इनमें से कुछ को तो उन सामाजिक-समूहों के लिए लागू होने की संभावना है जो अपने कमजोर मतदाता-आधार के कारण हाशिये पर हैं.

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यूपी सरकार के कल्याणकारी कदमों के केन्द्र में चुनावी लाभ

बजट भाषण जब पिछली योजनाओं के लाभार्थियों को सामने लाता है तो हमें इस बात की एक झलक मिलती है. ये बताता है कि पिछले साल पीएमएवाई के तहत 7,000 मुसहर परिवारों को घर मिले. ये हमें यह भी बताता है कि वनटांगिया, मुसहर, कोल और थारू समुदाय के 38 गांवों को पहली बार 'राजस्व गांव' के रूप में मान्यता दी गई, जिसके बाद उन्हें राशन-कार्ड और सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य और शिक्षा योजनाओं तक पहुंच हासिल हुई. राज्य द्वारा गरीबों के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री आवास योजना में इन्हीं समुदायों को प्राथमिकता दी जा रही है.

निश्चिय ही अपने जन- कल्याणवाद के साथ योगी सरकार ने हिंदू धर्म को बढ़ावा देने की अपनी परियोजना के लिए भी धन आवंटित किया है. पर्यटन के विकास के लिए अयोध्या को 85 करोड़ रुपये मिले हैं और अयोध्या में एक और हवाई अड्डे के लिए 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

वाराणसी में एक नए सांस्कृतिक केंद्र के लिए 180 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तार और सौंदर्यीकरण के लिए 200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.

ये दिलचस्प बात है कि मुख्यधारा की वही मीडिया जिसने दिल्ली सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के लिए केजरीवाल की खिंचाई की, उसने योगी की कोई आलोचना नहीं की है. शायद ही कोई व्यक्ति यूपी सरकार के बजट में विभिन्न 'लोकलुभावन' योजनाओं के बारे में बात कर रहा है. समाचार की कुछ दुकानों ने योगी सरकार की इस बात का भी जोरदार प्रचार किया है कि यह राज्य का अब तक का सबसे बड़ा बजट है. वे यह भूल जाते हैं कि हर राज्य में हर वार्षिक बजट, हमेशा ही उसका सबसे बड़ा बजट होता है.

(ऑनिंद्यो चक्रवर्ती NDTV के हिंदी और बिजनेस न्यूज चैनल के सीनियर मैनेजिंग एडिटर थे. उन्हें @AunindyoC पर ट्वीट किया जा सकता है. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके निजी हैं. इसमें क्विंट की सहमति जरूरी नहीं है.)

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