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भारत में अगर रहना है तो ‘कोहली...कोहली’ कहना है?

स्मिथ, जो रूट या कोई और विदेशी खिलाड़ी पसंद है तो देश से बाहर निकल लो

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“भारत में अगर रहना है तो कोहली...कोहली कहना है.” स्मिथ, जो रूट या किसी भी विदेशी खिलाड़ी का नाम लिया तो बेटा निकल लो बाहर. ये मैं नहीं बल्कि हमारे कप्तान साहब विराट कोहली जी बोल रहे हैं. यकीन नहीं हो रहा? लो सबूत देख लो....

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जी हां, कप्तान साहब को लगता है कि हर भारतीय को भारतीय खिलाड़ियों का ही फैन होना चाहिए वरना अपनी फ्लाइट बुक करें और देश से निकल लें. मतलब, अगर आपको ब्रायन लारा पसंद हैं तो वेस्टइंडीज का टिकट कटाइए और पॉन्टिंग पसंद है तो ऑस्ट्रेलिया के लिए उड़ जाओ.

हद कर दी विराट कोहली आपने!

वैसे तो आप अपने स्पोर्ट के शहंशाह हैं, गेम को लेकर आपकी मैच्योरिटी अद्भुत है लेकिन बात स्पोर्ट्समैनशिप की करें तो कोहली बिल्कुल इमैच्योर हैं. भला कोई स्पोर्ट्सपर्सन खुद कैसे कह सकता है कि मुझे पसंद करो, उसे नहीं. ये तो सबकी अपनी-अपनी पसंद की बात है, आप कौन होते हो बताने वाले कि सचिन तेंदुलकर की बैटिंग देखो, ब्रायन लारा की नहीं.

ये कुछ-कुछ राजनेताओं के “पाकिस्तान चले जाओ” वाले बयान जैसा ही है. लेकिन नेताओं को तो अपनी रोटी सेकनी है, सत्ता के मजे लेने हैं..देश...देश बोलकर वोट पाने हैं. आपको कौन सा चुनाव जीतना है विराट भाई?

और अगर देशभक्ति का पैमाना सिर्फ देश की हर चीज को प्यार करना और यहीं हर काम करना है तो विराट भाई आप भी तो इटली गए थे शादी के लिए. हम पूछें कि भारत में कैटरर, शामियाने वाले होटलों की कमी है क्या?

और सुनिए दिनभर इंटरनेशनल कपड़ों, जूतों और घड़ियों को सोशल मीडिया पर बेचते हैं, पानी भी विदेश से मंगा कर पीते हैं, फुटबॉल वर्ल्ड कप में जर्मनी को सपोर्ट करते हैं. फीफा वर्ल्ड कप में तो भारत खेलता भी नहीं है, बहिष्कार क्यों नहीं किया आपने? और हां आपको याद है कि नहीं, 2008 में जब कोहली जी आप अंडर-19 वर्ल्डकप खेल रहे थे तो खुद आपने ही कहा था कि “MY FAVORITE BATSMAN IS Herschelle Gibbs ”. गिब्स इंडिया के लिए नहीं साउथ अफ्रीका के लिए खेलते थे.

विराट कोहली का ये बयान अति राष्ट्रवाद टाइप का हो गया जिसमें कहा जाता है कि आपको भारत की हर एक चीज से प्यार होना चाहिए वरना आप यहां नहीं रह सकते. इसमें कोई शक नहीं कि कोहली आप बहुत बड़े बल्लेबाज हैं लेकिन फैंस की ऐसी अग्निपरीक्षा मत लीजिए कि या तो हिंदुस्तानी बल्लेबाज को पसंद करो या किसी को नहीं. ऐसा करके आप हार्डकोर फैंस को दूर करेंगे. जिस स्पोर्ट्समैनशिप शब्द को आप अपनी हर दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोहराते हैं उसका शायद असली मतलब कप्तान साहब आप जानते ही नहीं.

आपके कहे पर जाएं तो उसेन बोल्ट, रोजर फेडरर, सेरेना विलियम्स और मेसी जैसे खिलाड़ियों का फैन कोई भारतीय हो ही नहीं सकता. लेकिन कप्तान साहब.... खिलाड़ी सबका होता है. जैसे एडिलेड में आपके शतक पर पूरा ग्राउंड ताली बजा रहा था ना ठीक वैसे ही कोटला में बैठकर भी कोई फैन स्टीव स्मिथ के लिए चीयर करे तो बुरा मत मानिए. कल को आप किसी विदेशी दौरे पर जाओ और ऑटोग्राफ मांगने कोई अंग्रेज बच्चा सामने आ गया तो क्या ये कहेंगे कि मुझ संग फोटो मत खिंचाओ, मैं तुम्हारे देश का नहीं.

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