ADVERTISEMENTREMOVE AD

वर्चुअल वर्ल्ड में भी औरतें सिर्फ हेल्पर हैं,कमांड आदमी के ही हाथ

दिलचस्प है कि औरतें जिन भी क्षेत्रों में पुरुषों से ज्यादा संख्या में हैं, वो सभी असिस्टेंस देने वाली इंडस्ट्रीज हैं

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

माइक्रोसॉफ्ट की कोर्टाना, अमेजन की एलेक्सा, गूगल की गूगल असिस्टेंट और एप्पल की सिरी... इन सब में एक बात समान है. ये सभी वर्चुअल असिस्टेंट्स हैं और इनका जेंडर फीमेल महसूस होता है. यह दिलचस्प है कि औरतें जिन भी क्षेत्रों में पुरुषों से ज्यादा संख्या में हैं, वे सभी असिस्टेंस देने वाली इंडस्ट्रीज हैं.

घरों में काम करने वाली बाइयां, अस्पतालों में नर्सें, स्कूलों में छोटे बच्चों की टीचर, दफ्तरों में सेक्रेटरी और रिसेप्शनिस्ट, दुकान में सेल्स गर्ल्स. अब वर्चुअल असिस्टेंट्स का जेंडर भी तय हो गया है. यूनेस्को का एक अध्ययन कहता है कि इन वर्चुअल असिस्टेंट्स के लिए महिला आवाज का इस्तेमाल करने से इस बात को बल मिलता है कि औरतों का काम महज आदमियों की मदद करना है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

टेक कंपनियों में है पुरुष इंजीनियरों का बोलबाला

पिछले साल खबर आई थी कि बेंगलुरु के सेसना बिजनेस पार्क स्थित स्मार्टवर्क्स के दफ्तर में फीमेल रोबोट मित्री को लॉन्च किया गया था. यह कंपनी की रिसेप्शनिस्ट है. साफ-सफाई, हाउसकीपिंग का काम करती है. गुलाबी फ्रॉक पहनने, फीमेल बॉडी टाइप वाली. इसे बालाजी विश्वनाथन ने बनाया है.

विश्वनाथन ने मित्र भी बनाए हैं. ये मेल रोबोट हैं. ये चौड़े कंधे और वजनदार आवाज वाले हैं. एक डीलर की दुकान में कारें बेचते हैं. ज्यादातर युक्त काम आदमियों के जिम्मे होते हैं- सो, मित्र यहां तैनात है.

हेल्पर के लिए औरत की जरूरत है, सो मित्री मदद के लिए हाजिर है. स्टीरियोटाइप्स हमेशा कायम रहते हैं, यही वजह है कि सारे वर्चुअल असिस्टेंट फीमेल जेंडर को रिफ्लेक्ट करते हैं.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के तयशुदा जेंडर का कारण और कुछ नहीं- सिर्फ यह है कि ज्यादातर टेक कंपनियों में इंजीनियरिंग टीम्स के प्रमुख आदमी हैं, जो पुरुष ग्राहकों को सोचकर ही सारे प्रोडक्ट तैयार करते हैं. स्टार ट्रेक के जमाने को याद करते हुए समझा जा सकता है कि कैसे सिल्की आवाज वाले कंप्यूटर कैप्टन कर्क की मदद को हाजिर रहते थे. पुरुष ही पुरुषों के लिए प्रोडक्ट बनाते हैं, इसीलिए रोबोट जैसे जेंडर न्यूट्रल आविष्कार को खांचों में बांट दिया गया है.

नॉर्वे की साइंस और टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में इंटरडिस्लिपनरी स्टडीज ऑफ कल्चर पढ़ाने वाले प्रोफेसर रॉजर आंद्रे सोरा का एक पेपर है- मकैनिकल जेंडर्स: हाऊ डू ह्यूमन्स जेंडर रोबोट्स. पेपर में रॉजर का कहना है कि रोबोट्स के डिजाइनर्स और यूजर्स तय करते हैं कि उनका जेंडर क्या होगा. ये दोनों समूह अपने पूर्वाग्रह के आधार पर काम करते हैं और नतीजा सामने आ जाता है.

औरतें सिर्फ हेल्पर

नतीजा यही है कि टर्मिनेटर, स्टार वॉर्स, रोबो कॉप, एवेंजर्स में साहसिक कार्य करने वाले पात्र पुरुषों के तौर पर कोडेड होते हैं. औरतें वहां सिर्फ प्रेमिका या पीड़िता या मददगार होती हैं.

2013 की अमेरिकी साइ फाई फिल्म ‘हर’ में समान्था नाम की वर्चुअल असिस्टेंट नायक थ्योडोर की प्रेमिका है, 2014 की एक्स मशीन में वर्चुअल असिस्टेंट ईवा एक पीड़िता है और 2018 की बॉलीवुड फिल्म 2.0 में नीला नाम की ह्यूमनोइड रोबोट हीरो वसीकरण की हेल्पर और केयरटेकर.

ये सब मधुर आवाज में अपना काम करती हैं. अगर कोई अश्लील भाषा में सिरी को संबोधित करता है तो वह जवाब देती हैं- आईवुड ब्लश, इफ आई कुड (अगर मैं शरमा सकती तो ऐसा ही करती). एलेक्सा कहती है- थैंक्स फॉर योर फीडबैक (आपके फीडबैक के लिए धन्यवाद).

महिलाओं की धीमी, मधुर आवाज ही सबको भाती है. अगर वह ऑर्डर देने लगे तो सब उससे कतराते हैं. 2015 में टेस्को ने ब्रिटेन के कई शहरों में अपने रीटेल स्टोर्स के सेल्फ-सर्विस चेकआउट्स से फीमेल वॉयस को हटाकर मेल वॉयस का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. इसकी वजह यह थी कि ग्राहकों को औरत की ‘बॉसी’ किस्म की आवाज से शिकायत थी.

महिलाओं के बॉसी होने से सबको चिढ़ होती है. आदमी धौंस देने के लिए चिल्लाएं- डपटें, तो लोग ज्यादा परेशान नहीं होते.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जेंडर न्यूट्रल असिस्टेंट क्या बुरा है?

यूनेस्को को इस तरह के रवैये से ऐतराज है. उसका कहना है कि डिजिटल असिस्टेंट्स के तौर पर महिला जेंडर का इस्तेमाल करने से लैंगिक भेद को मजबूती मिलती है. लोगों को लगता है कि सिर्फ एक बटन दबाने से औरतें, किसी को खुश करने के लिए तैयार हो जाती हैं. दरअसल सहायक की अपनी कोई एजेंसी नहीं होती. वह सिर्फ कमांडर की सुनता है.

इसलिए ज्यादातर समुदायों में इस बात को बल मिलता है कि महिलाएं पुरुषों के अधीन होती हैं और खराब व्यवहार को भी बर्दाश्त कर सकती हैं. यूनेस्को ने अपील की है कि डिजिटल असिस्टेंट्स को बाय डिफॉल्ट महिला न बनाया जाए और एक जेंडर न्यूट्रल मशीन पर काम किया जाए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोई भी काम लिंग विशेष क्यों हो?

सालों से भविष्य में ऐसी दुनिया की कल्पना की जा रही है, जब तकनीक हमारी जिंदगी को आसान बनाएगी, लेकिन उस दुनिया में भी औरतों की भूमिका तय होगी. पुरुष अधिपति होंगे, और महिलाएं एप्रेन पहने, उनके काम करती रहेंगी. हेना बारबरा के मशहूर एनिमेशन जेटसन्स की तरह जिसमें ऑर्बिट सिटी में रहने के बावजूद जेटसन परिवार की हाउस हेल्प रोजी एक महिला रोबोट ही है. बेशक, महिलाओं के लिए तकनीकी आदर्श लोक तो वही होगा, जब वर्चुअल सहायता का काम लिंग विशेष से जुड़ा नहीं होगा. यूं कोई भी काम लिंग विशेष तक सीमित क्यों हो?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×