2014 लोकसभा चुनाव में ‘बीजेपी के मिशन 272’ के सूत्रधारों में से एक राजेश जैन ने एक हालिया लेख में दावा किया है कि अगला लोकसभा चुनाव समय से पहले हो सकता है. उन्होंने तो यहां तक कहा है कि चुनाव इस साल मई में भी हो सकता है. यह लेख 23 जनवरी को ‘द क्विंट’ पर पब्लिश हुआ था. इसमें जैन ने लोकसभा चुनाव समय से पहले कराए जाने की 6 वजहें बताई थीं.
क्या कहते हैं आंकड़े
पहली वजह यह बताई गई है कि 2014 के बाद से बीजेपी का चुनावी ग्राफ नीचे आ रहा है. इसमें कहा गया है कि इस गिरावट को रोकने के लिए बीजेपी के पास सबसे बड़ा हथियार समय से पहले लोकसभा चुनाव कराना हो सकता है. क्या जैन की यह थ्योरी सही है? इस बारे में आंकड़े क्या कहते हैं.
2014 लोकसभा चुनाव के बाद से 15 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं. इन राज्यों में हुई वोटिंग के आधार पर बीजेपी के संभावित प्रदर्शन का अंदाजा लगाया जा सकता है. यह तरीका चुनावी सर्वेक्षणों से अलग है, जिसमें वोटरों से सर्वे करने वाले के सवालों का जवाब देने की उम्मीद की जाती है.
इस तरह के चुनावी सर्वेक्षणों में कई कमियां होती हैं, जिनसे हम सब वाकिफ हैं. 2014 लोकसभा चुनाव के बाद राज्यों में हुई वोटिंग के आधार पर वोटरों के बीच बीजेपी की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
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2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 543 में से 282 सीटें मिली थीं. इसके बाद से देश के 29 राज्यों में से 15 में चुनाव हुए हैं. हर लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा सीटें तय होती हैं. इसलिए इन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर लोकसभा चुनाव में मिलने वाली सीटों का अंदाजा लगाया जा सकता है.
बीजेपी का ग्राफ गिर रहा है!
बीजेपी ने इन 15 राज्यों में 2014 आम चुनाव में 191 सीटें हासिल की थीं. इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों के आधार पर उसे इन राज्यों में 146 लोकसभा सीटें मिलतीं. इसका मतलब यह है कि पार्टी को 2014 चुनाव की तुलना में 45 लोकसभा सीटों का नुकसान होता. अगर राज्यों में हुए चुनाव को आधार बनाया जाए तो इससे स्पष्ट हो जाता है कि बीजेपी का ग्राफ गिर रहा है.
पार्टी को इन चुनाव में मिले वोट पर्सेंटेज से भी इसकी पुष्टि होती है. 2014 में बीजेपी ने इन 15 राज्यों में 1171 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन उसके बाद हुए राज्यों के चुनावी नतीजे देखें जाएं तो उसे सिर्फ 854 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली.
इसका मतलब यह है कि 2014 की तुलना में बीजेपी ने करीब एक तिहाई सीटें गंवा दी हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इन 15 राज्यों में 39 पर्सेंट वोट मिले थे, जो अब 29 पर्सेंट रह गए हैं.
चार बड़े राज्यों में इस साल चुनाव
इस साल भी चार बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी को 2014 लोकसभा चुनाव में 79 सीटें मिली थीं.
अगर बीजेपी के प्रदर्शन में गिरावट जारी रहती है तो उसे इन राज्यों में और 20 लोकसभा सीटों का नुकसान हो सकता है. पहले हुए 15 राज्यों और इन चार राज्यों में चुनाव के बाद बीजेपी की सीटों का आंकड़ा घटकर 217 रह सकता है.
इस एनालिसिस के विरोध में यह तर्क दिया जा सकता है कि राज्यों और आम चुनाव में लोग अलग ढंग से वोट करते हैं. हालांकि, इस तर्क का कोई बुनियाद नहीं है. सच तो यह है कि अगर राज्य और केंद्र में चुनाव साथ-साथ होते हैं तो 77 पर्सेंट लोग दोनों के लिए एक ही पार्टी को वोट करते हैं. यह बात एक रिसर्च से साबित हो चुकी है.
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(लेखक मुंबई के आईडीएफसी इंस्टीट्यूट में पॉलिटिकल इकोनॉमी के सीनियर फेलो हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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