ADVERTISEMENTREMOVE AD

रेलवे हर इस्तेमाल के बाद कंबल क्यों नहीं धुलवाती है? 

रेलवे एसी कोच का तापमान 19 डिग्री के बजाय 24 डिग्री करने का मन बना रही है, ताकि कंबल की जरूरत ही न पड़े.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

दाग अच्छे है... एक डिटरजेंट पाउडर के विज्ञापन की इस लाइन का कपड़े धोने वालों पर कितना असर पड़ा ये तो नहीं मालूम मगर ऐसा लगता है कि इस लाइन से भारतीय रेल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. शायद इसलिए ट्रेनों में मिलने वाले रेलवे के कंबल में दाग रह ही जाते है. लेकिन यहां हकीकत ये है कि कंबल वाले दाग किसी को अच्छे नहीं लगते.

डिटरजेंट कंपनी का विज्ञापन दाग के बहाने रिश्ते जोड़ने और खुशियां बांटने की बात करता है. शायद इसीलिए रेलवे ने सोचा कि कंबल में दाग उसके यात्रियों को भी अच्छे लगेंगे और उसने विज्ञापन की लाइन को शब्दश: अपना लिया. इसीलिए सरकारी संस्था सीएजी यानी नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक ने दो हफ्ते पहले संसद में पेश की गई रिपोर्ट में रेलवे को कंबल की धुलाई समय पर नहीं करने के लिए जमकर लताड़ लगाई है. अब इसके बाद खबरें आ रही हैं कि रेलवे एसी कोच का तापमान 19 डिग्री के बजाय 24 डिग्री करने का मन बना रही है, ताकि यात्रियों को कंबल की जरूरत ही न पड़े. यानी कि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी.

हालांकि इस मुद्दे पर रेल मंत्रालय की तरफ से आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है और अभी भी ये सब अकटलें ही हैं. लेकिन किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले आइए आपको समझाते है - क्यों नहीं रेलवे हर इस्तेमाल के बाद कंबल धुलवा सकती है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रेलवे एसी कोच में कंबल के लिए कोई अतिरिक्त किराया यात्री से वसूल नहीं करती है. एसी के नाम पर जनता से वसूले जाने वाले किराए में ही कंबल का चार्ज जुड़ा होता है. लेकिन रेलवे गरीब रथ या फिर स्लीपर के यात्रियों को यह सुविधा 20 रुपए के शुल्क पर मुहैया कराती है. इस लिहाज से मान लीजिए की एसी चार्ज का 20 रुपए आप कंबल के लिए देते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं रेलवे कंबल की धुलाई पर हर बार 55 रुपए खर्च करती है और रोजाना रेलवे 4 लाख कंबल अपने अलग-अलग ट्रेनों में यात्रियों को मुहैया कराती है. यानी हर दिन ट्रेन यात्रा में इस्तेमाल होने वाले कंबल को रेलवे धुलवाने का फैसला ले ले तो तकरीबन 2 करोड़ रुपए हर दिन का खर्च आएगा. और महीने का खर्च जोड़ा जाए तो कंबल धुलाई पर ही रेलवे के खर्च होंगे तकरीबन 60 करोड़ रुपए. साफ है हमारी हर यात्रा पर सब्सिडी देने का दावा करने वाली रेलवे, कंबल के हर इस्तेमाल के बाद धुलाई पर और ज्यादा घाटे में चली जाएगी.

इसलिए भारतीय रेलवे के पैसेंजर सेवा नियम के मुताबिक हर जोन में रेलवे प्रशासन को दो महीने में एक बार कंबल धुलवाने का प्रावधान किया गया है.

लेकिन ऐसा नहीं है कि रेलवे को यात्रियों को गंदे कंबल मुहैया कराए जाने का पता नहीं है. रेलवे ने साफ-सफाई पसंद लोगों के लिए अलग से व्यवस्था की थी.

  • पिछले साल फरवरी के महीने में दिल्ली और मुंबई के स्टेशनों पर ई बेड रोल सेवा की शुरुआत की गई. जिन यात्रियों को गंदे बेड रोल से शिकायत थी, उनके लिए 110 रुपए में स्टेशन पर चिन्हित स्टॉल पर आईआरसीटीसी ने बेड रोल बेचने की व्यवस्था की.
  • इसके आलावा आईआरसीटीसी ने कन्फर्म ई-टिकट के साथ यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए भी पैसा दे कर ई बेड रोल बुक कराने की सुविधा शुरु की. लेकिन इस साल मार्च तक के आकड़ों के मुताबिक आईआरसीटीसी की इस सेवा का इस्तेमाल केवल 4219 लोगों ने ही किया.

जाहिर है आंकड़े इतने हौसला बढ़ाने वाले नहीं कि आईआरसीटीसी दूसरे स्टेशनों पर इसकी शुरुआत कर सके. अब तो जहां है, उन स्टेशनों पर भी इसे बंद करने की योजना है. साफ है लोगों को साफ सफाई चाहिए पर उसके लिए वो खर्च करने को तैयार नहीं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इसलिए रेलवे में एसी कोच में तापमान 19 डिग्री के बजाए 24 डिग्री रखने पर विचार चल रहा है, लेकिन रेलवे के सूत्रों की माने तो इसमें ज्यादा दम नहीं क्योंकि ठंड का अहसास हर किसी को एक जैसा नहीं होता. किसी को 19 डिग्री में भी गर्मी लग सकती है और किसी को 24 डिग्री तापमान में भी ठंड लग सकती है.

रेलवे ने अब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी से भी मदद मांगी है, ताकि वो ऐसे हल्के कंबल का डिजाईन बना कर रेलवे को मुहैया कराए, जिसे हर इस्तेमाल के बाद धोया भी जा सके और खर्च कम आए.

ये भी पढ़ें-

रेलवे कैटरिंग सर्विस का इतना बुरा हाल क्‍यों है?

(लेखिका सरोज सिंह @ImSarojSingh स्वतंत्र पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं. द क्विंट का उनके विचारों से सहमत होना जरूरी नहीं है.)

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(हमें अपने मन की बातें बताना तो खूब पसंद है. लेकिन हम अपनी मातृभाषा में ऐसा कितनी बार करते हैं? क्विंट स्वतंत्रता दिवस पर आपको दे रहा है मौका, खुल के बोल... 'BOL' के जरिए आप अपनी भाषा में गा सकते हैं, लिख सकते हैं, कविता सुना सकते हैं. आपको जो भी पसंद हो, हमें bol@thequint.com भेजें या 9910181818 पर WhatsApp करें.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×