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फिल्मी पर्दे पर Kiss पर तालियां, लेकिन मेट्रो में गालियां क्यों?

  ये इश्क नहीं आसां, इस देश में कुछ ज्यादा ही मुश्किल  

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ये इश्क नहीं आसां इतना ही समझ लीजिए... आग का इक दरिया है और डूब के जाना है...  
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और जब बात इस देश की हो तो ये आग का दरिया और दहकने लगता है. कुछ दिन पहले की ही बात है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप आई, जिसमें समाज के ठेकेदारों ने चिल्ला-चिल्लाकर दावा किया कि कपल दिल्ली मेट्रो में 'कोजी' हो रहा है, Kiss कर रहा है. ये वीडियो शेयर कर-करके लोगों ने इस कपल को अश्लील बता दिया, बेशर्म बता दिया. मेट्रो में उनके कुछ सेकेंड के सफर को एक MMS स्कैंडल बना दिया.

जो समाज बंद कमरे में Kiss की इजाजत नहीं देता, वो भला भरी भीड़ के सामने मेट्रो में Kiss करने वाले कपल को कैसे बख्श सकता था. इंटरनेट पर खाली बैठे, समाज के ठेकेदार शुरू हो गए. 'चुम्मा-चाटी' से लेकर 'अश्लील' जैसे शब्द दोनों के लिए इस्तेमाल किए गए. कुछ ने मुंह ढकने की भी नसीहत दी, कहा कि कल को ये लड़की रेप का आरोप न लगा दे. कइयों ने कहा कि ये 'एंटी-नेशनल' वाले जेएनयू से हैं (क्योंकि वहां तो जैसे चौबीसों घंटे लोग यही करते रहते हैं). भारत की संस्कृति बचाने का बोझ अपने कंधों पर ढोने वाले ये लोग दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी पूछने लगे कि दिल्ली मेट्रो में आखिर चल क्या रहा है.

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क्या चल रहा है? प्यार, इश्क, मोहब्बत, प्रेम? नहीं, इसकी तो इजाजत पहले समाज से लेनी पड़ती है. और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. 2009 का वो कपल याद है, जिसे दिल्ली पुलिस ने 'मेट्रो स्टेशन पर अश्लील हरकतें' करने के लिए गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने कहा था कि दोनों किस कर रहे थे, जिससे आस-पास के लोग असहज हो रहे थे. (ये मोहब्बत से इतना असहज क्यों हो जाते हैं हम?) पुलिस ने दोनों पर आईपीसी की धारा 294 के तहत मामला दर्ज किया था.

आईपीसी की धारा 294 के तहत, पब्लिक प्लेस पर कोई भी अश्लील हरकत करना या अश्लील गाना गाना या फिर कोई अश्लील कमेंट करना, जिससे लोग असहज हो जाएं, दण्डनीय अपराध है. इसके तहत जुर्माना और तीन महीने की सजा हो सकती है. सेक्शन 294 में अश्लीलता को अपराध तो बना दिया है, लेकिन इस शब्द को डिफाइन नहीं किया गया. ये एक लूपहोल है. अब ये सामने वाले के इंटरप्रिटेशन के ऊपर है कि उसके लिए अश्लील क्या है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने उस कपल पर मामला दर्ज करने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि एक शादीशुदा (जी, वो शादीशुदा थे, शायद इसीलिए बच गए) कपल का 'एक्सप्रेशन ऑफ लव' अपराध नहीं हो सकता. दिल्ली हाईकोर्ट का ये कमेंट उस समाज के लिए फटकार थी, जो इश्क करने वालों को अश्लीलता के चश्मे से देखता है.

दिल्ली मेट्रो में कपल के इंटीमेट होने का ये पहला वीडियो नहीं है. पिछले महीने ही एक और कपल का Kiss करता वीडियो वायरल हुआ था, जो किसी पॉर्न वीडियो की तरह धड़ल्ले से वॉट्सऐप पर शेयर भी हुआ. ट्विटर पर उसपर काफी मीम्स भी बने थे.

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समझ में ये नहीं आता कि अगर किसी के मुताबिक कोई कपल पब्लिक प्लेस में ‘अश्लील हरकत’ कर रहा है, तो उस ‘अश्लील हरकत’ का वीडियो रिकॉर्ड क्यों करने लगता है. आखिर ‘अश्लीलता’ फैलाने का क्या तुक है? सवाल ये भी है कि क्यों वो कपल अपराधी है, लेकिन उनकी निजता से खिलवाड़ करने वाले लोग नहीं?

दोहरा चरित्र दिखाते ये लोग उसी देश के हैं, जहां आजकल लगभग हर फिल्म में किसिंग सीन होता है और उसपर सिनेमाहॉल में खूब तालियां भी बजती हैं. फिल्मी पर्दे पर लोगों को किस दिखने से परहेज नहीं है, लेकिन अगर गलती से कोई कपल उनके सामने किस कर दे, तो उसके खिलाफ एक्शन लेने की मांग कर देते हैं. उसका वीडियो बनाकर उसे पोस्ट कर देते हैं.

हम क्यों अपने सामने प्यार देखकर असहज हो जाते हैं. इसका कारण क्या है? क्या इसका कारण ये है कि हमारे देश में प्यार करना सिखाया ही नहीं जाता? देश में प्यार करने वालों को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, ये सभी को मालूम है. आज भी मेजॉरिटी पेरेंट्स अपने बच्चों की लव मैरिज के साथ नहीं हैं. घरों में मां-बाप बच्चों के सामने अपने प्यार का इजहार नहीं करते. बच्चों को गले लगाना, उन्हें आई लव यू कहना, उन्हें प्यार सिखाना... ये आज भी नहीं होता. हमेशा से प्यार को दबाया जाता है.... क्या इसलिए जब आसपास प्यार दिखता है तो लोग असहज हो जाते हैं? क्या प्यार से असहज होने वाले इन लोगों के लिए बड़े पर्दे पर किस देखना एक सेक्सुअल चीज है? क्या वो इसे लव के एक्सप्रेशन के रूप में नहीं देखते?

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लेकिन वक्त बदल रहा है. दुनिया खुल रही है. इंटरनेट से लेकर बेडरूम में बैठे टीवी तक में दिखता है कि संसार प्यार का इजहार कैसे करता है. वही चीजें जब वो खुद करता है तो समाज उसे रोकता है... जाहिर है यूथ को ये बुरा लगता है.

केरल में जब शिवसेना ने मोरल पुलिसिंग की, तो युवा सड़कों पर उतर आए. 'किस ऑफ लव' प्रोटेस्ट में लड़के-लड़कियों ने सड़कों पर एक-दूसरे को किस कर बताने की कोशिश की थी कि इसमें कुछ अश्लील नहीं है. ये बस प्यार है, बेशर्मी नहीं, किसी धर्म-समाज के विरुद्ध नहीं.

“इश्क भारतीय संस्कृति के खिलाफ है.” सालों से इसके नाम पर इश्क करने वालों को हैरेस किया जा रहा है. कभी वो लोगों की नजरों के शिकार होते हैं, तो कभी पुलिस की लाठियों के. आज हर किसी के पास स्मार्टफोन है, अच्छी क्वालिटी वाला कैमरा है... तो अब 'वायरल वीडियो' का शिकार हो रहे हैं.

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