ADVERTISEMENTREMOVE AD

गेमिंग में लड़कियों के साथ नाइंसाफी:कम वेतन-कम प्राइज, नाम छिपाकर खेलना पड़ता है

Activision के दागी इतिहास के बाद भी Microsoft का उसे खरीदने का फैसला क्या ऐसी गैरबराबरी को बढ़ावा नहीं देगा?

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

खबर यह है कि माइक्रोसॉफ्ट ने कैंडी क्रश, वर्ल्ड ऑफ वॉरक्राफ्ट जैसे मशहूर गेम्स बनाने वाली कंपनी एक्टिविजन ब्लिजार्ड को खरीदने का फैसला किया है. इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी गेमिंग कंपनी बन जाएगी. लेकिन हमारी दिलचस्पी इस अरबों की डील में नहीं. इस बात में है, कि माइक्रोसॉफ्ट वीडियो गेम की दिग्गज कंपनी ब्लिजार्ड के दागदार इतिहास को कैसे साफ करेगी. ब्लिजार्ड पर लंबे समय से महिला कर्मचारियों के साथ बुरे बर्ताव के आरोप लगते रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2021 में ब्लिजार्ड पर कैलीफोर्निया स्टेट ने मुकदमा दायर किया था. उसके लिए कहा गया था कि महिला कर्मचारियों को पुरुष कर्मचारियों से कम वेतन देती है. अगर उसके महिला कर्मचारी दफ्तर में यौन उत्पीड़न की शिकायत करती हैं तो प्रबंधन उन शिकायतों को नजरंदाज करता है.

यहां तक कि शिकायत करने वाली महिला कर्मचारियों को तरह तरह से परेशान किया जाता है. यूं टेक वर्ल्ड में महिला कर्मचारियों के साथ बुरा सलूक को नई बात नहीं है. गेमिंग या ई-स्पोर्ट्स उसी का हिस्सा है और उससे अछूता नहीं रह सकता. यहां न सिर्फ फीमेल गेम डेवलपर्स, बल्कि प्रोफेशनल महिला गेमर्स को भी भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.

"औरतों को गेमिंग की दुनिया से जितना हो सके, दूर ही रहना चाहिए"

ब्लिजार्ड इसका सिर्फ एक उदाहरण है. इस भेदभाव का एक लंबा इतिहास है. 2014 में हैशटैग गेमरगेट के जरिए वीडियो गेम इंडस्ट्री में महिला गेम डेवलपर्स और फेमिनिस्ट पत्रकारों के खिलाफ हैरेसमेंट कैंपेन छेड़ा गया था. यह पूरा कैंपेन संगठित था, हालांकि इसके पीछे किसी एक शख्स का हाथ नहीं था. महिला विरोधी सभी इस बहती गंगा में हाथ धो रहे थे और गेमिंग की दुनिया की नामचीन महिलाओं को निशाना बना रहे थे. इस कैंपेन के तहत महिलाओं को लगातार बलात्कार और हत्या की धमकियां दी गई थीं. कहा गया था कि महिलाओं को इस दुनिया से जितना हो सके, दूर ही रहना चाहिए.

इसी तरह कैलीफोर्निया के गेम डेवलपर रायट गेम्स के खिलाफ 2018 में लीगल एक्शन लिया गया था. कंपनी की पांच कर्मचारियों ने उस पर उत्पीड़न और भेदभाव का आरोप लगाया था. इसके बाद सैकड़ों लोगों ने कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन किया था. फ्रेंच वीडियो गेम डेवलपर यूबीसॉफ्ट के टॉरंटो और मॉन्ट्रियल स्टूडियो के कई सीनियर अधिकारियों को तो ऐसे आरोपों के कारण इस्तीफे तक देने पड़े थे. इसके खिलाफ इंटरनेशनल गेम डेवलपर्स एसोसिएशन ने ठोस प्रतिक्रियाएं दीं. संगठन ने कहा था कि गेमिंग इंडस्ट्री को अपने तौर तरीकों को बदलना चाहिए जिससे महिलाएं इस सेक्टर में बेफिक्री से काम कर पाएं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

25 साल बाद भी बराबरी एक सपना ही है!

असलियत में टेक्नोलॉजी की दुनिया में दसियों सालों से पुरुषों की तूती बोलती है. यहां महिलाएं हाशिए पर पड़ी हुई हैं. जैसा कि 1995 में अमेरिका की मशहूर कंप्यूटर साइंटिस्ट अनीता बोर्ग ने टेक कम्युनिटी को चुनौती दी थी कि उसे 2020 तक टेक्नोलॉजी की दुनिया में औरतों को बराबरी पर लाना चाहिए. लेकिन 25 साल बाद भी हम इस लक्ष्य से बहुत दूर हैं.

2018 में सबसे बड़ी टेक कंपनियों में महिला कर्मचारियों की संख्या 30% से कम थी और यूनिवर्सिटी कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट्स की फैकेल्टी में 20% महिलाएं ही थीं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

गेमिंग इंडस्ट्री: सैलरी में भेदभाव

इसी तर्ज पर गेमिंग वर्ल्ड को भी मर्दवादी दुनिया माना जाता है. यूं इस सेक्टर में तमाम तरह के करियर हैं, जिन्हें प्रो गेमिंग कहा जाता है, जैसे गेम डिजाइनर, ऑडियो इंजीनियर, गेम आर्टिस्ट, इंटरप्रेटर और ट्रांसलेटर्स, गेम प्ले टेस्टर. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि औरतों की संख्या यहां बहुत ज्यादा नहीं.

स्टैटिस्टिका डॉट कॉम के मुताबिक, 2021 के गेम डेवलपर सर्वे में पाया गया कि दुनिया भर में गेम डेवलपर्स में 61% पुरुष हैं, और 30% महिलाएं. और इतनी कम संख्या होने के साथ-साथ वे वेतन के मामले में भी पुरुषों से पिछड़ी हुई हैं. लंदन के ऑल इन डायवर्सिटी प्रॉजेक्ट के एक सर्वेक्षण में गेमिंग इंडस्ट्री में जेंडर पे गैप पर एक अध्ययन किया गया. इसमें कहा गया कि गेमिंग इंडस्ट्री की सिर्फ 12% महिलाएं अपने देश की लोकल करंसी में 50,000 सालाना से ज्यादा कमाती हैं. उनके मुकाबले पुरुषों की हिस्सेदारी 25% है, और उनका वेतन दो लाख सालाना से ज्यादा तक पहुंचता है. इस राशि तक महिलाओं का पहुंचना बहुत कम होता है, एक प्रतिशत से भी कम.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जेंडर छिपाकर खेलना पड़ता है कई बार

खेल बनाने वाली ही नहीं, इन्हें खेलने वाली औरतों को भी कई तरह की दुश्वारियों से जूझना होता है. एथेना 40 जैसे ग्लोबल थिंकिंग फोरम के हिसाब से दुनिया भर में महिला गेमर्स की हिस्सेदारी 45% है. हां, भारत फिलहाल इससे पीछे है. “थिंक विद गूगल एपैक-प्ले लाइक अ गर्ल रिपोर्ट, 2020” का कहना है कि भारत में गेमर्स में महिलाओं का हिस्सा 18% है लेकिन यह तेजी से बढ़ रहा है. हां, उन्हें तमाम तरह के उत्पीड़न झेलने पड़ते हैं.

इसकी शुरुआत तब से हुई, जब से औरतों ने प्रोफेशनल गेमिंग शुरू की. 2012 में अमेरिका की प्रोफेशनल गेमर मिरांडा पाकोज्डी का उसके कोच ने ही यौन शोषण किया था और उसने टीम छोड़ दी थी. कोच ने बेशर्मी से कहा था, सेक्सुअल हैरेसमेंट तो गेम कल्चर का एक हिस्सा है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अभी पिछले हफ्ते रीच3 इनसाइट्स और लेनोवो ने अमेरिका, जर्मनी और चीन की 9000 महिला गेमर्स से जुड़ा एक सर्वे जारी किया और उसमें कहा गया है कि 59% महिलाएं उत्पीड़न से बचने के लिए ऑनलाइन गेम्स में अपना जेंडर छिपाती हैं. गेम्स में महिलाओं की प्लेइंग हैबिट्स और सोच पर केंद्रित इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि वे ऐसा इसलिए करती हैं ताकि लोग उनसे फ्लर्ट न कर सकें. उन्हें अश्लील मैसेज न भेजें. दरअसल, ऑनलाइन गेमिंग स्पेस गुमनाम होता है और खिलाड़ी एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते रहते हैं, इससे माहौल के टॉक्सिक होने की उम्मीद बहुत होती है.

वैसे कोविड-19 महामारी ने भी महिला गेमर्स की स्थिति खराब की है. महामारी के चलते ऑनलाइन एक्टिविटीज़ बढ़ीं तो ऑनलाइन उत्पीड़न भी बढ़ा. ओरेगन यूनिवर्सिटी में गेमिंग पर रिसर्च करने वाली प्रोफेसर अमांडा कोट ने इस पर कई पेपर्स लिखे हैं. उनका एक पेपर आई कैन डिफेंड माइसेल्फ बताता है कि ऑनलाइन उत्पीड़न झेलने वाली लड़कियां कैसे इससे जूझती हैं. अगर वे अपना जेंडर छिपाकर खेलती हैं, या दोस्तों के साथ. यह रवैया अपराधी को चुनौती नहीं देता. यह उससे बचने की कोशिश है और इस तरह अपराधी पर नहीं, पीड़ित पर ही सारा दबाव पड़ता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्राइज मनी पुरुष की ज्यादा, औरतों की कम

महिला गेमर्स को छोटी प्राइज मनी से भी तसल्ली करनी पड़ती है. जैसे डैनिश डोटा 2 प्लेयर जोहान संडस्टीन ने अपना करियर में 70 लाख डॉलर से ज्यादा की राशि जीती है. उसके बाद 30 सबसे ज्यादा कमाई करने वाले पुरुष डोटा 2 प्लेयर्स हैं. लेकिन सबसे ज्यादा कमाई करने वाली महिला गेमर साशा होस्टीन ने अपने करियर में अब तक सिर्फ चार लाख डॉलर की ही कमाई की है. उसकी रेंकिंग 367वीं है.

प्रोफेशनल खिलाड़ी लाइव स्ट्रीमिंग से भी काफी कमाई करते हैं. जब वे कंपीटीशन नहीं करते तो लाइव स्ट्रीमिंग करते हैं. ट्विच ऐसा ही एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां कंटेंट क्रिएट किया जाता है. 2021 में ट्विच का फाइनांशियल डेटा लीक हो गया था जिसमें कहा गया था कि टॉप 100 क्रिएटर्स में सिर्फ तीन महिलाएं हैं. लिहाजा उनकी कमाई भी पुरुषों के मुकाबले बहुत कम है.

इस भेदभाव को कैसे कम किया जा सकता है. इसके लिए संगठनों और खेलों की पूरी संस्कृति बदलने की जरूरत है. लेकिन सांस्कृतिक बदलाव, मैराथन की तरह होते हैं. इसके लिए कोई अकेला व्यक्ति नहीं दौड़ सकता. मशहूर कंप्यूटर साइंटिस्ट और एक्टिविस्ट फ्रांसिन बर्मन का कहना है कि “हैविंग विमेन एट द टेबल मेक्स अ डिफरेंस” यानी जब औरतों को प्रतिनिधित्व मिलता है तो बदलाव होते हैं. विविध नेतृत्व विविध संस्कृतियों के निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. ऐसे माहौल में महिलाएं तरक्की करती हैं, जहां उन्हें जिम्मेदारियां, संसाधन और ताकत दी जाए. वक्त तो आ चुका है.

(आर्टिकल में लिखे गए विचार लेखक के अपने हैं. इसमें क्विंट का सहमत होना जरूरी नहीं है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×