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राजनीति में महिलाओं की एंट्री क्यों नहीं बर्दाश्त कर पाते हैं लोग?

कोई महिला किसी मुकाम पर पहुंचती है, तो पुरुषवादी समाज को आखिर क्यों खटकती है?

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हम महिला सशक्तिकरण के लाख दावे कर लें, लेकिन जब भी कोई महिला किसी मुकाम पर पहुंचती है, तो पुरुषवादी समाज को आखिर क्यों खटकती है? राजनीति में हमारे देश में सालों से महिलाएं सक्रिय रही हैं, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे बड़े सम्मानित पदों की गरिमा बढ़ाई है, लेकिन आज भी जब कोई महिला राजनीति में एंट्री करती हैं, तो लोगों को आखिर क्या दिक्कत होने लगती हैं.

ताजा उदाहरण प्रियंका गांधी है, वो प्रियंका गांधी जिनकी कई पीढ़ियां राजनीति में रही हैं, उनके परिवार ने तीन-तीन प्रधानमंत्री दिए हैं, लेकिन जब वो राजनीति में एंट्री करती हैं, तो उनके खिलाफ भद्दे कमेंट और घटिया मीम्स की बाढ़ आ जाती है. विरोधी उन पर सेक्सिस्ट टिप्पणियां करने लगते हैं. एक शख्स ने तो ऐसे घटिया कमेंट किए कि उसे गिरफ्तार ही करना पड़ा.

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बात सिर्फ प्रियंका गांधी की नहीं है, राजनीति में ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिनको ऐसे हालात का सामना करना पड़ता है. एनडीए सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी अक्सर लोगों के टारगेट पर रहती हैं. उनके राजनीति में शामिल होने से लेकर कैबिनेट मंत्री बनने तक कई भद्दे कमेंट किए गए. ये कमेंट भी आम लोगों ने नहीं बल्कि कई राजनीति हस्तियों ने उनका खूब चरित्रहरण किया. क्या किसी महिला की सफलता को इस तरह से आंका जाना वाजिब है?

स्मृति ईरानी को लेकर उनकी ही पार्टी के नेता शत्रुघ्न सिन्हा अक्सर मोर्चा खोले रहते हैं. शत्रुघ्न खुद एक एक्टर रह चुके हैं, लेकिन एक्ट्रेस रह चुकी स्मृति ईरानी का मंत्री बनना उनको हमेशा खटकता रहा है. वो हमेशा स्मृति ईरानी की काबलियत को शक की नजर से देखते हैं.

कोई महिला किसी मुकाम पर पहुंचती है, तो पुरुषवादी समाज को आखिर क्यों खटकती है?

कुछ दिन पहले ही एक कार्यक्रम के दौरान शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा था-

2014 के लोकसभा चुनाव में मैंने सबसे ज्यादा वोट शेयर हासिल किए थे, फिर भी मुझे मंत्री नहीं बनाया गया और एक टीवी एक्ट्रेस को सीधा मंत्री बना दिया गया.

जया प्रदा भी हो चुकी हैं पुरुषवादी मानसिकता की शिकार

कुछ दिन पहले अदाकारा से नेता बनी जया प्रदा ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था किस तरह से राजनीति में आने के बाद उनका नाम अमर सिंह के साथ जोड़ा गया. जया प्रदा को सिर्फ विरोधियों ही नहीं बल्कि उनकी अपनी पार्टी के लोगों ने तक नहीं छोड़ा. जया ने कहा था -

अगर मैं अमर सिंह को राखी भी बांध दूं तो भी लोग बातें बनाना नहीं छोड़ेंगे. मेरे जीवन में कई लोगों ने मेरी मदद की है और अमर सिंह जी मेरे गॉड फादर हैं. जिस परिस्थिति में मैं एक महिला के तौर पर चुनाव लड़ रही थी, उस समय मुझ पर तेजाब से हमला करवाने की साजिश थी और मेरी जान को खतरा था. जब कभी मैं घर से बाहर जाती थी, तो मैं अपनी मां को यह भी नहीं बता सकती थी कि मैं जिंदा लौटूंगी या नहीं.
कोई महिला किसी मुकाम पर पहुंचती है, तो पुरुषवादी समाज को आखिर क्यों खटकती है?
पूर्व सांसद जयाप्रदा
(फाइल फोटोः PTI)

जया प्रदा ने कहा था कि मुलायम सिंह जी ने मुझे एक बार भी फोन नहीं किया. जब मेरी झूठी तस्वीरों को वायरल किया गया, तब मैंने आत्महत्या करने तक की सोची थी. जया प्रदा ने उस वक्त को याद करते हुए कहा कि, ‘‘अमर सिंह डायलिसिस पर थे और मेरी तस्वीरों में बदलाव कर उसे हर जगह में फैलाया जा रहा था.

हेमा मालिनी पर लोग करते हैं कमेंट

बॉलीवुड एक्ट्रेस हेमा मालिनी मथुरा से बीजेपी सांसद हैं, हेमा मालिनी को अक्सर उनके डांस करने पर भद्दे कमेंट्स का सामना करना पड़ता है. कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा था कि बीजेपी की दुर्भाग्य है कि उनकी पार्टी में खुरदुरे चेहरे हैं, जिनको लोग नापंसद करते हैं. हेमा मालिनी से जगह-जगह शास्त्रीय नृत्य कराते रहते हैं और उससे वोट कमाने की कोशिश करते हैं.

कोई महिला किसी मुकाम पर पहुंचती है, तो पुरुषवादी समाज को आखिर क्यों खटकती है?
बीजेपी सांसद हेमा मालिनी 
(फोटो: पीटीआई)

जब कोई महिला राजनीति में आती है, वो सांसद बनती है, मंत्री बनती है तो उस पर हर तरह के कमेंट किए जाते हैं, हम यहां उन बातों का जिक्र नहीं कर रहे. सवाल सिर्फ इतना सा है, कि किसी भी महिला की कामयाबी को काबलियत के पैमाने पर आखिर लोग कब आंकना शुरू करेंगे? किसी महिला को सिर्फ महिला ना समझकर पहले उसकी प्रतिभा को देखें. उस मुकाम को हासिल करने के लिए उसने भी कड़ी मेहनत की है, जितना एक पुरुष करता है.

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