चुनाव आयोग ने अपने ट्वीट में सुरक्षाबलों के इस्तेमाल पर बचाव करते हुए प्रतिक्रिया दी है. दरअसल इस ट्वीट को स्वयं निर्वाचन आयोग के नियमों के उल्लंघन के तौर पर देखा जा रहा था. इस सफाई देते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि, इस ट्वीट का उद्देश्य लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित करने का था.
विज्ञापन में सुरक्षाबलों के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग ने रखा अपना पक्ष
चुनाव आयोग ने कहा कि, मॉडल कोड, जो कि चुनाव प्रचार अभियान में सुरक्षाबलों के इस्तेमाल के खिलाफ है, वह राजनीतिक दल और उनके प्रचार की रणनीति व सामग्री पर लागू होता है, और इस मामले में यह लागू नहीं होता है. चुनाव आयोग ने कहा कि इस ट्वीट के जरिए लोगों को मतदान के महत्व के प्रति जागरूक करना था.
निर्वाचन आयोग ने कहा कि विज्ञापन में लिखा है कि “उन्होंने अपने देश के लिए जान दी है. क्या आप देश के लिए वोट भी नहीं कर सकते हैं?”
इसके बाद लिखा गया कि, “वोट केवल आपका अधिकार ही नहीं है, बल्कि आपका कर्तव्य भी है. बिना किसी भय के अपना वोट डालें.”
इस विज्ञापन में अमर जवान ज्योति को दिखाया गया, जो कि दिल्ली में इंडिया गेट पर स्थित है. जिसका निर्माण 1971 के युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में किया गया था.
इलेक्शन कमीशन की दो एडवाइजरी के अनुसार, चुनावों में प्रचार सामग्री के तौर पर सुरक्षाबलों के इस्तेमाल पर रोक है. इनमें से पहली एडवाइजरी 2013 में जारी की गई थी, और मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले उसे दोहराया गया था.
बता दें कि लोकसभा चुनावों से पहले कई प्रत्याशियों ने पुलवामा आतंकी हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे मुद्दों को अपने चुनावी प्रचार में शामिल किया था. तब 19 मार्च को चुनाव आयोग ने इस ओर ध्यान दिलाया था.
चुनाव आयोग का तर्क है कि आधुनिक लोकतंत्र में सुरक्षाबल गैर-राजनीतिक हितधारक हैं, इसलिए उन्हें चुनाव में नहीं घसीटना चाहिए.
हालांकि चुनाव आयोग के एक अधिकारी का कहना है कि आप राजनीतिक दलों को प्रचार सामग्री में सुरक्षाबलों के इस्तेमाल से रोकते है, तो उनका उपयोग खुद भी नहीं कर सकते हैं.क्योंकि आयोग से भी समान नियमों का पालन करने की उम्मीद की जाती है.
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