इस महीने की शुरुआत में कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली यूनिवर्सिटी और नॉर्थवेस्टर्न पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी के कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन एजेंसी के अधिकार क्षेत्र में आते ही 14 विदेशी विद्यार्थियों को वापस उनके देश भेज दिया गया.
इस घटना ने देशभर के लोगों को इन बड़े विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को होने वाली परेशानी को चर्चा का विषय बना दिया था.
पर डेक्कन क्रोनिकल के 25 दिसंबर के अंक की मानें, तो सिर्फ सर्विलांस के तहत आने वाले विश्वविद्यालयों ही नहीं, बल्कि कोलरैडो स्टेट यूनिवर्सिटी और आयोवा यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को भी हैदराबाद के शम्साबाद एयरपोर्ट पर वापस भेज दिया गया.
खबरों के मुताबिक, जिस पोर्ट पर वे प्रवेश ले रहे थे, वहां यूएस इमीग्रेशन अधिकारियों के सवालों के जवाब न दे पाने के कारण उन्हें वापस भेजा गया.
खबरों की मानें, तो पिछले कुछ दिनों में 130 से ज्यादा लोगों को अमेरिका से वापस भेजा गया. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, कई जगह खबरों में सवाल उठाए गए कि जिन विद्यार्थियों का एफ1 वीजा वापस लिया गया, उन्हें वह पहले जारी ही क्यों किया गया था.
पर नई दिल्ली में जारी किया गया अमेरिकी दूतावास का बयान स्थिति को साफ करता नजर आता है.
हम जनता को यह याद दिलाना चाहते हैं कि वीजा मिलने के बाद भी अगर किसी के यात्रा दस्तावेजों पर शक होता है या फिर अमेरिका पहुंचने पर यात्रा के उद्देश्य के बारे में पूछे गए इमीग्रेशन अधिकारी के सवालों पर दिए जवाबों को उचित नहीं पाए जाने पर किसी को भी वापस किया जा सकता है.
अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलेंड के अधिकारी अमेरिका में प्रवेश चाहने वाले लोगों के इरादे को लेकर पूरी तसल्ली कर लेना चाहते हैं.
F-1 वीजा वाले अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों और H-1b वीजा पाने वालों को अमेरिका में प्रवेश पाने से पहले इमीग्रेशन की प्रक्रिया से गुजरना होता है, फिर प्रवेश वाले पोर्ट पर कस्टम्स के नियम पूरे करने होते हैं.
कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन विभाग के अधिरकारी अमेरिका पढ़ने जाने वाले विद्यार्थियों से फी पर क्रेडिट या कोर्स के फाइनेंस या फिर कोर्स में पढ़ाए जाने वाले विषयों के बारे में सवाल पूछ सकते हैं. सेन फ्रांसिस्को बे के ‘मरकरी न्यूज’ के अनुसार हाल ही में डिपोर्ट किए जाने वाले कई विद्यार्थी इमीग्रेशन अधिकारियों के सवालों का नहीं दे सके थे.
कुछ मामलों में तो संतोषजनक जवाब न दे पाने वाले कई विद्यार्थियों से 14 से 15 घंटों तक पूछताछ की गई थी. पढ़ाई के दौरान काम करने की बात करने वाले कई विद्यार्थियों को अपने व्हाट्सएप और फेसबुक संदेशों को साझा करने को भी कहा गया.
पर स्टूडेंट वीजा पढ़ाई के लिए दिया जाता है न कि अमेरिका में काम करने के लिए. ये स्टूडेंट्स तभी काम कर सकते हैं, जब इनके संस्थान इन्हें इजाजत दें और इन पर नजर रखें. पर उनकी किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बाद उनका वीजा वापस लेकर उन्हें उनके देश वापस भेजा जा सकता है.
साल 2014-15 के दौरान भारत से अमेरिका जाकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़कर 1,30,000 से ज्यादा हुई है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
अमेरिकी दूतावास
प्रवेश वाले हवाई अड्डों पर अमेरिका अब नए विद्यार्थियों को लेकर पहले से अधिक सतर्क हो गया है.
अकेले हैदराबाद से ही 1000 से लेकर 1200 तक वीजा एप्लिकेशन पर रोज कार्रवाई होती है. “इस शहर से सबसे ज्यादा वीजा एप्लिकेशंस आते हैं,” एक अमेरिकी दूतावास के अधिकारी ने द क्विंट को बताया. इनमें से ज्यादातर को अमेरिका जाकर पढ़ने का मौका मिल जाता है पर जो अपने जवाबों से अमेरिकी अधिकारियों को संतुष्ट नहीं कर पाते उन्हें वापस भेजना पड़ता है.
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