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बर्थडे स्पेशल: ‘राम’ बनने की कहानी, अरुण गोविल की जुबानी

अरुण गोविल के लिए ‘राम’ का रोल निभाना आसान नहीं था

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रामानंद सागर के सीरियल रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल आज भी घर-घर में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जाने जाते हैं. वैसे तो अब तक कई रामायण सीरियल बने और कई ने राम का किरदार निभाया, लेकिन अरुण गोविल ने राम के किरदार में अपनी जो छाप छोड़ी, वैसी पहचान कोई दूसरा नहीं बना सका.

अरुण गोविल का आज जन्मदिन है. इस मौके पर क्‍व‍िंट ने इस राम से विस्‍तार से बातचीत की.

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अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी, 1958 को यूपी के मेरठ में हुआ था. इनके बड़े भाई मुंबई में बिजनेस करते थे. अरुण जब 17 साल के थे, तो बड़े भाई का बिजनेस में हाथ बंटाने के लिए मुंबई चले गए, लेकिन बिजनेस में इनका मन नहीं लगा. इन्होंने एक्टिंग में करियर बनाने का फैसला किया. हालांकि स्कूल के दिनों अरुण थियेटर में रोल करते थे, लेकिन एक्टिंग में करियर बनाने के बारे में कभी नहीं सोचा था.

राम का रोल करने के बाद अरुण गोविद फेमस हुए. कई घरों में आज भी इनकी तस्वीर टंगी मिल जाएगी. लोग आज भी इनको देखते ही पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगते हैं.

अरुण गोविल ने क्विंट से बात करते हुए कहा:

ये भगवान की कृपा है, जो इतने साल बाद भी इतना प्यार और इज्जत मिलता है. ये सबको नहीं मिलता. इसे अपने ऊपर भगवान की विशेष कृपा मानता हूं.
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अरुण गोविल ने एक्टिंग में करियर की शुरुआत 1977 में पहेली फिल्म से की थी. इन्होंने सावन को आने दो, सांच को आंच नहीं, इतनी सी बात, हिम्मतवाला, दिलवाला, हथकड़ी और लव-कुश जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों में अहम भूमिका निभाई. लेकिन अरुण गोविल को असली पहचान 80 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले रामायण सीरियल से मिली.

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अरुण गोविल ने रामायण के बाद किसी भी सीरियल में काम नहीं किया. उन्होंने कहा:

‘रामायण’ के बाद जो रोल मुझे मिलता, अगर मैंने उसे ले लिया होता, तो मैं किसी को याद नहीं रह जाता. उस वक्त मेरी एक इमेज बन गई थी. उसके बाद मैंने कोई माइथोलॉजी नहीं की. आज 30 साल बाद भी लोग प्यार और इज्जत देते हैं, राम जी कहकर नमस्कार करते हैं, तो ये बहुत बड़ी बात है न.
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रामायण के ऑडिशन में हो गये थे फेल

रामायण सीरियल 25 जनवरी, 1987 को पहली बार दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ. आज करीब 31 साल बाद भी लोग उसके राम को नहीं भूले हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अरुण गोविल रामायण के ऑडिशन में फेल हो गये थे. अरुण गोविल ने क्विंट को बताया:

रामानंद सागर के यहां पहले ‘विक्रम और बेताल’ सीरियल में काम किया था. उन्होंने ‘राम’ किरदार के लिए मेरा ऑडिशन लिया था, लेकिन मैं ऑडिशन में पास नहीं हुआ था. फिर उन्होंने इसके लिए किसी को सेलेक्ट भी कर लिया था, लेकिन शूटिंग नहीं हो पाई थी. लेकिन फिर पता नहीं क्या हुआ, उन्होंने मुझे ही सेलेक्ट किया.
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आसान नहीं था 'राम' का रोल निभाना

अरुण गोविल के लिए राम का रोल निभाना कतई आसान नहीं था. इनके सामने पर्दे के साथ ही बाहर भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम की छवि बनाए रखने की कठिन चुनौती थी. इन्होंने इसके लिए सिगरेट पीना छोड़ना पड़ा. अरुण गोविल बताते हैं:

एक इंसान को यानी मुझे भगवान का रोल करना था. उन दिनों इस तरह के रोल बिल्कुल भी नहीं होते थे. इसके लिए पवित्रता की जरूरत थी. हाव-भाव उस तरह के चाहिए थे कि लगे कि राम इस तरह के रहे होंगे. इसे आप भगवान की कृपा कहें या जो भी कहें, ऐसा हो गया था.
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अरुण गोविल आजकल मुंबई में प्रोडक्शन हाउस चलाते हैं, जो दूरदर्शन के लिए सीरियल बनाता है. अरुण इसके साथ ब्रह्मऋषि श्री कुमार स्वामी के साथ ही सामाजिक कामों से भी जुड़े हुए हैं.

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