बैसाखी (Baisakhi 2023) का त्योहार न सिर्फ पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है, बल्कि देश के बाकी हिस्सों में भी इसे अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है. पंजाब में जहां पकी हुई फसल को काटने की तैयारी में किसान जुटे हुए होते हैं, वहीं असम में किसान अपनी पकी फसल को काटकर जश्न मनाते हैं. बता दें कि असम में इसे 'बिहू', बंगाल में 'पोइला बैसाख' बिहार में बिसुआ जैसे नामों से जाना जाता है. वहीं बैसाखी को 'बसोआ' भी कहते हैं. तो आइए जानते हैं कि किन राज्यों में कैसे मनाते हैं बैसाखी पर्व.
बैसाखी (Baisakhi)
बैसाखी पर्व पंजाब और हरियाणा में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. सिख समुदाय के लिए बैसाखी खास महत्व रखता है. दरअसल, इसी दिन से सिख नव वर्ष की शुरुआत होती है. हर साल मेष संक्रांति के दिन बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल मेष संक्रांति 14 अप्रैल को है. नई फसल के स्वागत में किसान बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ ढोल बजाकर ये त्योहार मनाते हैं.
बोहाग बिहू (Bohag Bihu)
बैसाखी को असम में बोहाग बिहू (Bohag Bihu) के नाम से जानते हैं, जो 14 अप्रैल से एक हफ्ते तक मनाया जाता है. वहीं बोहाग बिहू रोंगाली बिहू या हतबिहू के नाम से भी प्रचलित है. ये त्योहार फसलों का त्योहार है और किसानों को समर्पित किया जाता है. बिहू का उत्सव चैत्र के महीने की संक्रांति से शुरू हो जाता है. इस दिन के साथ ही फसल की कटाई, शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है. बता दें कि बिहू के पहले दिन गाय पूजा का विशेष महत्व होता है.
इस दिन सुबह-सुबह गायों को नदी में ले जाकर उन्हें कलई दाल और कच्ची हल्दी से नहलाते हैं. ये चीजें एक रात पहले से ही भिगोकर रख दी जाती हैं. उसके बाद गायों को लौकी, बैंगन आदि खिलाया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से गाय सालभर कुशलतापूर्वक रहती हैं और परिवार में सुख समृद्धि आती है.
पोइला बोइशाख (Pohela Boishakh)
पोइला बोइशाख, जिसे पोहेला बैसाख के नाम से भी जानते हैं. ये पश्चिम बंगाल में बंगाली समुदायों द्वारा मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. ये त्योहार बंगाली नव वर्ष का प्रतीक है. इस दिन बंगाली समुदाय के लोग पारंपरिक पोशाक पहनते हैं, खास पकवान तैयार करते हैं और प्रार्थना करने के लिए मंदिरों में जाते हैं.
पोइला बोइशाख के दिन पूरे साल अच्छी बारिश के लिए बादलों की पूजा भी की जाती है. इसके अलावा परिवार में सुख-समृद्धि के लिए भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. वहीं जगह-जगह जुलूस और मेले भी आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग संगीत और नृत्य का आनंद लेते हैं. इतना ही नहीं इस दिन बंगाली समुदाय सुबह जल्दी उठकर उगते सूर्य को देखते हैं और नाश्ते में प्याज, हरी मिर्ची और फ्राईड फिश के साथ भात खाते हैं.
विषु (Vishu)
विषु का पर्व केरल में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. मलयालम कैलेंडर के अनुसार (Vishu 2023) इस पर्व को नए साल के रूप में मनाया जाता है. इस साल विषु का पर्व 15 अप्रैल को है. ये दिन भगवान कृष्ण और विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है. लोग अच्छी फसल की कामना करते हैं. इस दिन नया पंचांग पढ़ा जाता है.
मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध कर बुराई का अंत किया था. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा की जाती है. इस दौरान केरल राज्य में नई फसल की बुवाई की शुरुआत भी होती है. इसलिए किसानों के लिए ये त्योहार बहुत महत्व रखता है. इस दिन लोग नए कपड़े भी पहनते हैं. इतना ही नहीं इस दिन विषुक्कणी की की प्रमुख विशेषता होती है. विषुक्कणी झांकी के दर्शन को कहते हैं.
पुथंडु (Puthandu)
पुथंडु जिसे पुथुवरुदम के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि पुथंडु नव वर्ष का प्रतीक है. यह तमिल कैलेंडर का पहला दिन यानी 14 को पड़ता है. इस दिन का जश्न कोल्लम बनाने से शुरू होता है और घर के दरवाजे पर रंगीन चावल के आटे से रंगोली बनाईं जाती है. इस खास दिन पर पोंगल और आम पचड़ी खाने का विशेष महत्व होता है.
बिसुआ (Bisua)
बैसाखी को बिहार, झारखंड, यूपी में बिसुआ के नाम से जाना जाता है. इस खास दिन पर लोग सुबह उठकर स्नान ध्यान करते हैं और सत्तु, गुड़ व आम का टिकोरा दान करते हैं और इसे खाते हैं. बता दें कि इस साल बिसुआ 14 अप्रैल को है.
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