10 फरवरी को बसंत पंचमी है, हिंदू कैलेंडर के मुताबिक माघ महीने के शुक्ल पक्ष को पंचमी मनाई जाती है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन से सर्दी के महीने का अंत हो जाता है और ऋतुराज बसंत का आगमन होता है. बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष दिन माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां सरस्वती ही बुद्धि और विद्या की देवी हैं. बसंत पंचमी को हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
इस महीने में न तो अधिक सर्दी होती है न ही गर्मी. सब कुछ संतुलित होता है, जिसके कारण इसे ऋतुओं का राजा कहा जाता है. इस ऋतु के आगमन के साथ ही पतझड़ का अंत हो जाता है और चारों ओर हरियाली दिखाई देती है.
हिन्दू पंचांग में इस दिन का विशेष महत्त्व है. इस अवसर पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा बड़े धूम-धाम से भारत के विभिन्न राज्यों में की जाती है. पश्चिम बंगाल में इस त्योहार को खास हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है. छात्रों के लिए इस दिन का विशेष महत्त्व है.
किन अन्य नामों से बसंत पंचमी को भारत में जाना जाता है?
पश्चिम बंगाल,उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में मनाते हैं. पंजाब में इस त्यौहार के मौके पर पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है.
कैसे मनाई जाती है बसंत पंचमी?
यह दिन विद्यार्थियों के लिए विशेष महत्त्व का दिन है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन जगह-जगह मां सरस्वती की प्रतिमा की पंडालों में स्थापना की जाती है. उनकी मूर्ति पर कमल के फूलों से पूजा कर छात्र ज्ञान की कामना करते हैं.
इस दिन कई जगह वाद्य यंत्रों की भी पूजा की जाती है. उत्तर भारत में कई लोग पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान भी करते हैं. इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्त्व है.इस बार बसंत पंचमी 10 फरवरी को है और इसी दिन लोग मां सरस्वती की पूजा धूम-धाम से पूरे भारत में करेंगे.
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