ADVERTISEMENTREMOVE AD

Chaitra Navratri: चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानें विधि

Chaitra Navratri 2019: चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की पूजा, जानें विधि 

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

नवरात्र का चौथा दिन दुर्गा मां के स्वरूप मां कूष्मांडा को समर्पित होता है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं होती हैं. ऐसी मान्यता है कि इन्होंने ही संसार की रचना की थी. इस वजह से मां को आदिशक्ति का नाम दिया गया है.

Chaitra Navratri के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी और तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इसके बाद मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना होती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं. इनकी आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल का फूल, शंख, चक्र, गदा, अमृत कलश और जप करने वाली माला होती है. कहा जाता है कि अगर सच्चे मन से मां कूष्मांडा की भक्ति की जाए तो आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है.

सूर्य है मां कूष्मांडा का निवास स्थान

मां के सिर पर बड़ा सा मुकुट होता है. कहा जाता है कि मां कूष्मांडा ने सृष्टि की रचना की है. इनका निवास सूर्य पर है इसलिए मां के पीछे सूर्य का तेज दिखाया जाता है. मां दुर्गा का एकमात्र ये ही स्वरूप है, जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मां कूष्मांडा का मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ऐसा माना गया है कि इस मंत्र का जाप करने से मां प्रसन्न होती हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

Chaitra Navratri के चौथे दिन ऐसे करें मां की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा संतरी रंग के कपड़े पहनकर की जाती हैं. मां के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाया जाता है. इसके बाद किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्रह्मणों को इसका प्रसाद दिया जाता है.

ये मान्यता है कि इससे माता के भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति, बुद्धि और कौशल का विकास होता है. कूष्मांडा माता की पूजा के बाद मेवे या फल दान करने से घर में सौभाग्य आता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×