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Durga Ashtami Vrat January 2022: दुर्गाष्‍टमी कब, जानें शुभ मुहूर्त, विधि व कथा

Durga Ashtami Vrat: मां दुर्गा अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती है.

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Durga Ashtami Vrat January 2022 Date: साल की पहली मासिक दुर्गाष्टमी 10 जनवरी 2022 के दिन मनाई जाएगी. हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है.

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इस दिन श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का उपवास करते हैं. इससे मां दुर्गा अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती है.

मुख्य दुर्गाष्टमी जिसे महाष्टमी कहते हैं, वह अश्विन माह में नौ दिन के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान पड़ती है. दुर्गाष्टमी को दुर्गा अष्टमी के रूप में भी लिखा जाता है और मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है.

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Durga Ashtami Vrat: अष्टमी तिथि प्रारम्भ व समाप्त

  • जनवरी मास की मासिक दुर्गाष्टमी 10 जनवरी 2022 के दिन मनाई जाएगी.

  • पौष मास अष्टमी तिथि प्रारम्भ - 09 जनवरी 11:08 AM.

  • पौष मास अष्टमी तिथि समाप्त - 10 जनवरी 12:24 PM.

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मासिक दुर्गाष्टमी के दिन ऐसे करें पूजा

  • सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें.

  • माता रानी का पूजन कर वहां गंगाजल का छिड़काव करें.

  • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करें.

  • उन्हें अक्षत, लाल पुष्प, सिंदूर, लाल चुनरी अर्पित करें.

  • प्रसाद के लिए मिष्ठान व फल चढ़ाएं.

  • धूप-दीप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और आरती उतारें.

  • प्रसाद वितरण करें.

  • दुर्गाष्टमी व्रत में कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें उपहार, दान, दक्षिणा प्रदान करें.

  • मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं.

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दुर्गाष्टमी की व्रत कथा

प्रचलित कथा के अनुसार, पृथ्वी पर असुर ज्यादा शक्तिशाली हो गए थे, उन्होंने स्वर्ग में चढ़ाई करते हुए तबाही मचा दी और कई देवताओं को नुकसान पहुंचाया.

इन सबमें सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था. जिसके बाद उसका अंत करने के लिए भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया.

हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किए. इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया.

मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया. उस दिन से दुर्गा अष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ.

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