सिख धर्मगुरु गुरु नानक की जयंती को पूरे भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है. गुरु नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु माने जाते हैं. उनकी जयंती को प्रकाश पर्व और गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यता के अनुसार, गुरु नानक का जन्म दीपावली के ठीक 15 दिन बाद कार्तिक महीने की पूर्णिमा को हुआ था.
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इस दिन सिख धर्म को मानने वाले लोग अपने गुरु की अरदास करते हैं. गुरुद्वारों को इस दिन लाइटों से सजाया जाता है.
गुरु नानक देव ने समाज के लिए कई सुविचार दिए थे. आज भी कई लोग उनके बताए रास्ते पर चलते हैं. पढ़िए गुरु नानक देव के कुछ सुविचार:
- तेरी हजारों आंखें हैं और फिर भी एक आंख नहीं, तेरे हजारों रूप हैं, फिर भी एक रूप भी नहीं.
- धन-समृद्धि से युक्त बड़े-बड़े राज्यों के राजा-महाराजाओं की तुलना उस चींटी से भी नहीं की जा सकती है, जिसमें ईश्वर का प्रेम भरा हो.
- दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए. बिना गुरु के कोई भी दूसरे किनारे तक नहीं जा सकता है.
- न मैं एक बच्चा हूं, न ही एक नवयुवक, न ही मैं पौराणिक हूं, न ही किसी जाति का हूं.
- सिर्फ वही शब्द बोलना चाहिए, जो शब्द हमें सम्मान दिलाते हों.
- यह दुनिया कठिनाइयों से भरी है. जिसे खुद पर भरोसा होता है, वही विजेता कहलाता है.
- सच्चा धार्मिक वही है, जो सभी लोगों का एकसमान रूप से सबका सम्मान करते हैं.
- जिसे खुद पर विश्वास नहीं है, वह कभी भगवान पर विश्वास कर ही नहीं सकता.
- वे लोग जिनके पास प्यार है, वे उन लोगों में से हैं, जिन्होंने भगवान को ढूंढ लिया.
- भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं, वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है.
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टॉपिक: त्योहार प्रकाश पर्व
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