Muharram 2023: गम और मातम का महीना मुहर्रम इस्लामिक साल (Islamic Calender) का पहला महीना होता है, जिसे इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग मनाते हैं. इस्लामिक धर्म की मान्यताओं के मुताबिक़, इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मुहर्रम मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, 680 ईस्वी में मोहर्रम की 10वीं तारीख को कर्बला के मैदान में नरसंहार हुआ था और लड़ते-लड़ते हजरत इमाम हुसैन शहीद कर दिए गए थे तभी से मोहर्रम का त्योहार मनाने की परंपरा है.
When is Ashura: आशूरा क्या है?
मोहर्रम महीने का दसवां दिन आशूरा होता है, इसी दिन मोहर्रम मनाया जाता है. इस दिन शिया मुसलमान काले कपड़े पहनकर जुलूस निकालते हैं और इमाम हुसैन ने जो इंसानियत के लिए पैगाम दिए हैं उन्हें लोगों तक पहुंचाते हैं.
Karbala Me Shaheed: कर्बला में शहीद
इस्लाम धर्म की मान्यता है कि इस दिन कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 जानिसारों के साथ शहादत को याद किया जाता है. इस दिन ताजिया निकाले जाते है ये ताजिया पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और हजरत इमाम हसन के मकबरों का प्रतिरूप होते है. इसे सजाते हैं और एक शहीद की अर्थी की तरह इसका सम्मान करते हुए उसे कर्बला में दफन करते हैं.
मुहर्रम का महत्व
शिया मुस्लिम समुदाय, कर्बला युद्ध 680 ई. में मारे गए हुसैन इब्न अली के निधन पर शोक व्यक्त करता है. कर्बला का मैदान इराक का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. हुसैन इब्न अली ने यज़ीद की सेना का अंत तक मुकाबला किया था. आशूरा के दिन हुसैन के बहादुर बलिदान को याद किया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन (आशूरा) मूसा और उनके अनुयायियों ने मिस्र के फिरौन पर विजय प्राप्त की थी.
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