शरदीय नवरात्रि में मां शक्ति के विभिन्न रूपों में से दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. नवरात्रि के नौ दिनों में हम आपको नव दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों के साथ-साथ देश की नारी शक्ति की भी कहानियां बताएंगे.
नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित हैं, मां ब्रह्मचारिणी नौ रूपों में दूसरा रूप हैं, इसलिए नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना करते हैं. ब्रह्मचारिणी का अर्थ असीम, अनंत में विद्यमान और गतिमान है. एक ऐसी ऊर्जा जो न तो जड़ है और न ही निष्क्रिय, लेकिन वह अनंत में विचरण करती है. वहीं ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी मतलब आचरण करने वाली. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. इसका एक अर्थ यह भी है कि तुच्छता, निम्नता में न रहना बल्कि पूर्णता से रहना.
कठिन उपवास से कहलाईं ब्रह्मचारिणी, सालों के तप से मिले शिव
पुराणों और ग्रंथों में उल्लेख के मुताबिक, मां ब्रह्मचारिणी का जन्म हिमालय राज पर्वत के घर हुआ था. एक बार हिमालय राज ने कन्या के भविष्य के बारे में पूछा तब नारद जी ने कन्या के विवाह में अवरोध की बात कही और इसके निवारण के लिए कन्या को व्रत, तप करने के उपाय बताए. नारद जी के कहे अनुसार हिमालय पुत्री तप में लीन हो गईं और कई सालों तक समस्त देव और ब्रह्मदेव की आराधना की. देवी की तपस्या का जिक्र गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने शब्दों में कुछ इस तरह किया है :
कछु दिन भोजन वारि बतासा।
कीन्ह कछुक दिन कठिन उपवासा।।
कठोर तप के कारण ही हिमालय पुत्री का नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी पड़ा. भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 साल तक केवल फल-फूल खाए और वह बहुत दिनों तक उपवास रखते हुए जीवित रहीं. कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया था. उनका तप देखकर सभी देवता, ऋषि-मुनि अत्यंत प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि आपके जैसा तप कोई नहीं कर सकता है. आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी. भगवान शिव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे.
ऐसा है मां ब्रह्मचारिणी का रूप :
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नम: ॥
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवि प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी सरल स्वभाव की हैं, उनके दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. मान्यता है कि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है. ज्योतिष में कहा गया है कि जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर होता है, उन्हें माता ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिए. विद्यार्थियों और तपस्वियों के लिए माता ब्रह्मचारिणी की साधना करना बेहद फायदेमंद होता है. मां दुर्गा का यह रूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है. विधिपूर्वक इनकी आराधना करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की प्राप्ति और उसमें वृद्धि होती है.
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग काफी पसंद है इसलिए सफेद मिठाई या सफेद खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है. कहा जाता है कि सफेद मिठाई से माता जल्द प्रसन्न हो जाती हैं. इसके अलावा मां को सफेद फूल भी चढ़ाया जाता है.
आज चर्चा उन नारियों की जो सफेद वस्त्र पहनकर दुश्मनों को टारगेट करेंगी...
Navy के इतिहास में हमारे देश में पहली बार युद्धपोत पर दो महिला अधिकारी तैनात होंगी. इन दोनों नारियों का नाम है कुमुदिनी त्यागी और रीति सिंह. चीफ स्टाफ ऑफिसर (ट्रेनिंग) रियर एडमिरल एंटनी जॉर्ज के बयान के मुताबिक, पहली बार महिलाओं को हेलीकॉप्टर ऑपरेशंस का प्रशिक्षण दिया जा रहा, यह भारतीय नौसेना के युद्धपोतों में महिलाओं की तैनाती का मार्ग प्रशस्त करेगा.
वॉरशिप में तैनात रहते हुए हेलीकॉप्टर से करेंगी दुश्मनों को ऑब्जर्व
सब लेफ्टिनेंट कुमुदिनी त्यागी और सब लेफ्टिनेंट रीति सिंह को वॉरशिप पर तैनात किया जाएगा. इनको हेलिकॉप्टर स्ट्रीम में ऑब्जर्वर यानी एयरबोर्न टैक्टिशियंस के पद के लिए चुना गया है. INS गरुड़ पर हुए एक कार्यक्रम के दौरान इनको ऑब्जर्वर के तौर पर स्नातक होने में विंग्स से सम्मानित किया जा चुका है. मूलत: लखनऊ से जुड़ी हुई रीति के पिताजी भी नेवल ऑफिसर रहे हैं, अब इनकी फैमिली हैदराबाद में रहती है.
- ये भारत की पहली महिला एयरबोर्न टेक्टिशियंस होंगी, जो जंगी जहाजों के डेक से काम करेंगी.
- इन्होंने 60 घंटों की फ्लाइंग ट्रेनिंग ली है जिसमें सॉर्टीज और सिमुलेटर फ्लाइट्स शामिल हैं.
- ये मानसिक और शारीरिक रूप से किसी भी स्थिति का सामना करने को तैयार हैं.
- नौसेना में अब तक महिला अफसरों को फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट तक सीमित रखा गया था.
- पहली बार महिलाओं को हेलिकॉप्टर ऑपरेशन की ट्रेनिंग दी जा रही है.
- नौसेना के नए एमएच-60 आर हेलीकॉप्टरों में ये दोनों उड़ान भरेंगी.
- एमएच-60 आर हेलीकॉप्टरों को दुनिया में सबसे अत्याधुनिक मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर माना जाता है, साल 2018 में इन हेलीकॉप्टरों की खरीद की मंजूरी दी गई थी.
गाजियाबाद की रहने वाली कुमुदिनी का परिवार मूलत: मेरठ का रहने वाला है. इन दोनों युवा महिला अधिकारियों ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक किया है. जहां सेना से जुड़ने के लिए कुमुदिनी को शहीद लेफ्टिनेंट किरण शेखावत ने प्रेरित किया है वहीं रीति के डिफेंस सर्विस वाले पारिवारिक माहौल ने उन्हें इस ओर आने के लिए प्रोत्साहित किया है. सब लेफ्टिनेंट रीति सिंह ने न्यूज एजेंसी ANI से हुई बातचीत के दौरान कहा था कि नौसेना के हमारे अधिकतर एयरक्राफ्ट्स में पायलट के साथ एक ऑब्जर्वर होता है. पोजिशन लेने के बाद, एयरक्राफ्ट के सारे हथियार, टैक्टिकल कंट्रोल और सेंसर्स पर हमारा कंट्रोल होगा. दुश्मन के टारगेट की पहचान और उन पर निशाना लगाने का काम हमारा होगा.
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