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नवरात्रि:आज मां सिद्धिदात्री की पूजा, नारी शक्ति ऐश्वर्या की कहानी

नौ दिनों की इस विशेष श्रृंखला में, हम आपको नव दुर्गा के साथ-साथ देश की ‘नारी शक्ति’ की भी कहानियां बता रहे हैं.

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दुर्गा पूजा (Durga Puja) के आठ दिन बीतने के बाद आज आखिरी यानी नौवां दिन है. अब तक मां के आठ विभिन्न रूपों की पूजा-उपासना हुई. शरदीय नवरात्र (Navratri 2020) का आज नौवां दिन मां सिद्धिदात्री का है. यह उत्सव शक्ति पूजा का प्रतीक है, इसलिए हम आपके लिए नारी शक्ति की नौ दिनों की विशेष श्रृंखला लाए हैं. अब तक हम आठ नारी शक्तियों की कहानी बता चुके हैं. आज हम आपके लिए इस श्रृंखला की आखिरी कहानी प्रस्तुत कर रहे हैं.

नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित हैं, शरदीय नवरात्रि की नवमी तिथि को महानवमी के नाम से जाना जाता है. आज के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को सभी देवियों की पूजा का फल मिल सकता है.

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नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री के समक्ष नवग्रह समिधा से हवन करने से नवरात्रि का पूर्ण फल मिलता है. देवी सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.

सिद्धिदात्री की वजह से भोलेनाथ को प्राप्त हुई थी सिद्धियां, मां की कृपा से ही कहलाए “अर्द्धनारीश्वर”

पुराणों और ग्रंथों में उल्लेखित मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने सिद्धिदात्री की कृपा से ही अनेकों सिद्धियां प्राप्त की थीं. माता की कृपा से ही शिव का आधा शरीर देवी का बना था. इसी कारण भगवान शिव को ‘अर्द्धनारीश्वर' के नाम से जाना जाता है. मार्कण्डेय पुराण के मुताबिक, अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व और वाशित्व नामक आठ सिद्धियां हैं. वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में सिद्धियों की संख्या अठारह बताई गई है. जो इस इस प्रकार हैं: अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, सृष्टि, वाक्‌सिद्धि, अमरत्व, भावना, परकायप्रवेशन, कल्पवृक्षत्व, संहारकरणसामर्थ्य, सर्वन्यायकत्व और सिद्धि. कहा जाता है कि अगर भक्त सच्चे मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा करें तो ये सभी सिद्धियां उन्हें प्राप्त हो सकती हैं.

महागौरी का स्वरूप:

ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः॥

सिद्धगन्धदर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।॥

नौ दिनों की इस विशेष श्रृंखला में, हम आपको नव दुर्गा के साथ-साथ देश की ‘नारी शक्ति’ की भी कहानियां बता रहे हैं.

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और आकर्षक है. उनकी चार भुजाएं हैं. मां ने अपने एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में कमल का फूल और एक हाथ में शंख धारण किया हुआ है. देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है. सिद्धिदात्री देवी को मां सरस्वती का रूप भी माना जाता है. देवी सिद्धिदात्री को मौसमी फल, हलवा पूड़ी, काले चने, नारियल आदि का भोग लगाया जाता है और नवमी पूजन के साथ व्रत का समापन होता है. मान्याता है कि मां सिद्धिदात्री को लाल और पीला रंग पसंद है. उनका मनपसंद भोग नारियल, खीर, नैवेद्य और पंचामृत हैं.

या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

देश की पहली महिला वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर

नौ दिनों की इस विशेष श्रृंखला में, हम आपको नव दुर्गा के साथ-साथ देश की ‘नारी शक्ति’ की भी कहानियां बता रहे हैं.

मुंबई में रहने वाली 23 वर्षीय ऐश्वर्या श्रीधर, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के अलावा वाइल्डलाइफ प्रजेंटेटर और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर भी हैं. हाल ही में लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम ने ऐश्वर्या श्रीधर को 56वें वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया गया. ये पुरस्कार जीतने वाली ऐश्वर्या पहली भारतीय महिला हैं. अपने श्रेणी में पुरस्कार जीतने वाली ऐश्वर्या भारत की सबसे कम उम्र की शख्स और पहली महिला हैं. इस साल इस अवॉर्ड के लिए 80 से अधिक देशों से 50,000 से ज्यादा तस्वीरें भेजी गई थीं और इनमें से केवल 100 को सम्मानित किया गया है.

  • वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर होने के साथ ही ऐश्वर्या पेशे से राइटर, प्रेजेंटर, स्टोरीटेलर, पोएट और फिल्म मेकर भी हैं.
  • वो पिल्लई कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स से मास मीडिया ग्रेजुएट हैं.
  • ऐश्वर्या 200 से ज्यादा कविताएं लिख चुकी हैं.
  • उनकी डॉक्यूमेंटरी 'क्वीन ऑफ तारु' (Queen of Taru) ने न्यूयॉर्क में 9वां वन्यजीव संरक्षण फिल्म समारोह जीता है.

बर्थडे में मिला था कैमरा, शौक बन गया जुनून

ऐश्वर्या ने 11 साल की उम्र से ही फोटोग्राफी शुरू कर दी थी. पापा ने ऐश्वर्या के जन्मदिन पर एक कैमरा गिफ्ट किया था, जिससे वह छोटी-छोटी चीजों की फोटोग्राफी करने लगी. धीरे-धीरे उनका मन इसमें लगता चला गया और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बन गई. उनकी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ऐश्वर्या ने 2011 में सेंक्चुरी एशिया यंग नेचरलिस्ट अवॉर्ड अपने नाम किया था. यह अवॉर्ड जीतने वाली वह पहली लड़की और सबसे कम उम्र की प्रतिभागी थीं. इसके अलावा ऐश्वर्या को इंटरनेशनल कैमरा फेयर अवॉर्ड, रोटरी वोकेशनल एक्सीलेंस अवॉर्ड सहित कई सम्मानों और अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.

नौ दिनों की इस विशेष श्रृंखला में, हम आपको नव दुर्गा के साथ-साथ देश की ‘नारी शक्ति’ की भी कहानियां बता रहे हैं.

एक बार ऐश्वर्या फोटोग्राफी के दौरान इतना खो गई कि उन्हें पता ही नहीं चला कि वो कब दलदल में फंस गई. ऐश्वर्या की डेब्यू डॉक्यूमेंट्री “पंजे-द लास्ट वेटलैंड” थी, जो DD नेशनल में प्रासरित हुई थी.

‘नौ दिन, नौ नारी शक्ति’ सीरीज की बाकी कहानियां आप नीचे क्लिक कर पढ़ सकते हैं:

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