मुस्लिम समुदाय का सबसे पाक रमजान का महीना चांद के दीदार से शुरू होता है. रमजान के महीने में लोग 30 दिनों तक रोजे रखते हैं. इस एक महीने, रोजे के दौरान सभी तय वक्त पर सुबह को सहरी और शाम को इफ्तार करते हैं. रोजे में सहरी और इफ्तार दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण होते हैं.
आपको बता दें कि सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी का समय होता है. इस दौरान लोग खाते-पीते हैं. इसके बाद सुबह फज्र की अजान के साथ रोजा शुरू होता है और सूरज ढलने के बाद मगरिब की अजान होने पर रोजा खोला जाता है.
इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक रमज़ान की शुरुआत चांद देखने के बाद होती है. इस साल भारत में रमज़ान का महीना 24 या 25 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है. अगर 24 अप्रैल को रमज़ान का चांद दिखाई दिया तो 25 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा, नहीं तो 26 अप्रैल का पहला रोजा होगा.
Ramzan का महत्व
रमजान के पवित्र महीने में ही पहली बार 'कुरान' मानव जाति के लिए प्रकट हुई थी. मुस्लिम धर्म में मान्यता है कि इस पूरे महीने में, शैतानों को नरक में जंजीरों में बंद कर दिया जाता है और आपकी सच्ची प्रार्थनाओं और भिक्षा के रास्ते में कोई नहीं आ सकता है.
जरूरी होती है नमाज
ऐसा माना जाता है कि जो लोग बिना नमाज के रोजा रखते हैं वह फाका कहलाता है. रोजा तभी कबूल होता है जब रोजदार से 5 वक्त की नमाज अदा करें.
जानें क्यों मनाया जाता है ईद-उल-फितर
मुस्लिम धर्म में ऐसा माना गया है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी और इसी खुशी में ईद उल-फितर या मीठी ईद मनाई जाती है. पहली बार ईद उल-फितर 624 ईस्वीं में मनाई गई थी. इस दिन मीठे पकवान खास तौर से मीठी सेवाइयां बनाई जाती हैं. दान देकर अल्लाह को याद किया जाता है और इस दान को ही फितरा कहा जाता है.
लोग गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की शुभकामनाएं देते हैं. इस दिन खासतौर पर मुस्लिम लोग नए कपड़े पहनते हैं. लोग नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह से सुख-शांति, बरकत के लिए दुआएं मांगते हैं.
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