आज पूरे उत्तर भारत में बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा मनाई जा रही है. बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती मां की पूजा के साथ ही नए कार्यों को शुरू करना शुभ माना जाता है. हिंदू पंचाग के मुताबिक, माघ महीने के शुक्ल पक्ष को बसंत पंचमी मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था, जिसकी खुशी में बसंत पंचमी का त्योहार मनाते हैं.
बसंत पंचमी के दिन स्कूलों और कॉलेजों में भी खास तैयारियां की जाती हैं. कई स्कूलों में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर उनकी आराधना की जाती है. बसंत पंचमी को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन किसी भी कार्य को करना फलकारी होता है. इस दिन गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार प्रारंभ और मांगलिक कार्य होते हैं. इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करने के साथ ही पीले रंग के पकवान भी बनाते हैं.
Subh Muhurat: सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
29 जनवरी को पंचमी तिथि की शुरुआत सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर हो रही है. यह अगले दिन 30 जनवरी को दोपहर 1 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. वैसे तो बसंत पंचमी पूजा का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता है, लेकिन इस बात का जरुर ध्यान रखना चाहिए कि पूजा पंचमी तिथि में ही की जाए. आम तौर पर बसंत पंचमी पूजा दिन के मध्य में की जाती है.
Saraswati Puja 2020 Puja Vidhi: सरस्वती पूजा विधि को जानने के लिए यहां क्लिक करें
Saraswati Puja 2020: सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
(सोर्स- https://www.bhaktibharat.com/)
सरस्वती पूजा मंत्र
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)