सूर्य ग्रहण इस बार कोरोना महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और कई देशों के बीच बनी तनाव की स्थिति के बीच लगने जा रहा है. इस बार सूर्य ग्रहण कई तरह के संयोग लेकर आ रहा है. सूर्य ग्रहण की धर्मशास्त्रों में काफी विस्तृत व्याख्या की गई है. धार्मिक पुस्तकों में हजारों साल पहले भी सूर्य ग्रहण का वर्णन मिलता है. इनमें ग्रहण का गहन अध्ययन कर उसके कारण और प्रभाव को भी बताया गया है.
कैसे लगता है ग्रहण
चन्द्रमा और सूर्य के बीच में जब पृथ्वी आ जाती है और पृथ्वी की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है. इससे चंद्रमा बिंब काला पड़ जाता है. सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर नुकसान पहुंच सकता है, लेकिन चन्द्र ग्रहण को नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है.
सूर्य ग्रहण क्या होता है
सूर्य ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में से गुजरता है.
21 जून को सूर्य ग्रहण कब
21 जून को सूर्य ग्रहण दिन में 9:16 बजे शुरू होगा. इसका चरम दोपहर 12:10 बजे होगा. मोक्ष दोपहर में 3:04 बजे होगा.
सूर्य ग्रहण के दिन सूतक काल
सूतक काल 20 जून शनिवार रात 9:15 बजे से शुरू हो जाएगा. इसी के साथ शहर के मठ-मंदिर के पट भी बंद हो जाएंगे. ज्योतिषशास्त्री ग्रहण के 12 घंटे पहले और 12 घंटे बाद तक के समय को सूतक काल मानते हैं.
21 जून को सूर्य ग्रहण कहां दिखेगा
ये ग्रहण भारत, नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई, इथियोपिया और कांगो में दिखाई देगा.
क्या करें और क्या नहीं
मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. ग्रहण से पहले स्नान करना चाहिए. ग्रहण के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. श्रद्धा के अनुसार दान करना चाहिए.
महाभारत में है सूर्य ग्रहण का वर्णन
महाभारत में भी सूर्य ग्रहण का उल्लेख मिलता है. महाभारत महाकाव्य में मनु और देवगुरु वृहस्पति के बीच अध्यात्म और दर्शन के उपदेश की चर्चा का उल्लेख है. इस चर्चा में ग्रहण के संबंध में भी चर्चा की गई.
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