ADVERTISEMENTREMOVE AD

गांधी @150: जब पहली बार वीर सावरकर से मिले महात्मा गांधी

गांधी को जहां महात्मा की उपाधि से सम्मनित किया गया, वहीं सावरकर के नाम से ‘वीर’ जोड़ा गया

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

स्वतंत्र भारत से पहले अगर किसी दो राजनीतिक विचारधाराओं की बात की जाए, तो सीधे विचार आता है, मोहनदास करमचंद गांधी और विनायक दामोदर सावरकर का. मौजूदा दौर में भी ये दोनों एक सिद्धांत के रूप में चर्चा का विषय बने हुए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
गांधी को एक ओर जहां महात्मा की उपाधि से सम्मनित किया गया, वहीं सावरकर के नाम से ‘वीर’ जोड़ा गया. महात्मा गांधी जहां एक अटूट भारत के साथ बिना बंटवारे के स्वतंत्रता की कामना रखते थे, वहीं सावरकर के दिमाग में एक हिंदू राष्ट्र की कल्पना थी.

ऐसे में दोनों समकालीन विपरीत विचारों वाले एक-दूसरे से कैसे निपटेंगे?

दुनिया महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने जा रही है. ऐसे में राष्ट्रपिता गांधी को 'उदार वाम' के शुभंकर की तरह बनाया गया है, जबकि सावरकर को 'हिंदू दक्षिणपंथी रूढ़िवादी' के चेहरे की तरह पेश किया जा रहा है. लेकिन अलग-अलग अभियान के बावजूद दोनों स्वतंत्रता सेनानी एक दूसरे के विचारों का आदर किया करते थे, बल्कि कई मुद्दों पर दोनों के एक समान राय थी.

0
दोनों के बीच मतभेद के बावजूद दोनों हिंदू धर्म पर मजबूत विचार रखते थे और दोनों का ही हिंदू धर्म पर दृढ़ विश्वास था. हालांकि, हिंदू धर्म की उनकी व्याख्याएं अलग-अलग थी. 

प्रवासी भारतीयों ने ब्रिटेन में वर्ष 1909 में गांधी जी को दशहरे के एक कार्यक्रम में बुलाया. इसी कार्यक्रम में लंदन में पढ़ाई कर रहे सावरकर ने भी शिरकत की. इस तरह पहली बार दोनों ने मंच साझा किया.

कार्यक्रम के दौरान जहां महात्मा गांधी ने भगवान राम के चरित्र के बारे में बात करते हुए उन्हें निस्वार्थ और मित्रतावादी बताया, तो वहीं सावरकर ने देवी दुर्गा को 'विनाशकारी' शक्ति का प्रतीक बताया, जो बुराइयों का अंत कर देती हैं.


सावरकर के कई अनुयायियों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि वह व्यक्ति एक समावेशी भारत के समर्थन में था, जहां सभी धर्मो को हिंदू धर्म के आसपास रहने और पनपने का अधिकार है. गांधी ने सावरकर की कही गई बातों पर सहमति जताई थी.

(सोर्स: IANS)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×