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महात्मा गांधी की जिंदगी के वो आखिरी लम्हे और गोडसे की 3 गोलियां

30 जनवरी की उस सुबह की प्रार्थना से लेकर शाम को सरदार पटेल और महात्मा गांधी की आखिरी मुलाकात के अलावा क्या-क्या हुआ

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए 30 जनवरी, 1948 का दिन आम दिनों की तरह ही था. लेकिन शाम 5.17 बजे जो हुआ, उसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया.कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक संत जैसे बुजुर्ग इंसान, जिसने साम्राज्यवाद के खिलाफ इतिहास की सबसे शानदार लड़ाई का नेतृत्व किया, जिसने दुनिया की सबसे ताकतवर सत्ता के खिलाफ अहिंसक संघर्ष की नींव रखी, उसकी इतनी कायरता और बेरहमी से कोई हत्या कर सकता है. लेकिन आज से ठीक 110 साल पहले पैदा हुए गोडसे ने ऐसा किया. 19 अप्रैल 1910 को पैदा हुए गोडसे ने उस दिन जो किया, वह इतिहास का काला पन्ना है.

नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी के सीने में एक के बाद एक तीन गोलियां दाग दीं और सैकड़ों लोगों के सामने उनकी मृत्यु हो गई.

30 जनवरी की उस सुबह की प्रार्थना से लेकर शाम को सरदार पटेल और महात्मा गांधी की आखिरी मुलाकात, उसके बाद गोडसे द्वारा उनकी हत्या के अलावा क्या-क्या हुआ, हम आपको बता रहे हैं.

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