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औरंगजेब की आशिकी के वो किस्से जो आपने शायद ही सुने होंगे...

औरंगजेब जैनाबादी से बेपनाह मोहब्बत करता था

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भारतीय इतिहास के सबसे क्रूर मुगल शासकों में गिने जाने वाले औरंगजेब के सीने में एक आशिक का दिल भी था, जिस पर शायद ही किसी ने विस्तार से लिखा हो. एक नई किताब में बताया गया है कि औरंगजेब एक महिला की सुंदरता पर इतना मोहित हुआ कि वह गश खाकर गिर पड़ा था.

सीनियर जर्नलिस्ट अफसर अहमद ने अपनी किताब ‘औरंगजेब: नायक या खलनायक' में लिखा है कि औरंगजेब की तीन पत्नियों - दिलरस बानो, नवाब बाई और औरंगाबादी महल के अलावा एक और महिला थी जिसके बारे में कहा जा सकता है कि वह मुगल वंश के छठे शासक की जिंदगी में अकेला प्यार थी.

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गाना गाती हीरा बाई के दिवाने हुए औरंगजेब

अहमद के मुताबिक, इस महिला का नाम हीरा बाई उर्फ जैनाबादी था. वह मीर खलील के यहां गुलाम थी, जिसने औरंगजेब की मां मुमताज महल की बहन से निकाह किया था. जैनाबादी पर औरंगजेब के फिदा होने की कहानी बयान करते हुए अहमद अपनी किताब में लिखते हैं, ‘‘साल 1653 में औरंगजेब जब दक्कन का गर्वनर था तब वह अपनी खाला (मौसी) के यहां बुरहानपुर गया. औरंगजेब बिना पूर्व जानकारी के अपनी खाला के घर के अंदर चला गया."

किताब में लिखा है, "हीरा बाई तब एक पेड़ के नीचे अपने एक हाथ से उसकी टहनी पकड़े खड़ी थी और गाना गा रही थी. यहीं पर उसने हीराबाई को देखा और गश खाकर गिर पड़ा. जब उसकी खाला के पास ये खबर पहुंची तो वह दौड़ती हुई आई और औरंगजेब का सिर अपनी गोद में रख लिया. तीन-चार घड़ी के बाद औरंगजेब को होश आया.''

औरंगजेब ने बेहोशी का खाला को क्या जवाब दिया

‘हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' के पहले भाग के 67वें पन्ने के हवाले से अहमद ने लिखा है, औरंगजेब की खाला ने जब उससे पूछा कि क्या हुआ और ये बेहोशी क्या उसे पहले भी हुई है? औरंगजेब ने कोई जवाब नहीं दिया. करीब आधी रात को उसने अपनी खाला से कहा कि अगर वह अपनी बीमारी की वजह बता दे तो क्या वह उसकी इच्छा पूरी कर पाएगी. खाला ने जवाब दिया कि वह उसके लिए अपनी जान भी दे सकती है. तब औरंगजेब ने उसे वजह बताई.

औरंगजेब जैनाबादी से बेपनाह मोहब्बत करता था
औरंगजेब जैनाबादी से बेपनाह मोहब्बत करता था
(फोटो: द क्विंट)

जवाब में खाला ने कहा कि तुम्हारे खालू यानी मौसा बेहद खतरनाक इंसान हैं. उन्होंने न तो कभी तुम्हारे पिता शाहजहां की फिक्र की और न ही वह तुम्हारी फिक्र करेंगे. अगर मैं उन्हें ये बताती हूं तो पहले वह जैनाबादी की जान लेंगे, फिर मुझे मार डालेंगे.

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जैनाबादी से बेपनाह मोहब्बत करता था औरंगजेब

इवोको पब्लिकेशंस की ओर से प्रकाशित अहमद की किताब के मुताबिक, अगले दिन औरंगजेब अपने खेमे में लौटा. उसने अपने करीबी और दक्कन के दीवान मुर्शीद कुली खान को पूरी बात बताई. खान ने कहा, मैं पहले तुम्हारे खालू को मार देता हूं, बदले में तुम मुझे मार देना. इस तरह जैनाबादी को तुम पा सकते हो. हालांकि, औरंगजेब ने ऐसा करने से मना करते हुए कहा कि वह अपनी खाला को विधवा नहीं बनाना चाहता. खान ने यह वाकया औरंगजेब के खालू को सुनाया. खालू का दिल पसीजा और उसने जैनाबादी को औरंगजेब के हरम की दासी छत्र बाई के बदले उसके पास भेजना स्वीकार कर लिया.

किताब के मुताबिक, औरंगजेब जैनाबादी से बेपनाह मोहब्बत करता था. वह जब दक्कन में था, तब जैनाबादी की मौत हो गई और उसे औरंगाबाद में दफनाया गया. अहमद ने अपनी किताब में इस मान्यता को भी खारिज किया है कि औरंगजेब फकीर बनना चाहता था.

उन्होंने लिखा है, ‘‘ये सच है कि औरंगजेब एक वक्त फकीरों की तरह रहने लगा था. उसने अपनी तलवार निकाल कर रख दी थी. इसका सीधा मतलब निकालकर पुराने इतिहासकारों को लगा कि वह फकीर बनना चाहता था, लेकिन ऐसा था नहीं. उसे फकीर बनने में कोई रुचि नहीं थी. दरअसल, उसका मकसद संपूर्ण तौर पर राजनीतिक था, न कि आध्यात्मिक. उसने सिर्फ अपना ओहदा छोड़ा था, लेकिन फकीर नहीं बना था.''

अहमद ने लिखा है, मुगल परंपरा के मुताबिक हर ओहदेदार को, चाहे वह सिविल में हो या सेना में हो, अपने पद के अनुसार सैन्य पोशाक पहननी होती थी और उसका तलवार बांधना जरूरी था, जो पोशाक का ही हिस्सा मानी जाती थी. इस तरह अपनी बेल्ट से तलवार को अलग करना अपना पद छोड़ना माना जाता था.

(करीब दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय अफसर अहमद लंबे वक्त से इतिहास के अंदर छिपी अबूझ पहेलियों को हल करने का प्रयास करते रहे हैं. उनकी पहली किताब ताज महल या ममी महल इन्हीं कोशिशों का नतीजा थी. अपने पत्रकारिता करियर के दौरान अफसर अहमद ने समय-समय पर मुगल इतिहास से जुड़े कई अहम लेख लिखे हैं जो बड़े-बड़े हिंदी और अंग्रेजी अखबारों व उनकी ऑनलाइन संस्करणों में छपते रहे हैं. अफसर अहमद ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत आगरा से की फिर उन्हें दिल्ली में नवभारत टाइम्स के आनलाइन संस्करण एनबीटीडॉटकॉम में काम करने का मौका मिला. वर्तमान में अफसर नेटवर्क 18 में सीनियर एडिटर के रूप में कार्यरत हैं. )

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