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‘प्यार का नगमा’ से ‘जुम्मा-चुम्मा’ तक प्यारेलाल के यादगार गाने  

प्यारेलाल को बचपन के दिनों से ही उनका रुझान संगीत की ओर था और वह संगीतकार बनना चाहते थे.

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लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी हिंदी फिल्मों की प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी है. प्यारेलाल शर्मा का जन्म 3 सितंबर 1940 में हुआ. बचपन के दिनों से ही उनका रुझान संगीत की ओर था और वह संगीतकार बनना चाहते थे.

प्यारेलाल का बचपन संघर्ष से भरा रहा. उनकी मां का देहांत छोटी उम्र में ही हो गया था. उनके पिता पंडित रामप्रसाद जी ट्रम्पेट बजाते थे और चाहते थे कि प्यारेलाल वायलिन सीखें. पिता के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे, वे घर घर जाते थे जब भी कहीं उन्हें बजाने का मौका मिलता था और साथ में प्यारे को भी ले जाते. उनका मासूम चेहरा सबको आकर्षित करता था. एक बार पंडित जी उन्हें लता मंगेशकर के घर लेकर गए. लता जी प्यारे के वायलिन वादन से इतनी खुश हुई कि उन्होंने प्यारे को 500 रुपए इनाम में दिए जो उस जमाने में बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी. वो घंटों वायलिन का रियाज करते. अपनी मेहनत के दम पर उन्हें मुंबई के 'रंजीत स्टूडियो' के ऑर्केस्ट्रा में नौकरी मिल गई जहां उन्हें 85 रुपए मासिक वेतन मिलता था. मुश्किल हालातों ने भी उनके हौसले कम नहीं किए.

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लक्ष्मीकांत-प्यारे लाल के फिल्मी करियर में कुछ हिट फिल्मों में से साल 1977 में आई फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ सुपर हिट थी. ऐसे तो इस फिल्म के सभी गाने हिट रहे लेकिन, हमको तुमसे हो गया है प्यार..संगीत जगत में आज भी याद किया जाता है. लक्ष्मीकांत-प्यारे को सात बार फिल्म फेयर का बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का अवॉर्ड दिया गया. लेकिन साल 1998 में लक्ष्मीकांत के देहांत के बाद प्यारेलाल को गहरा सदमा पहुंचा और उन्होंने फिल्मों में संगीत देना बंद कर दिया.

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