ADVERTISEMENTREMOVE AD

श्रीदेवी की तरह जमाना झुकाने का माद्दा कितनी हिरोइनों में होता है?

दर्शक पल में किसी हिरोइन के सिर पर कामयाबी का सेहरा बांधने लगते हैं, अगले पल किसी और को सिर-आंखों पर बैठा लेते हैं

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

अपनी बेहतरीन अदाकारी से बॉलीवुड पर राज करने वाली श्रीदेवी का 13 अगस्‍त को जन्मदिन है. पिछले साल फरवरी में श्रीदेवी की अचानक हुई मौत से उनके फैंस को गहरा सदमा लगा था. श्रीदेवी ने दशकों तक दर्शकों को अपना दीवाना बनाए रखा, लेकिन वक्‍त ने उन्‍हें असमय सबसे जुदा कर दिया. ये श्रीदेवी की सूरत और सीरत का मिला-जुला जादू ही था कि उन्‍होंने बॉलीवुड में इतने लंबे वक्‍त तक राज किया, नहीं तो दर्शकों का मिजाज कुछ ऐसा होता है कि वे अपनी दीवानगी के लिए नया चेहरा ढूढने में देर नहीं लगाते.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

80 के दशक की शुरुआत होते-होते बॉलीवुड में एक नई सनसनी आई श्रीदेवी. इन्‍होंने हिम्‍मतवाला फिल्‍म से अपनी अलग पहचान कायम की और दर्शकों के 'नैनों में सपना' बनकर बस गईं. इससे आगे बढ़ते हुए तोहफा से मजबूती से पांव जमाया. 'प्यार का तोहफा तेरा' और 'एक आंख मारूं तो...'

ये वो दौर था, जब श्रीदेवी के एक आंख, फिर दोनों आंखें मारने से जमाना झुकता रहा और सचमुच लाखों लोग दिल से घायल होते रहे. तब से लेकर अब तक बड़े पर्दे पर धूम मचाने वाली कई हिरोइनों आती रहीं, दर्शक पर्दे पर उनकी आंखों में अपने हिस्‍से की मस्‍ती तलाशते रहे.

गौर करने वाली बात ये है कि अलग-अलग दौर में सिनेमा पर राज करने वाली हिरोइनों के चेहरे बदलते रहे. श्रीदेवी से पहले की बात छोड़कर सिर्फ उनके बाद के दौर पर गौर करें, तो कई ऐसे चेहरे जेहन में उभरते हैं. इस फेहरिस्‍त में आप कई नाम गिना सकते हैं. लेकिन अगर कुछ सेकेंड के भीतर बेहद कामयाब चेहरों को याद करना हो, तो लिस्‍ट छोटी पड़ जाती है.

श्रीदेवी की कामयाबी के दौर में ही बॉलीवुड ने जूही चावला की महक महसूस की. इसके बाद दर्शकों का दिल माधुरी दीक्ष‍ित के लिए लंबे वक्‍त तक 'धक-धक' करने लगा. फिर ऐश्‍वर्या राय और सुष्‍म‍िता सेन का राज आया. यहां से आगे बढ़ते हुए प्रियंका चोपड़ा, कटरीना कैफ और दीपिका पादुकोण के लिए दर्शकों का दीवानापन दिखा.

लेकिन दर्शकों को मन-मिजाज कुछ ऐसा होता है कि वे पलभर में ही किसी हिरोइन के सिर पर कामयाबी का सेहरा बांधने लग जाते हैं, और अगले ही पल किसी दूसरी हिरोइन को सिर-आंखों पर बैठाने को तैयार हो जाते हैं. दर्शकों की इस फितरत को धता बताकर यहां टिकती वही हैं, जिनमें टिकने का माद्दा होता है.

श्रीदेवी के चाइल्‍ड आर्टिस्‍ट के किरदार से लेकर मॉम तक पर गौर करते हुए ये समझा जा सकता है कि उनमें क्‍या ऐसी बात थी कि उनके पांव इतनी मजबूती से जमे रहे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×