मेहदी हसन ने अपनी रूहानी आवाज में मोहब्बत और दर्द को जो गहराई दी, वो आज भी लोगों के दिलों को छू जाती है. राजस्थान के जयपुर से करीब 107 किलोमीटर दूर ‘लूना’ में मेहदी हसन का जन्म 18 जुलाई को हुआ था. ये 1927 का साल था जब उस घर में मुस्तकबिल के शहंशाह-ए-गजल ने जन्म लिया था. वो महज 6 साल के थे जब बकायदा उनकी मौसिकी की तालीम का आगाज हुआ.
जल्द ही उन्होंने ठुमरी, ख्याल और दादरा समेत कई रागों में महारत हासिल की. आखों में ख्वाब सजाए ये नौजावन कराची आ गया और काफी मशक्कत के बाद 1952 में पाकिस्तान रेडियो में नौकरी मिली गई. मेहदी हसन ठुमरी के गायक थे ठुमरी ने उन्हें एक नई पहचान दी.
उस वक्त बरकत अली खान, बेगम अख्तर और मुख्तार बेगम की तूती बोलती थी. उस दौर में अपने हुनर से मेहदी हसन ऐसे कामयाब हुए कि सबको पीछे छोड़ दिया.
'गुलों में रंग भरे वादे-नौबहार चले' वो गजल थी, जिसने रातोंरात मेहदी हसन शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया.यहीं से मेहदी हसन की फिल्मी जिंदगी का आगाज हुआ. 60 और 70 के दशक की शायद ही ऐसी कोई बड़ी फिल्म हो, जिसमें मेंहदी हसन का गाना न हो.
80 के दशक के आखिर तक मेहदी हसन की आवाज कानों में रस घोलती रही. फिर आहिस्ता-आहिस्ता बीमारी ने उन्हें फिल्मों से दूर कर दिया.
महफिलों में गायकी भी सपना बनकर रह गई और सुरों का ये शहंशाह 13 जून 1912 को इस दुनिया को अलविदा कह गया.
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