दिल्ली हाईकोर्ट ने नर्सरी एडमिशन केस की सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया और कहा कि वह मामले में 25 जनवरी तक हलफनामा दाखिल करे.
हाईकोर्ट 28 जनवरी को दोबारा इस मामले की सुनवाई करेगा. तब तक नर्सरी एडमिशन की प्रक्रिया वैसे ही जारी रहेगी, जैसे अब तक रही है. कोर्ट के आदेश के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि ‘62 कैटेगरी’ में से कौन-कौन सी रखी जाएंगी और किन्हें हटा दिया जाएगा.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि सरकारी स्कूलों को सुधारने के लिए दिल्ली सरकार क्या कर रही है? क्या सिर्फ प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण करना ही सरकार के एजेंडा में है?
प्राइवेट स्कूलों की इन दलीलों पर कोर्ट ने किया गौर
नर्सरी एडमिशन केस की सुनवाई के दौरान प्राइवेट स्कूलों ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने यह दलील रखी कि दिल्ली सरकार का स्कूलों में मैनेजमेंट कोटा खत्म करने का आदेश हाईकोर्ट के पिछले आदेश के खिलाफ है.
गांगुली कमेटी ने भी इस बात की सिफारिश की थी कि प्राइवेट स्कूलों की ऑटोनोमी बरकरार रहनी जरूरी है, क्योंकि इससे भविष्य में अच्छे प्राइवेट स्कूलों और क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा मिलेगा. वहीं मैनेजमेंट कोटे को लेकर सरकार यह दावा करती दिखी कि प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट कोटे का दुरुपयोग करते हैं.
लेकिन 2007 के नोटिफिकेशन के बाद से दिल्ली सरकार आज तक अपने इस आरोप को सबूतों के दम पर साबित नहीं कर पाई.
प्राइवेट स्कूलों ने कहा कि मैनेजमेंट कोटा खत्म करने का दिल्ली सरकार का यह आदेश 2013 में आए लेफ्टिनेंट गवर्नर के उस आदेश की कार्बन कॉपी लगता है, जिस पर हाईकोर्ट खुद आदेश दे चुका है कि प्राइवेट स्कूल खुद अपने एडमिशन के मानक तय कर सकते हैं.
कानूनी कार्रवाई करे सरकार
प्राइवेट स्कूलों की असोसिएशन ने यह माना कि दिल्ली के कुछ प्राइवेट स्कूल नर्सरी रजिस्ट्रेशन में बेतुकी शर्तें लगा रहे हैं, लेकिन ऐसे स्कूलों की संख्या कम है. सरकार उन स्कूलों पर कानूनी कार्रवाई कर सकती है. लेकिन ऐसे स्कूलों को मानक मानकर दिल्ली सरकार बाकी के स्कूलों को एक ही डंडे से नहीं हांक सकती.
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