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पूरे भारत में तेज गर्मी (heatwaves) पड़ रही है, धरती झुलस रही है और शरीर तप रहे हैं, ऐेसे में हाइड्रेटेड रहने की जरूरत को नकार पाना मुमकिन नहीं है.
पानी जरूरी है, खासतौर से इसलिए क्योंकि इंसानी शरीर में 70 फीसद पानी है. गर्मी में डिहाइड्रेशन यानी निर्जलीकरण बहुत जल्दी हो जाता है, और इस समय जबकि तापमान पांचवीं दहाई में चल रहा है, आपको जो भी मिल जाए हर तरह के जूस, पानी, इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स और पेय पदार्थ पीने की जरूरत है.
लेकिन डिहाइड्रेशन (Dehydration) हालांकि इस समस्या का एक सिरा है, तो दूसरे छोर पर है ओवर हाइड्रेशन (over hydration).
ओवर हाइड्रेशन से आपको भ्रम, बेहोशी आना, मितली, और ऐसी दशा हो सकती है, जिसे वाटर इनटॉक्सिकेशन (water intoxication) या वाटर प्वाइजिंग (water poisoning) कहते हैं.
इसलिए, जबकि डिहाइड्रेशन आपके लिए बुरा है, ओवर हाइड्रेशन बहुत ज्यादा नहीं तो भी उतना ही बुरा हो सकता है. आज हम आपको ओवर हाइड्रेशन और बहुत ज्यादा पानी पीने के खतरों को और गहराई से समझने में मदद करेंगे.
ओवर हाइड्रेशन तब होता है, जब आप अपने शरीर की जरूरत से ज्यादा पानी पीते हैं या आपकी किडनी जितना सुरक्षित रूप से शरीर से बाहर निकाल सकती है, उससे ज्यादा पानी पीते हैं.
इसके नतीजे में आपके शरीर में सोडियम और दूसरे जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन बहुत ज्यादा हो जाता है, और हाइपोनेट्रीमिया (hyponatremia) और वाटर पॉइजनिंग जैसी हालत होती है.
पानी की अधिकता से आपके खून में सोडियम असामान्य रूप से निचले स्तर तक कम होने को हाइपोनेट्रीमिया कहते हैं. सोडियम आपकी कोशिकाओं के अंदर और उसके बाहर पानी की मात्रा को नियंत्रित करता है. जब यह कम होता है, तो आप कई परेशानियों का सामना करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
सिर दर्द
भ्रम
मितली
मांसपेशियों में ऐंठन
बेचैनी
थकान
अगर इसका इलाज किए बिना छोड़ दिया जाता है, तो जल्द ही ज्यादा गंभीर जटिलताओं- जैसे दौरे पड़ना और यहां तक कि कोमा की स्थिति भी आ सकती है.
वाटर पॉइजनिंग और हाइपोनेट्रीमिया आमतौर पर सामान्य तरीके से पानी पीने पर नहीं होते हैं. पानी पीने के मुकाबले या मिलिट्री ट्रेनिंग में ज्यादा मात्रा में पानी पीने जैसे मामलों से वाटर पॉइजनिंग होती है.
स्पोर्ट्स साइंटिस्ट और परफॉर्मेंस कोच श्यामल वल्लभ जी कहते हैं, “आप वाटर पॉइजनिंग के मामले बहुत ज्यादा नहीं देखते हैं. यह डिहाइड्रेशन के मामलों की तुलना में बहुत कम आम है.”
अक्सर मिलिट्री ट्रेनिंग में सैनिकों में वाटर पॉइजनिंग देखी जाती है.
अमेरिकी सेना के एक अध्ययन में पाया गया कि वाटर पॉइजनिंग से तीन ट्रेनी की मौत हुई थी, जबकि एक साल के दौरान 17 और सैनिकों को वाटर इनटॉक्सिकेशन के चलते अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था.
ओवर हाइड्रेशन कुछ दूसरी वजहों से भी हो सकता है:
तेज एक्सरसाइज के दौरान ओवर हाइड्रेशन
मिलिट्री ट्रेनिंग में वाटर पॉइजनिंग की तरह ही तेज गर्मी या एक्सरसाइज के दौरान ओवर हाइड्रेशन आपके शरीर में सोडियम भंडार में कमी की वजह बन सकता है.
पसीना होने पर शरीर से निकले इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई करने वाले ड्रिंक के बजाय सिर्फ पानी पीने से वाटर इनटॉक्सिकेशन हो सकता है.
गर्मी से जुड़ा ओवर हाइड्रेशन
जब तापमान बढ़ता है, तो हमारा शरीर खुद को ठंडा रखने के लिए पसीना बहाता है. पसीना आने पर आप काफी तरल पदार्थ (fluids) भी गंवा देते हैं, जिससे प्यास बढ़ती है.
प्यास लगने पर हम पानी पीते हैं. लेकिन गर्मी 40 डिग्री सेल्सियस के पार जाने पर लगातार पानी पीने की चाह सीमा को पार कर रही है. फिर एक निश्चित बिंदु के बाद आप पसीने के जरिये इतना ज्यादा इलेक्ट्रोलाइट्स और फ्ल्यूड गंवा चुके होते हैं कि ज्यादा पानी पीने से असल में आपके इलेक्ट्रोलाइट्स और भी कम हो रहे होते हैं.
इससे सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, भ्रम और कुछ मामलों में वाटर पॉइजनिंग हो सकती है.
किडनी की बीमारी
अगर आप किडनी की गंभीर बीमारी या किडनी की दूसरी समस्याओं का शिकार हैं तो इससे आपके शरीर में फ्ल्यूड का जमावड़ा हो सकता है. ईआर स्पेशलिस्ट डॉ. अमित वर्मा बताते हैं, आपकी किडनी हर घंटे करीब आधा लीटर फ्ल्यूड शरीर से बाहर निकाल सकती है.
जब आप बहुत ज्यादा पानी पीते हैं, तो आपकी किडनी अतिरिक्त पानी को तेजी से बाहर नहीं निकाल पाती है, और इससे सोडियम का भंडार डाल्यूट हो जाता है. अगर आप किडनी की बीमारी का शिकार हैं तो हालात और खराब हो जाते हैं. इसके नतीजे में ऐंठन, मितली, बेहोशी आना, और अगर इलाज न किया जाए तो वाटर पॉइजनिंग हो जाती है.
MDMA जैसे एम्फेटेमाइंस का इस्तेमाल
MDMA (जिन्हें आम बोलचाल में ई, एक्स्टेसी, कैंडी कहा जाता है) जैसे शारीरिक गतिशीलता बढ़ाने वाले एम्फेटेमाइंस (amphetamines) के इस्तेमाल से थकान, बहुत ज्यादा पसीना आना और बहुत प्यास लग सकती है. कई बार इससे ओवर हाइड्रेशन हो जाता है.
ज्यादा शारीरिक गतिविधि और MDMA दोनों मिलकर यूरीन के जरिये आपके शरीर से निकालने वाले पानी की मात्रा ज्यादा हो जाती है, यह तेजी से इलेक्ट्रोलाइटडाल्यूशन, वाटर पॉइजनिंग और यहां तक कि मौत की वजह बन सकता है.
साइकोजेनिक पॉलीडिप्सिया
साइकोजेनिक पॉलीडिप्सिया (Psychogenic polydipsia) एक मानसिक बीमारी है, जो बहुत ज्यादा पानी पीने की ओर ले जाती है. इसे आमतौर पर खुद की वाटर पॉइजनिंग भी कहा जाता है. इस दशा में मरीज ज्यादा मात्रा में पानी पीने से शुरुआत करता है. यह तब तक जारी रहता है, जब तक कि मरीज वाटर पॉइजनिंग का शिकार न हो जाए. मरीज को अगर बिना इलाज छोड़ दिया जाता है, तो जल्द ही यह बीमारी जानलेवा हो सकती है या मरीज को बेहद खतरनाक हालत में पहुंचा सकती है.
जबरदस्ती ज्यादा मात्रा में पानी पीने से ऊपर बताई गई सभी परेशानियां हो सकती हैं- मितली, ऐंठन, भ्रम और यहां तक कि दौरे भी.
इंट्रावीनस फ्ल्यूड डिलीवरी
अगर आप अस्पताल में भर्ती हैं और आपको फ्ल्यूड देने के लिए इंट्रावीनस ड्रिपलगाई गई है, तो आपको जो फॉर्मूलेशन दिया जाएगा वह इलेक्ट्रोलाइट्स, फ्ल्यूडऔर दूसरे जरूरी विटामिन का सावधानी से बनाया संतुलित कॉम्बिनेशन होगा. फ्ल्यूड और इलेक्ट्रोलाइट्स का सही कॉम्बिनेशन नहीं होने पर आप जल्द फ्ल्यूड इनटॉक्सिकेशन का शिकार हो सकते हैं. इसके अलावा ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि आप सचेत रूप से कंट्रोल नहीं कर सकते कि आप कितना फ्ल्यूड लें.
सीधे कहें तो ज्यादा पानी न पिएं. लेकिन इससे बहुत ज्यादा मदद नहीं मिलेगी. इसलिए अगर आप गर्मी में ज्यादा समय बिता रहे हैं, या बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत कर रहे हैं, तो ख्याल रखें कि आप पानी पीते रहें, लेकिन यह भी ख्याल रखें कि आप नारियल पानी, छाछ, ओरल रीहाइड्रेशन साल्यूशन, चीनी और नमक के साथ नींबू का शरबत जैसे इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक पिएं. और ध्यान दें कि आप कैसा महसूस करते हैं.
अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो सादा पानी पीना बंद करें और इसके बजाय नमक डाला पानी पीएं या सिर्फ नमक लें.
हालांकि ये सभी सिर्फ टेम्पररी उपाय हैं, और अगर आपको शक है कि आपको वाटर इनटॉक्सिकेशन या वाटर पॉइजनिंग हो सकती है, तो आपको खुद को डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है.
मुश्किल यह है कि डिहाइड्रेशन और ओवरहाइड्रेशन दोनों में ही लोगों में एक जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं- इसलिए अगर आपको लगता है कि आप डिहाइड्रेटेड हैं जबकि असल में ओवर हाइड्रेटेड हैं, तो और ज्यादा पानी पीना बहुत खतरनाक है.
फिर से बताने की जरूरत नहीं है कि अगर आपको लगता है कि आप इनटॉक्सिकेशन का शिकार हैं, तो किसी मेडिकल एक्सपर्ट से मिलें.
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