COVID 19 की वजह से 2 साल घर में बंद रहे बच्चों ने कुछ हफ्तों पहले ही दोबारा स्कूल जाना शुरू किया है.
उसी दौरान देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी ने आम जनजीवन को परेशानी में डाल दिया है. अप्रैल में ही मई-जून जैसी गर्मी देखने को मिल रही है. मौसम की मार ने बड़ों और बच्चों में कई बीमारियों के साथ-साथ हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) के मामलों को भी बढ़ा दिया है.
स्कूल जाने वाले बच्चों का बुरा हाल है. ऐसी भीषण गर्मी में जब बच्चे चेहरे पर मास्क लगा कर स्कूल में घंटों बिताते हैं, तो मन में एक सवाल उठता है. क्या इस भयानक गर्मी में बच्चों का घंटों मास्क लगा कर रहना, उनकी सेहत के लिए सही है? पसीने से गीले मास्क पहने रखना दूसरी बीमारियों को न्योता देने जैसा तो नहीं?
वही दूसरी तरफ COVID 19 के धीरे-धीरे बढ़ते मामलों की तरफ भी ध्यान जाता है, तो लगता है शायद मास्क सही है. कोशिश होनी चाहिए कि स्कूल दोबारा बंद न हों. क्योंकि उसका कुप्रभाव बच्चों के विकास पर असर डालता है.
ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब के लिए फिट हिंदी ने इस विषय से जुड़े अनुभवी विशेषज्ञों से बात की.
न्यूयॉर्क जैसे शहर में जहां हर दिन कोविड के मामलों में भारी वृद्धि देखी जा रही है, वहां भी बच्चों के लिए स्कूल में मास्क अनिवार्य नहीं किया गया है.
इन 2 सालों में देखा गया है कि स्कूली उम्र के बच्चों में वयस्कों की तुलना, गंभीर COVID-19 का जोखिम बहुत कम होता है.
"स्कूल खुल गए हैं, बच्चे स्कूल जा रहे हैं. ऐसे में मास्क की सुरक्षा जरुरी है. मेरे हिसाब से मास्क से मिलने वाली सुरक्षा हमें जारी रखनी चाहिए" ये कहना है मेदांता हॉस्पिटल में चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन डॉ अरविंद कुमार का. वो आगे कहते हैं,
"इस समय कोविड का इन्फेक्शन देश से खत्म नहीं हुआ है और अगर हम बीते कुछ दिनों का डेटा देखें, तो कोविड के मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं. ये खतरा अभी टला नहीं है. नए वेरिएंट भी मिल रहे हैं. ऐसे में मास्क नहीं पहनना सही नहीं होगा. गर्मी है पर मास्क पहनने से जो सुरक्षा मिलेगी वो गर्मी की वजह से होने वाली असुविधा से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है. मैं डॉक्टर होने के नाते मास्क पहनने की सलाह दूंगा."डॉ अरविंद कुमार, चेयरमैन, चेस्ट सर्जरी , मेदांता हॉस्पिटल
बढ़ते COVID मामले और साथ ही बढ़ती गर्मी
डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूरोपीय रोग नियंत्रण केंद्र, भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी अभी के हालातों में बच्चों के लिए मास्क पहनने की वकालत नहीं की है.
विशेषज्ञों ने एक बात पर चिंता जताई है कि COVID के बढ़ते मामलों के बीच कहीं दोबारा स्कूल बंद करने की मांग न उठने लगे.
एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ चंद्रकांत लहारिया ने ‘द हिंदू’ में लिखे एक आर्टिकल में कहा है कि कोविड के मामले घटते-बढ़ते रहेंगे, पर हर राज्य की सरकार के पास ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए योजना पहले से तैयार रहनी चाहिए ताकि दोबारा स्कूल बंद करने की नौबत न आए.
डॉ चंद्रकांत लहारिया आगे लिखते हैं कि स्कूल बंद होने का सबसे बुरा प्रभाव निचले और माध्यम वर्गीय परिवार पर पड़ा है, जो पहले से ही प्रतिकूल परिस्थिति का सामना कर रहे थे. स्कूल बंद रखने के पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. बीते 2 सालों से स्कूल बंद रखने की अवधि को लेकर भारत पूरी दुनिया में सिर्फ यूगांडा से पीछे है.
हर साल कोविड के मुकाबले डेंगी, मलेरिया, डायरिया जैसी बीमारियों के कारण बच्चों का अस्पताल में भर्ती होने का आंकड़ा कोविड के सामने कहीं ज्यादा है. जब ऐसी स्थिति में हम स्कूल बंद नहीं करते तो COVID में क्यों करना? ये सवाल एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ चंद्रकांत लहारिया ने ‘द हिंदू’ में लिखे एक आर्टिकल में उठाया था.
एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ हिमांशु बत्रा ने भी बच्चों को स्कूल में मास्क पहनने की और स्कूल जारी रखने की सिफारिश की है.
क्या स्कूलों में मास्क पहनना अनिवार्य है?
"COVID के केस बढ़ रहे हैं. ये जो वायरस है, ये जाने वाला नहीं है. अलग-अलग रूप में आता रहेगा. मामले कभी बढ़ेंगे कभी घटेंगे. बच्चों में ज्यादातर मामले माइल्ड ही होंगे पर कुछ पक्के से कहा नहीं जा सकता है. जब मामले बढ़ रहे हैं, तो बेहतर होगा कि हम गाइडलाइन्स में बदलाव लाएं. मास्क स्कूल में अनिवार्य कर दें और स्कूल का समय कम कर सकें तो अच्छा होगा. क्योंकि बच्चे ज्यादा देर तक मास्क में नहीं रह पाएंगे."डॉ हिमांशु बत्रा, पीडीऐट्रिक कन्सल्टंट, एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल
हमारे देश में 31 मार्च 2022 से कोविड गाइडलाइन्स में कई बदलाव आए हैं. कोविड से जुड़े अधिकतर नियमों को हटा लिया गया है लेकिन मास्क लगाने को लेकर नियम जारी है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी सुरक्षा उपाय भी जारी रखें गए हैं.
हालांकि केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कोरोना से जुड़े नियमों को खत्म करने का फैसला राज्यों पर छोड़ दिया है. वहीं कोविड मामलों के बढ़ने की स्थिति में राज्य सरकार अपनी तरफ से रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठा सकती है.
गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि उनके स्कूल को सरकार या शिक्षा विभाग से ऐसा कोई गाइडलाइन्स स्कूल खुलने के बाद नहीं मिला है, जिसमें स्कूल के दौरान बच्चों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य होने की बात कही गयी हो.
दूसरी तरफ मीडिया रिपोर्टस के अनुसार कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जहां बच्चों का स्कूल के दौरान मास्क पहनना स्कूल अथॉरिटी ने अनिवार्य किया हुआ है.
बच्चों को मास्क पहनने से होती हैं ये परेशनियां
चेहरे पर मास्क लगे होने के कारण बच्चों और शिक्षकों को एक दूसरे की बात सही तरह से समझने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है. खास कर विशेष आवश्यकता वाले बच्चे इससे पीड़ित हैं.
चेहरे के संकेतों के बिना छोटे बच्चे भावनात्मक कौशल विकसित नहीं कर सकते हैं और इस कारण बच्चों को शिक्षकों और सहपाठियों के साथ जुड़ने में मुश्किल हो रही है.
कई सालों बाद ऐसी गर्मी आ गई है. भीषण गर्मी और उमस में, हमारे बच्चों के मास्क गीले हो जाते हैं, जो उनकी नाक और मुंह के पास बैक्टीरिया के पनपने के लिए उपयुक्त वातावरण बना देते हैं.
डॉक्टरों ने सुझाए उपाय
स्कूल और बस में मास्क पहन कर रखें
मास्क 2 परत वाले कॉटन कपड़े के या सर्जिकल मास्क हों
गर्मी में पसीने से गीला मास्क न पहने, उसके लिए 1 एक्स्ट्रा मास्क बच्चे साथ रखें
दौड़ते समय और सीढ़ियां चढ़ते समय बच्चे मास्क का प्रयोग न करें
बच्चों के लिए N95 मास्क की जरुरत नहीं है
खाना खाने से पहले हाथों को जरुर साफ करें
सर्दी-खांसी, बुखार, पेट खराब या किसी भी तरह से अस्वस्थ होने पर स्कूल न जाएं
"कोविड के मामले में मैं ऐसा मानता हूं कि कम सावधानी बरतने से कहीं बेहतर है, थोड़ी ज्यादा सावधानी बरतना. मेरे हिसाब से सरकार को नए दिशानिर्देश लाने चाहिए, जिसमें अगले 2-3 हफ्तों तक स्कूल और स्कूल बस के अंदर बच्चों को मास्क, जो कॉटन या सर्जिकल हो, पहनना अनिवार्य कर देना चाहिए. साथ ही जो बच्चे टीकाकरण की उम्र के हैं उन्हें टीका जरुर लगवाना चाहिए".डॉ अरविंद कुमार, चेयरमैन, चेस्ट सर्जरी , मेदांता हॉस्पिटल
स्कूल बंद होने से बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
एक बात पर एक्स्पर्ट्स एक दूसरे से पूरी तरह से सहमत हैं कि स्कूल दोबारा बंद नहीं होने चाहिए. स्कूल बंद होने का प्रभाव बच्चों के विकास पर असर डालता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)