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कोविड के बढ़ते प्रकोप ने ना केवल चीन की नींद उड़ा दी है बल्कि दुनिया के दूसरे देशों की चिंता भी बढ़ा दी है. भारत में पिछले 24 घंटे में कोविड के 185 नये मामले सामने आए हैं. ऐसे तो भारत में कोविड मामलों में अभी भी गिरावट देखी जा रही है, पर कोविड और उसके विकराल रूप को हम भारतीय भूल नहीं पाए हैं. ऐसे में हम भारतीयों के मन में कई सवाल चल रहे हैं, तो जानते हैं एक्सपर्ट्स से कोविड से जुड़े जरुरी सवालों के जवाब.
क्या चीन की स्थिति देख भारत को डरना चाहिए?
गुड़गांव, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में डायरेक्टर- इंटरनल मेडिसिन, डॉ. सतीश कौल फिट हिंदी से कहते हैं, "हमें भारत में सावधानी जरुर बरतनी चाहिए लेकिन चीन में फिलहाल जो हो रहा है उससे ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि चीन वह देश है, जहां सरकार ने कोविड के मामले में बेहद सख्त और कड़ी नीतियों को लागू किया था जिसे जीरो कोविड नीति कहते हैं. मेरा मानना है कि जीरो कोविड पॉलिसी हर हाल में फेल होगी. इस बीच, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों ने जीरो कोविड नीति को हटाकर इस साधारण सिद्धांत का पालन किया कि इंफेक्शन समाज में फैलने से नहीं रोका जाए और वैक्सीनेशन अपनी जगह काम करता रहे. चीन भी अब ऐसा ही कर रहा है".
वहीं क्विंट हिंदी को दिए इंटरव्यू में डॉ चंद्रकांत लहरिया ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए.
क्या भारत में BF.7 वेरिएंट आ चुका है?
डॉ चंद्रकांत लहरिया कहते हैं, "भारत में पहले भी ओमिक्रॉन का BF.7 वेरिएंट पाया गया था लेकिन वो तेजी से नहीं फैला. इसलिए इस बार भी डरने की जरूरत नहीं है. भारत में कोविड इन्फेक्शन 90% आबादी को हो चुका है. भारत कोरोना की तीन लहर सह चुका है और इसके बाद लगभग 97% आबादी ने वैक्सीन की पहली डोज ली हुई है और लगभग 90% आबादी ने वैक्सीन की दूसरी डोज ली है. कई लोग अब बूस्टर डोज भी ले रहे हैं".
जिन्हें पहले कोविड हो चुका है और वैक्सीन की 2 डोज लग गई हो, क्या उन्हें BF.7 से खतरा है?
डॉ. सतीश कौल फिट हिंदी से कहते हैं, "BF.7 वेरिएंट दरअसल, एक प्रकार का ओमिक्रॉन कोरोनावायरस ही है, जिसने अब चीन में कोविड की नई लहर को जन्म दिया है और इसकी गिरफ्त में वे लोग भी आ रहे हैं, जो वैक्सीन की दो खुराक पहले ही ले चुके हैं. लेकिन यह वायरस इंफेक्शन भी ओमिक्रॉन जैसा ही है, इसलिए ज्यादा चिंताजनक नहीं है. जिन लोगों ने पहले ही वैक्सीन की दो खुराक ली हैं और जिन्हें कोविड इंफेक्शन हो चुका है, वे वैक्सीन की एक और प्रीकॉशनरी डोज ले सकते हैं, खासतौर से वे बुजुर्ग जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है या जो डायलसिस पर हैं या किसी अन्य पुराने रोग से जूझ रहे हैं".
कोविड वैक्सीन का असर कब तक रहता है शरीर में?
डॉ. राजीव गुप्ता के अनुसार कोविड वैक्सीन का असर कुछ लोगों में 6 से 8 महीने और कुछ लोगों में 1 साल तक देखा गया है. ये असर पता करने के लिए कोविड का एंटीबॉडी टेस्ट कराना पड़ेगा. तभी पता लग पाएगा कि आपकी पहले ली हुई वैक्सीन का असर शरीर में है या नहीं. जो लोग सचेत रहना चाहते हैं वो ये टेस्ट करा सकते हैं. अगर कुछ समय पहले एंटीबॉडी टेस्ट हो चुका है, वो दोबारा करा लें क्योंकि समय के साथ-साथ कोविड वैक्सीन का असर भी कम होता जाता है. अगर एंटीबॉडी टेस्ट में लेवल कम आता है तो समझें असर कम हो रहा है और बूस्टर डोज की जरूरत है.
क्या वैक्सीन और बूस्टर डोज लोगों को BF.7 से संक्रमित होने से बचाएगी?
डॉ. राजीव गुप्ता के कहा, "काफी हद तक बचाएगी और मेरी सलाह है कि बूस्टर डोज सब को लेनी चाहिए. खासतौर तौर पर बुजुर्ग और गंभीर बीमारी के शिकार लोगों को. बूस्टर डोज से BF.7 के संक्रमण होने की आशंका कम हो जाती है, लगभग 70-80% तक. आप BF.7 के संक्रमण से बच कर निकल सकते हैं. अगर आपने वैक्सीन की सही खुराक नहीं ली है, तो संक्रमण का खतरा आपको ज्यादा है".
जिन्हें बूस्टर डोज लगे हुए 6 महीने से ऊपर हो गए हैं, क्या वो अब भी सुरक्षित हैं?
डॉ सतीश कौल फिट हिंदी से कहते हैं, "जिन लोगों को वैक्सीन लिए छह महीने से अधिक हो चुके हैं और जिन्हें कोविड इंफेक्शन भी हो चुका है, वे इस रोग की गंभीरता से अपेक्षाकृत (relatively) ज्यादा बचे रहेंगे. मैं यह नहीं कहूंगा कि उन्हें अब इंफेक्शन नहीं होगा. लेकिन हां, यदि इंफेक्शन होता है, तो भी वह अधिक गंभीर नहीं होगा या वे अस्पताल के आईसीयू में अथवा वेंटिलेटर पर पर नहीं पहुंचेंगे. इस तरह वैक्सीन उस आबादी के मामले में कोविड के खतरे से बचाव करती है, जो इसे ले चुके हैं".
5-11 साल (बिना वैक्सीन) के स्कूल जाने वाले बच्चों को कैसे सुरक्षित रखें?
डॉ. राजीव गुप्ता कहते हैं, "इन बच्चों में वैक्सीन के लिए अभी तक सरकार की तरफ से कोई गाइडलाइन नहीं आयी है. मगर सरकार ने अभी एक नेजल वैक्सीन को मंजूरी दे दी है, जो मेरे ख्याल से 1-2 दिनों में मिलनी शुरू हो जाएगी. इसे लेना बेहद आसान होगा. मेरे ख्याल से शायद ये 5 से 11 साल के बच्चों के लिए भी असरदार हो सकती है. याद रखें 5 से 11 साल के बच्चे भी सुरक्षित नहीं हैं, इसलिए उनको भी वैक्सीन किसी ना किसी तरीके से लगनी जरुरी है. सरकार कोशिश कर रही है और जल्द ही इस पर कुछ नई गाइडलाइन आएगी सरकार की तरफ से ताकि इस उम्र वर्ग के बच्चे भी सुरक्षित रह सकें".
12 साल से बड़े बच्चे कितने सुरक्षित हैं कोविड वैक्सीन की 1 या 2 डोस ले कर?
डॉ. राजीव गुप्ता कहते हैं, "जिन बच्चों ने अभी तक (12 से बड़े और 18 साल से छोटे) कोविड वैक्सीन की 1 डोज ली है वो 2 डोज लेने वाले बच्चों से कम सुरक्षित हैं. इसलिए 2 डोज लेना बहुत जरुरी है. मैं यहां दोबारा कहना चाहूंगा कि बॉडी में एंटीबॉडी कितनी है उस पर सुरक्षा निर्भर करती है".
अभी हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
सबसे पहले कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करें. जिन लोगों ने मास्क का इस्तेमाल सही ढंग से किया, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखा, हाथों को बार-बार साबुन से साफ रखा और साथ ही बाकी कोविड के नियमों का पालन किया, उन्हें संक्रमण हुआ मगर वो उससे आसानी से बच कर निकल आए.
पब्लिक प्लेस में मास्क का प्रयोग करें
सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) बनाए रखें
बच्चों को कोविड के नियमों का पालन करना सीखाएं
कोविड वैक्सीन और बूस्टर डोज जरुर लें
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