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Dengue Outbreak In Delhi: डेंगू (Dengue) के बढ़ते मामलों ने देश के कई हिस्सों में चिंता का माहौल बना दिया है. दिल्ली में डेंगू के मरीजों की संख्या पांच सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. इस साल डेंगू के मामले मौसम की शुरुआत में ही बढ़ कर आने लगे हैं. जिसमें पिछले सप्ताह पूरे भारत में 1100 से अधिक मामले सामने आए और 160 से भी ज्यादा मामले सिर्फ दिल्ली में दर्ज किए गए हैं.
आखिर अचानक क्यों बढ़ रहे हैं डेंगू के मामले? डेंगू का कौन सा स्ट्रेन है इसका जिम्मेदार? क्या डेंगू का वायरस बदल रहा है? क्या हैं लक्षण और बचाव के उपाय? डेंगू होने पर क्या करें? डेंगू से जुड़े जरुरी सवालों के जवाब जानते हैं एक्सपर्ट्स से.
यह साल का वो समय है जब मच्छर से होने वाली बीमारियां बढ़ जाती हैं. जिसमें डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया सबसे आम माना जाता है.
दिल्ली में डेंगू फीवर की बढ़ती स्थिति को देखते हुए, दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने 30 जुलाई को कहा कि दिल्ली सरकार ने अधिकारियों को स्कूलों और आम लोगों के बीच डेंगू के संबंध में अभियान चलाने का निर्देश दिया, जिससे वायरस के फैलने पर रोक लगाई जा सके.
द्वारिका, एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल के डॉ. संजय गुप्ता फिट हिंदी से कहते हैं, "डेंगू मामलों में एकदम उछाल इसलिए आया है क्योंकि दिल्ली एनसीआर के अंदर जल जमाव बढ़ गया है. बहुत ज्यादा बारिश होने की वजह से बाढ़ आई, जिसके कारण दिल्ली के निचले इलाकों में पानी लग गया है. जिसमें मच्छर का लारवा तेजी से बढ़ा है".
जिन विशेषज्ञों से हमने बात की, उनके अनुसार, डेंगू हर मानसून में आता है, इसलिए साल के इस समय में मामलों में बढ़ोतरी विशेष रूप से असामान्य या चिंताजनक नहीं है.
हालांकि, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के नेतृत्व में किए गए एक हालिया स्टडी से पता चलता है कि वायरस भारतीय उपमहाद्वीप में नाटकीय रूप से विकसित हो रहा है.
संक्षेप में, डेंगू वायरस के चार सीरोटाइप हैं (DENV-1,2,3,4). रिसर्च के शोधकर्ताओं के अनुसार, DENV 1 और DENV 3 लगभग 2012 तक भारत में प्रमुख उपभेद (major strain) थे.
हालांकि, DENV 2 - जिसके कारण बाकी तीन की तुलना में गंभीर लक्षण होने की अधिक आशंका है, हाल के वर्षों में अधिक प्रभावी हो गया है.
WHO ने डेंगू को 2 प्रमुख श्रेणियों में बांटा है: डेंगू (लक्षणों और बिना लक्षणों के साथ) और गंभीर डेंगू. डेंगू के लक्षण हैं ये:
आंखों की पिछली तरफ दर्द
मांसपेशियों में दर्द
जोड़ों में दर्द
सिर घूमना
उल्टी आना
रैश
डॉक्टरों को इन लक्षणों पर विशेष रूप से गौर करना चाहिए:
पेट में तेज दर्द
लगातार उल्टियां होना
तेज-तेज सांस लेना
मसूढ़ों या नाक से खून आना
थकान
बेचैनी
उल्टी
स्टूल में खून आना
डॉ. संजय गुप्ता आगे कहते हैं कि कम्युनिटी और सरकार दोनों का इस में रोल है और दोनों को बेहतर तरीके से काम करना होगा ताकि डेंगू-मलेरिया के प्रकोप जैसी स्तिथि न बने.
इसके लिए ये उपाय आवश्यक हैं:
वेक्टर हॉटस्पॉट की जांच करके मच्छरों को पनपने से रोकें
घरों में पानी के बर्तनों को ढक कर रखें
कचरे को सही तरीके से डिस्पोज करें
गमले में लगे पौधों से जमा पानी हटाएं
पानी के कंटेनरों को ढंक कर और साफ रखें
कीटनाशकों का छिड़काव करवाएं
घर की खिड़कियों पर जाली लगाएं
मच्छर भगाने वाले साधनों का उपयोग करें
ऐसे कपड़े पहने जिनसे त्वचा ढकी रहे
इससे घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधानी बरतने की आवश्यकता है. डेंगू के मच्छर को पनपने से रोकें और लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से मिलें.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, 70-80% डेंगू के मामले सही हाइड्रेशन, हाइजीन और आराम करने से सुधार में आ सकते हैं. केवल 15-20% मामले को मॉनिटर करने की जरूरत पड़ती है और मुश्किल से 3-5% मामलों में हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है.
पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें.
अपने डॉक्टर की सलाह के मुताबिक बार-बार प्लेटलेट्स की जांच करवाते रहें
अगर कोई भी गंभीर लक्षण दिखायी दे, प्लेटलेट्स काउंट घट जाए या पानी की कमी होने का लक्षण दिखायी दे, तो तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहिए.
इन स्थितियों में अपने डॉक्टर या नजदीकी हॉस्पिटल से संपर्क करें:
मरीज का बुखार नहीं उतरे
पेशाब कम हो
पानी नहीं पिया जाए
पेशाब में खून आए
मसूड़ों से खून आए
बदन पर लाल चकत्ते आ जाएं
मरीज का प्लेटलेट्स 40000-50000 से कम हो जाए तो तुरंत हॉस्पिटल ले जाएं
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