advertisement
Electric Shock First Aid: इलेक्ट्रिक शॉक यानी बिजली का झटका कई बार जानलेवा साबित होता है. इसे बोलचाल की भाषा में करंट लगना भी कहते हैं. अगर सावधानी नहीं बरती जाए तो हमारे आसपास ऐसी कई चीजें मौजूद होती हैं, जिससे इलेक्ट्रिक शॉक यानी बिजली का झटका लग सकता है.
फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से जाना कि करंट लगने पर क्या करना चाहिए? करंट लगने से हेल्थ को क्या नुकसान होता है? करंट लगने पर क्या लक्षण देखने को मिल सकते हैं? करंट लगने पर क्या है फर्स्ट ऐड का तरीका? मेडिकल इमरजेंसी कब होती है? अगर नार्मल सा करंट लगा हो तो क्या करें? करंट लगने का लॉन्ग टर्म इफेक्ट क्या होता है?
जब किसी दूसरे को करंट लगता है, तो ऐसे में पहला कदम होता है व्यक्ति की स्थिति को समझाना. ऐसे में इन बातों को ध्यान में रखें:
क्या सांस लेने में कोई परेशानी हो रही है?
हाथ की कलाई पर 5 सेकंड के लिए नब्ज की जांच करें
स्किन में जलन/बर्न की जांच करें
व्यक्ति होश में है या नहीं?
कार्डिएक अरेस्ट या हार्ट अटैक की स्थिति तो नहीं है?
एक बार जब व्यक्ति का संपर्क बिजली से टूट जाए तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं. डॉक्टर से संपर्क होने तक फर्स्ट एड देना मदद कर सकता है. कोई एब्नार्मल लक्षण दिखे, तो डॉक्टर को अवश्य बताना चाहिए. करंट लगने के कारण बने घाव वाले स्थान को भी साफ और स्वच्छ रखना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन से बचा जा सके.
करंट लगने के मामले में शरीर पर कई लक्षण दिख सकते हैं, जिससे स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. ये लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं, जो इलेक्ट्रिक शॉक के प्रभाव की तीव्रता और अवधि पर निर्भर करते हैं.
लक्षणों की बात करें, तो व्यक्ति को दौरा पड़ सकता है और करंट लगने के स्थान पर छाला पड़ सकता है. कुछ लोगों के दिल या दिमाग पर असर पड़ सकता है, जिससे उनके व्यवहार में बदलाव देखने को मिल सकता है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, फर्स्ट एड के रूप सबसे पहले चोट को साफ पानी से धोना चाहिए. इसके बाद सूजन रोकने के लिए ठंडे पानी या बर्फ की सिकाई करनी चाहिए. व्यक्ति की सांस और नब्ज की जांच करें और जरूरत पड़ने पर सीपीआर दें. इन शुरुआती कदमों के बाद बिना समय गंवाए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
कम से कम 20 मिनट के लिए जली हुई जगह को खुले नल वाले पानी के नीचे रखें और फिर उसे एक स्वच्छ गौज-बैंडेज से ढ़कें.
समय रहते हुई इन्टरवेंशन आगे होने वाली समस्याओं से बचाव में मदद कर सकती है और प्रभावित व्यक्ति के लिए उचित इलाज सुनिश्चित कर सकती है.
करंट से लगने वाली चोटों की सीमा इतनी हल्की हो सकती है जैसे कि कोई लक्षण न हो या जीवन के लिए खतरा जैसी गंभीर स्थिति भी हो सकती है.
इससे त्वचा, मांसपेशियां, ब्लड, नसों को भारी नुकसान भी हो सकता है, जो कि अक्सर हाथ या पैर में होता है. साथ ही, दिल, दिमाग और शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंच सकता है.
करंट लगने के बाद लॉन्ग टर्म इफेक्ट उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है. किसी-किसी व्यक्ति को तेज सिरदर्द या झनझनाहट का सामना लंबे समय तक करना पड़ता है. घाव के कारण भी शरीर पर स्थायी दुष्प्रभाव पड़ सकता है.
कुछ लॉन्ग टर्म असर ये हो सकते हैं:
नींद में कठिनाई
बेचैनी और स्ट्रेस
सुस्ती रहना
शरीर में क्रॉनिक पेन
प्रभावित क्षेत्रों में कमजोरी
कॉन्सेंट्रेशन में परेशानी
खुजली (प्रुराइटस)
बारिश के मौसम में या किसी लापरवाही से कई बार हल्का करंट लग जाता है.
ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं.
छोटी जलन पर ड्रेसिंग कर दें.
दर्द के लिए डॉक्टर से पूछ पेनकिलर दे दें.
अगर करंट लगने से घाव नहीं हुआ है और व्यक्ति होश में है, तो उसे तुरंत खुली हवा में बैठाएं.
अगर पानी पिलाना हो तो गुनगुना पानी ही दें.
व्यक्ति को ठंड न लगने दें. जरूरत लगे तो कंबल ओढ़ा सकते हैं.
थोड़ी देर में स्थिति सामान्य न हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें.
हल्का करंट लगने पर सुरक्षा को प्राथमिकता देना और तुरंत कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है. अगर संभव हो तो पावर सोर्स को बंद करें और बिजली से जुड़े उपकरण को ऑफ कर दें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined