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World Heart Day: डायबिटीज और दिल से जुड़े रोगों के बीच क्या है कनेक्‍शन?

डायबिटीज से ग्रस्‍त लोगों में हार्ट रोगों की आशंका उनके मुकाबले अधिक होती है, जो डायबिटीज मरीज नहीं हैं.

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World Heart Day 2023: डायबिटीज मेलाइटस रोग दुनियाभर में बड़े पैमाने पर फैल चुका है. यह एक क्रोनिक मैटाबोलिक डिसॉर्डर है, जिसमें ब्लड ग्‍लूकोज लेवल बढ़ जाता है. वैसे तो लोगों को ब्लड शुगर के बारे में काफी कुछ जानकारी है, लेकिन डायबिटीज हमारे कार्डियोवास्‍क्‍युलर सिस्‍टम पर क्‍या और किस प्रकार असर डालता है, जिसके कारण कई तरह के हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है, उस पर बात करनी जरूरी है.

यहां डायबिटीज और कार्डियोवास्‍क्‍युलर जटिलताओं के रिश्‍तों पर रोशनी डाला जा रहा है और यह भी बताया जा रहा है कि इस रोग का जल्दी पता लगाने, बचाव और इसके मैनेजमेंट के लिए कैसे उपाय किए जाने चाहिए.

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क्‍या है डायबिटीज और हार्ट रोगों के बीच कनेक्‍शन?

डायबिटीज और कार्डियोवास्‍क्‍युलर जटिलताओं के बीच गहरा नाता होता है और इस बात से किसी को इंकार नहीं है. डायबिटीज से ग्रस्‍त लोगों में हार्ट रोगों की आशंका उनके मुकाबले अधिक होती है, जो डायबिटीज मरीज नहीं हैं.

डायबिटीज के मरीजों में सबसे आम कार्डियोवास्‍क्‍युलर जटिलताओं में शामिल हैं:

  • कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी): डायबिटीज की वजह से एथेरोस्‍क्‍लेरोसिस की रफ्तार बढ़ती है, जिसमें धमनियां अधिक सख्‍त और संकुचित होने लगती हैं और इस वजह से कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) का जोखिम बढ़ता है. डायबिटीज रोगियों में हार्ट अटैक का जोखिम दो से चार गुना ज्‍यादा होता है.

  • स्‍ट्रोक: डायबिटीज के कारण इस्‍केमिक स्‍ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि यह ब्‍लड क्‍लॉट का कारण बनता है और ब्लड वेसल्स के नॉर्मल फंक्‍शन को प्रभावित करता है. इसके अलावा, डायबिटीज मरीजों में स्‍ट्रोक के कारण विकलांगता और मृत्यु की आशंका भी अधिक होती है.

  • पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (पीएडी): डायबिटीज से ग्रस्‍त मरीजों में पीएडी का खतरा ज्‍यादा होता है. इस डिसऑर्डर में ब्लड वेसल्स में ब्लड प्रवाह कम होता है, जिसके कारण पैरों में दर्द और एम्‍यूटेशन का जोखिम भी बढ़ जाता है.

  • हार्ट फेल होना: डायबिटीज की वजह से हार्ट फेल होने का खतरा काफी बढ़ जाता है, इस कंडीशन में हार्ट कारगर तरीके से ब्‍लड पम्‍प नहीं कर पाता जिस कारण थकान, सांस फूलने और शरीर में पानी जमा होने जैसी समस्‍याएं बढ़ जाती हैं.

कैसे बढ़ती हैं डायबिटीज में कार्डियोवास्‍क्‍युलर जटिलताएं?

डायबिटीज मरीजों में कार्डियोवास्‍क्‍युलर जोखिम बढ़ाने के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार होते हैं, जैसे कि:

  • हाइपरग्‍लाइसीमिया: शरीर में अधिक ब्‍लड ग्‍लूकोज लेवल के चलते कुछ समय बाद धमनियों को नुकसान पहुंचता है, जो एथेरोस्‍क्‍लेरॉसिस और धमनियों में ब्‍लड क्‍लॉट को बढ़ाता है.

  • इंसुलिन रेजिस्‍टेंस: टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन रेजिस्‍टेंस सबसे प्रमुख लक्षण होता है. असामान्य लिपिड प्रोफाइल, बढ़ा हुआ टाइग्लिसराइड्स और एचडीएल कलेस्‍ट्रोल की कमी एथेरोस्‍क्‍लेरॉसिस का कारण बनते हैं.

  • इंफ्लेमेशन: डायबिटीज के कारण क्रोनिक इंफ्लेमेशन एक आम लक्षण है और इसकी वजह से भी कार्डियोवास्‍क्‍युलर जटिलताएं पनपती हैं. ये एंडोथीलियल डिस्‍फंक्‍शन और ब्लड वेसल्स में प्‍लाक बनने का कारण भी है.

  • ऑक्‍सीडेटिव स्ट्रेस: डायबिटीज से शरीर में ऑक्‍सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है, जिसके कारण कोशिकाओं और टिश्युओं को नुकसान पहुंचता है. यह कार्डियोवास्‍क्‍युलर सिस्‍टम के लिए भी नुकसानदायक होता है.

ये हैं बचाव और रोग को मैनेज करने के उपाय

डायबिटीज संबंधी कार्डियोवास्‍क्‍युलर जटिलताओं से बचने के लिए कई रणनीतियों की जरूरत होती है:

  • ब्लड शुगर कंट्रोल: शरीर में ब्लड ग्‍लूकोज लेवल की सही मात्रा बनाए रखने के लिए लाइफस्‍टाइल में बदलाव, दवाओं का सेवन और इंसुलिन थेरेपी महत्‍वपूर्ण है ताकि कार्डियोवास्‍क्‍युलर रिस्‍क को कम किया जा सके.

  • ब्‍लड प्रेशर मैनेजमेंट: हाइपरटेंशन को कंट्रोल करना बहुत जरूरी होता है क्‍योंकि हाई ब्लड प्रेशर की वजह से डायबिटीज मरीजों की कार्डियोवास्‍क्‍युलर प्रणाली और भी अधिक प्रभावित होती है.

  • लिपिड मैनेजमेंट: जरुरी होने पर दवाओं के सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करना चाहिए और साथ ही, दिल की सेहत को ध्यान में रखकर खुराक लेनी चाहिए ताकि एथेरोस्‍क्‍लेरॉसिस का जोखिम कम से कम हो.

  • लाइफस्‍टाइल में बदलाव: नियमित रूप से फिजिकल एक्सरसाइज करना, संतुलित खानपान और धूम्रपान से परहेज करने से आपके कार्डियोवास्‍क्‍युलर जोखिम कम होते हैं.

  • दवाओं का सेवन: जोखिम कम करने के लिए व्‍यक्तिगत प्रोफाइल के आधार पर, जैसे कि एस्प्रिन, स्‍टेटिन्‍स और एंटीकॉग्‍यूलेंट लेने की सलाह दी जाती है.

बतौर कार्डियोलॉजिस्‍ट, मैं डायबिटीज और कार्डियोवास्‍क्‍युलर जटिलताओं के आपसी रिश्तों को बखूबी समझता हूं. बेशक, ये जटिलताएं व्‍यक्तिगत हेल्थ की दृष्टि से काफी गंभीर हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि इनसे बचा नहीं जा सकता. समय से निदान, जरूरी मैनेजमेंट और लाइफस्‍टाइल पर पूरा फोकस रखकर हम काफी हद तक डायबिटीज के दिल पर पड़ने वाले प्रभावों को कम कर सकते हैं. डायबिटिक मरीजों को अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से मिलकर अपने लिए एक पर्सनलाइज्‍़ड प्‍लान बनवाना चाहिए जो उनके रिस्क फैक्‍टर्स को ध्‍यान में रखे और बेहतर हार्ट हेल्थ के साथ-साथ उनकी लाइफ क्‍वालिटी को भी बेहतर बनाने में मददगार साबित हो.

(यह आर्टिकल गुरुग्राम, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट में कार्डियोलॉजी विभाग के कंसलटेंट डॉ. रोहित गोयल ने फिट हिंदी के लिये लिखा है.)

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