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Water Intoxication: अधिक पानी पीने से हो सकती है मौत, कितना पानी पीना है सेफ?

Water Toxicity: पानी बहुत अधिक मात्रा में पीना कई मुसीबतों का कारण बन सकता है.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>Over Hydration And&nbsp;Water Intoxication:&nbsp;ज्यादा पानी पीने से होने वाली इमरजेंसी की स्थिति में क्या करें?</p></div>
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Over Hydration And Water Intoxication: ज्यादा पानी पीने से होने वाली इमरजेंसी की स्थिति में क्या करें?

(फोटो: नमिता चौहान)

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Water Intoxication: एक 35 वर्षीय अमेरिकी महिला, जिसकी पहचान एशले समर्स के रूप में की गई है, कथित तौर पर 'वाटर टॉक्सीसिटी' के कारण उनकी मृत्यु हो गई. कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जब वह 4 जुलाई को अपने परिवार के साथ बाहर थीं, तो उन्होंने 'बहुत अधिक डीहाइड्रेशन' महसूस किया. उसके बाद वो 20 मिनट में 4 बोतल पानी पी गईं.

पानी आवश्यक है, क्योंकि मानव शरीर में 70% पानी है. गर्मी के मौसम में डीहाइड्रेशन बहुत जल्दी हो सकता है लेकिन जहां डीहाइड्रेशन स्पेक्ट्रम के एक छोर पर है, वहीं ओवर हाइड्रेशन दूसरी छोर पर.

वॉटर टॉक्सिसिटी किसे कहते हैं? कितनी मात्रा में पानी पीना सेफ है? ज्यादा पानी पीने पर क्या होता है? ज्यादा पानी पीने से होने वाली इमरजेंसी की स्थिति में क्या करें? क्या ओवरहाइड्रेशन और वॉटर इनटॉक्सिकेशन दोनों एक हैं? इन सवालों के जवाब को बेहतर तरीके से समझने के लिए फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से बात की.

वॉटर टॉक्सिसिटी किसे कहते हैं?

वॉटर टॉक्सिसिटी को ‘वॉटर इनटॉक्सिकेशन’ या ‘हाइपोनेट्रीमिया’ भी कहते हैं.

वॉटर टॉक्सिसिटी एक ऐसी स्थिति है, जो तब होती है जब आप या तो कम समय में बड़ी मात्रा में पानी पीते हैं, या यदि आपके गुर्दे पिये जा रहे पानी को उतनी तेजी से प्रोसेस नहीं कर पाते हैं, जितना आप पी रहे हैं.

"वॉटर टॉक्सिसिटी एक ऐसी जीवनघाती स्थिति को कहते हैं, जो कम समय में पिये जाने वाले पानी की बहुत अधिक मात्रा के सेवन से पैदा होती है."
डॉ. अनुराग अग्रवाल, कंसलटेंट – इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद

वॉटर टॉक्सिसिटी की वजह से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन खासतौर से हाइपोनेट्रेमिया पैदा होता है (सीरम सोडियम लेवल में अचानक गिरावट) जिसका समय रहते इलाज न होने पर यह घातक भी हो सकता है.

"इसमें बहुत अधिक पानी पीने के कारण शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स, विशेषकर सोडियम का असंतुलन हो जाता है."
डॉ. पारितोष बघेल, सीनियर कंसलटेंट-इंटरनल मेडिसिन, एसएल रहेजा हॉस्पिटल, माहिम

हाइपोनेट्रेमिया से बचाव के लिए शुरू में ही इसका पता लगाना और समय पर मेडिकल उपचार करना जरूरी होता है क्योंकि ऐसा नहीं करने पर दौरा पड़ना, बेहोशी और यहां तक कि अधिक गंभीर परिस्थिति में मृत्यु तक होने की आशंका रहती है.

कितनी मात्रा में पानी पीना सेफ है?

आजकल हेल्थ पर ध्यान देने वाला वर्ग पानी को वजन कम करने या सही वजन को बनाए रखने के लिए टूल के रूप में इस्तेमाल करता है. ये सच है कि पानी बेस्ट डिटॉक्सिफाइंग पदार्थ है.

"पानी जीरो कैलोरी (कैलोरी मुक्त पेय) होता है और यह डिटॉक्सिफाइंग भी होता है. यही कारण है कि बहुत से लोगों को लगता है कि जितना हो सके उतना पानी पीना चाहिए क्योंकि ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है और इससे डीहाइड्रेशन से भी बचाव होता है."
प्राची जैन, चीफ क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट एंड एचओडी, सीके बिरला अस्पताल, गुरुग्राम

लेकिन पानी बहुत अधिक मात्रा में पीना कई मुसीबतों का कारण भी बन सकता है.

डॉ. अनुराग अग्रवाल फिट हिंदी से कहते हैं, " शरीर में कितनी मात्रा में पानी का सेवन सुरक्षित है, यह व्यक्ति की उम्र, वजन, गतिविधियों, जलवायु और उसके स्वास्थ्य पर निर्भर होता है. लेकिन इस मामले में अमूमन "8x8 नियम" का पालन करना सुरक्षित माना जाता है, जिसका मतलब है प्रतिदिन आठ-औंस गिलास पानी के पीने से शरीर को नुकसान नहीं होता, यानी करीब 2 लीटर या आधा गैलन. औसत वयस्क को हर दिन इतनी मात्रा में पानी पीना चाहिए".

  • वयस्क पुरुषों के लिए प्रतिदिन 3.7 लीटर (करीब 13 कप) पानी का सेवन (जिसमें सभी पेय पदार्थ और पानी से भरपूर खाद्य पदार्थ भी शामिल होते हैं) सुरक्षित माना जाता है.

  • वयस्क महिलाओं के लिए प्रतिदिन 2.7 लीटर (करीब 9 कप) पानी का सेवन (जिसमें सभी पेय पदार्थ और पानी से भरपूर खाद्य पदार्थ भी शामिल होते हैं) सुरक्षित होता है.

"हमारा जो दिमाग है वह हमें पानी पीने के लिए सिग्नल देता है, ये सिग्नल बहुत सारे कारकों पर निर्भर करते हैं लेकिन मौसम एक प्रमुख कारक होता है."
डॉ. संजय गुप्ता, कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, HCMCT मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका

पानी का कितना सेवन करना चाहिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उम्र कितनी है, व्यक्ति किस प्रकार की और कितनी शारीरिक गतिविधियां करता है, मौसम कैसा है, मेडिकल कंडीशंस कैसी हैं जैसे कि हृदय और गुर्दे के रोगों में पानी और दूसरे पेय पदार्थों के सेवन से जुड़ी लिमिटेशन तय की जाती हैं.

"इसके विपरीत डायरिया में अधिक पानी/पेय पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है. लेकिन आमतौर पर, सामान्य वयस्क को प्रतिदिन 2 से 2.5 लीटर पानी का सेवन करना चाहिए."
प्राची जैन, चीफ क्‍लीनिकल न्‍यूट्रिशनिस्‍ट एंड एचओडी, सीके बिरला अस्पताल, गुरुग्राम
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ज्यादा पानी पीने पर क्या होता है?

फिट हिंदी ने जिन एक्सपर्ट्स से बात की उनके अनुसार, जब आप कम समय में ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन करते हैं, तो ऐसे में शरीर में पानी की वजह से वॉटर टॉक्सिसिटी की स्थिति पैदा हो सकती है. शरीर में पानी की अधिकता होने पर शरीर पेशाब के जरिए उसे बाहर निकालने में असमर्थ हो सकता है, जिसके कारण इलैक्‍ट्रॉलाइट स्‍तर असंतुलित हो जाता है और ब्लड में खासतौर से सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है. 

सोडियम का कंसंट्रेशन घटने से हाइपोनेट्रेमिया हो सकता है. हाइपोनेट्रेमिया होने पर दिमाग की सेल्स समेत हमारे शरीर के दूसरे सेल्स में सूजन आ सकती है, जिसके कारण कई बार हल्के या गंभीर किस्म के लक्षण सामने आते हैं, जैसे – 

  • मितली/उल्टी होना 

  • सिरदर्द 

  • भ्रम की स्थिति और ओरिएंटेशन का अभाव 

  • मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन 

  • थकान 

  • दौरे पड़ना 

  • बेहोशी 

  • मृत्यु (गंभीर मामलों में) 

डॉ. संजय गुप्ता ने फिट हिंदी को बताया कि जिन वयस्क व्यक्ति को हार्ट की या फिर किडनी की समस्या है उन्हें ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि यह पानी फिर फेफड़ों में जमा हो जाता है और वहां से फिर पेट में चला जाता है. फिर रोगी को अनासारका हो जाता है, जो एक ऐसी स्थिति है जिसमें बदन के अंदर बहुत सारा पानी जमा हो जाता है. इससे पूरे शरीर में सूजन आती है खासकर आंखें, पैर और चेहरे पर. अगर 'वॉल्यूम ओवरलोड' बढ़ जाए, तो रोगी की जान भी जा सकती है. जिन रोगियों को किडनी की समस्या है, वे मूत्र नहीं कर सकते हैं और इस वजह से उन्हें अपने पानी की इंटेक पर ध्यान देना चाहिए.

ज्यादा पानी पीने से होने वाली इमरजेंसी की स्थिति में क्या करें?

"गंभीर मामलों में डॉक्टर की मदद नहीं ली जाए तो बात जान पर भी आ सकती है. इसके अलावा, अगर आपको किसी के बारे में पता चलता है कि वह वॉटर टॉक्सिसिटी से पीड़ित है, तो उसे नमकीन स्नैक खाने को दें, क्योंकि इससे मेडिकल हेल्प के इंतजार के बीच उन्हें तात्कालिक राहत मिल सकती है."
डॉ. पारितोष बघेल, सीनियर कंसलटेंट-इंटरनल मेडिसिन, एसएल रहेजा हॉस्पिटल, माहिम

बहुत ज्यादा पानी पीने के कारण वॉटर टॉक्सिसिटी का संदेह हो तो तुरंत जरूरी कदम उठाएं. यहां आपको कुछ जरूरी उपायों के बारे में जानकारी दी जा रही है: 

  • मदद बुलाएं: इमरजेंसी सर्विस बुलाएं या अपने लोकल आपातकालीन नंबर पर कॉल कर तुरंत प्रोफेशनल मेडिकल सहायता लें. 

  • प्रभावित व्यक्ति की निगरानी करें: प्रभावित व्यक्ति के साथ रहें और उनकी कंडीशन पर लगातार नजर रखें. यह देखते रहें कि कहीं लक्षण गंभीर तो नहीं हो रहे, जैसे भ्रम, डिसऑरिएंटेशन, दौरे या बेहोशी तो नहीं छा रही. 

  • अधिक पानी के सेवन से रोकें: प्रभावित व्यक्ति को और पानी पीने या अधिक तरल पदार्थों का सेवन करने से रोकें.

  • मेडिकल सलाह लें: जब तक मेडिकल सहायता पहुंचे, तब तक अपने हेल्थ केयर प्रोफेशनल से सलाह लें कि क्‍या करना चाहिए. 

  • उल्टी करवाने का प्रयास नहीं करें: प्रभावित व्यक्ति को उल्टी करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करें, क्योंकि ऐसा करने से स्थिति और बिगड़ सकती है. 

  • शांत रखने का प्रयास करें: प्रभावित व्यक्ति को जहां तक हो सके, शांत और सहज बनाए रखें. 

  • दवाएं देने से बचें: आपको किसी भी प्रकार की दवाएं नहीं देनी चाहिए, आपके हेल्थ केयर प्रोफेशनल के कहने पर ही दवा देनी चाहिए. 

  • जरुरी हो तो फर्स्ट एड दें: व्यक्ति को दौरा पड़ रहा हो या उसे बेहोशी आ रही हो तो सुनिश्चित करें कि उसके आसपास की जगह एकदम खाली हो और वहां किसी किस्म की ऐसी वस्तुएं न हों जिनसे नुकसान पहुंचने का खतरा हो. यदि आपको फर्स्‍ट एड देना आता है, तो मेडिकल सहायता पहुंचने तक आप ऐसा कर सकते हैं.

"यह हमेशा याद रखें कि वॉटर टॉक्सिसिटी जानलेवा भी साबित हो सकता है और इस स्थिति में प्रोफेशनल मेडिकल सहायता बहुत जरुरी है. शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन वापस कायम करने के लिए तुरंत इलाज करना जरूरी होता है. अगर आपको यह नहीं समझ आ रहा कि क्या किया जा सकता है, तो तुरंत मार्गदर्शन के लिए इमरजेंसी सेवाओं से संपर्क करें."
डॉ. अनुराग अग्रवाल, कंसलटेंट– इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉ. पारितोष बघेल फिट हिंदी से कहते हैं, वॉटर टॉक्सिसिटी अक्सर उन लोगों में देखी जाती है, जो जल्दी-जल्दी काफी पानी पीते हैं, जैसे कि एथलीट्स, मैराथन धावक और गैस्ट्रोएंटेराइटिस से पीड़ित लोग. इसे रोकने के लिए सबसे बढ़िया है कि किसी भी वर्कआउट या गतिविधि के लिए जाने से पहले खुद को हाइड्रेट कर लें. इसके अलावा, यह बच्चों या बुजुर्गों में ज्यादा तेजी से हो सकता है".

"बच्चों में ऑर्गन्स पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं, इसलिए उनके शरीर में ज्यादा पानी पीने से वो रिटेन हो जाता है. इसलिए, जो बच्चे तीन साल से भी छोटे हैं उनमें पानी के इंटेक की मॉनिटरिंग करना जरूरी है."
डॉ. संजय गुप्ता, कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, HCMCT मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका

क्या ओवरहाइड्रेशन और वॉटर इनटॉक्सिकेशन दोनों एक हैं?

"यह जानना महत्‍वपूर्ण है कि ओवरहाइड्रेशन और वॉटर इनटॉक्सिकेशन एक ही समस्या नहीं हैं, हालांकि ये मिलते-जुलते हैं."
डॉ. अनुराग अग्रवाल, कंसलटेंट– इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद

ओवरहाइड्रेशन का मतलब है अपने शरीर की जरूरत से ज्‍यादा पानी का सेवन करना, जिसकी वजह से इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन हो सकता है और यह स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है. दूसरी हो, वॉटर इनटॉक्सिकेशन अधिक गंभीर स्थिति होती है, जो कम समय के अंदर बहुत अधिक मात्रा में पानी का सेवन करने के कारण पैदा होती है. यह शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन पैदा करती है, जिसमें सोडियम स्तरों में गिरावट आती है और यह स्थिति जीवन के लिए घातक भी हो सकती है. इसलिए इन समस्‍याओं से बचने के लिए संतुलित मात्रा में पानी का सेवन करें.

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