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हर्निया ऐसे तो एक आम बीमारी है, पर समय रहते ध्यान नहीं देने पर इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं. ज्यादातर लोगों का यह सोचना हैं कि यह बीमारी पुरुषों में पाई जाती है पर हम आपको यहां बता दें इससे बहुत सी महिलाएं भी पीड़ित हैं. लेकिन या तो वह इस बीमारी से अनजान रहती हैं या फिर डॉक्टर के पास तब जाती हैं, जब तकलीफ बहुत बढ़ जाती है.
आज इस आर्टिकल में हम महिलाओं में बढ़ती हर्निया की समस्या पर डॉक्टरों से बातचीत करेंगे.
हर्निया कई अलग-अलग प्रकार का होता है, पर सबसे आम है, जब आंत का एक हिस्सा पेट की मांसपेशियां की दीवार के किसी कमजोर हिस्से से बाहर आ जाता है. यानी कि जब हमारे शरीर के आंतरिक अंगों को अपनी जगह पर थामे रखने वाले मसल-वॉल (muscle wall) या टिशू जब कहीं से कमजोर हो जाते हैं या उनमें कहीं छेद हो जाता है, तब ऐसी स्थिति को हर्निया कहा जाता है.
हर्निया शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर सकता है. ज्यादातर मामलों में यह पेट से जुड़ी हुई एक बीमारी है, जो सही समय पर ध्यान नहीं देने से गंभीर रूप ले लेता है.
इनसिजनल हर्निया (Incisional hernia): महिलाओं में बच्चेदानी का ऑपरेशन और सिजेरियन ऑपरेशन काफी आम बात है. जब ऐब्डोमिनल सर्जरी के बाद उचित देख-भाल नहीं होती है और सर्जरी वाली जगह से आंतरिक अंग बाहर निकलने लगता है, तब वो हर्निया का रूप ले लता है, जो दर्दनाक होता है. उसे इनसिजनल हर्निया कहते हैं..
फीमोरल हर्निया (Femoral hernia): फीमोरल हर्निया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है. फीमोरल मतलब जघनास्थिक हर्निया. हर्निया के कुल मामलों में से लगभग 20% मामले इसके देखे जाते हैं.
हियेटल हर्निया (Hiatal hernia): हियेटल हर्निया महिलाओं में ज्यादा होता है. यह पेट के ऊपरी भाग को प्रभावित करता है. छाती और ऐब्डोमेन को अलग करने वाले डायाफ्राम में पाये जाने वाले छेद को हियेटस कहते हैं. हियेटल हर्निया दो प्रकार के होते हैं- स्लाइडिंग और पैरा-इसोफेजियल.
एपीगैस्ट्रिक हर्निया (Epigastric hernia): यह फैट के छोटे स्तर के ब्रेस्ट बोन और नाभि के बीच के बैली-वाल में छेद करके बाहर निकलने से होता है. एक ही समय में यह एक से अधिक संख्या में हो सकता है. एपीगैस्ट्रिक हर्निया अक्सर बिना किसी लक्षण के होता है इसीलिए इसके इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है.
अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical hernia): अम्बिलिकल हर्निया विशेष कर नवजात शिशुओं में होता है. जब बच्चा रोता है, तो उसके नाभि के आस-पास के क्षेत्र में एक लम्प बाहर की ओर निकल आता है.
नाभि के आसपास दर्द
पेट, जांघ या कमर पर गांठ
पेट के निचले भाग में दर्द
पेट फूलना
पेट में भारीपन
गंभीर रूप से खांसी की समस्या
गर्भवती महिला को डिलीवरी के बाद गंभीर दर्द
पेशाब करने में दिक्कत
महिलाओं में हर्निया का प्रमुख कारण मोटापा होता है.
मोटापे की समस्या झेल रही महिला हर्निया का शिकार हो सकती हैं
गर्भवती महिला को भी हर्निया की आशंका होती है
हर्निया की समस्या उन लोगों में ज्यादा होती है, जिन्होंने कभी अधिक वजन उठाया हो
गहरी चोट लगी हो
कोई ऑपरेशन करवाया हो
लंबे समय तक कब्ज या खांसी की समस्या हो
जब भी आप लक्षणों को पहचान लें, तुरंत डॉक्टर को दिखाए.
ऐसी परिस्थिति में मामला काफी गंभीर हो सकता है और तुरंत ही सर्जरी की जरूरत पर सकती है. ऐसे सूजन जो वापस कम नहीं हो रहे और दर्द बढ़ता जा रहा हो, तो उसका इलाज तुरंत होना चाहिए.
हर्निया से बचाव के लिए ख्याल रखें इन बातों का:
वजन नियंत्रण में रखें
अधिक वजन वाली वस्तुओं को उठाने से बचें
धूम्रपान से दूरी बनाएं
खांसी और कब्ज की समस्या को दूर रखें
हमारे डॉक्टरों के अनुसार, हर्निया का इलाज दवाओं से नहीं बल्कि सर्जरी से ही किया जा सकता है. सर्जरी से सूजन के गैप को भरा जाता है. अगर डॉक्टर को लगता है कि मांसपेशियां फिर भी कमजोर हैं, तो उसे मजबूती देने के लिए एक गैर-अवशोषित (non-absorbable) जाल लगानी पड़ती है, जो समय के साथ मांसपेशियों का हिस्सा बन जाती है.
डॉ. हितेंद्र शर्मा कहते हैं, “ज्यादातर मामलों में सर्जरी हम अपनी सुविधा से करा सकते है. छोटा हर्निया जिसका मुंह काफी बड़ा हो और उसके कारण चर्बी या छोटी आंत का हिस्सा आसानी से निकल जा रहा हो और कम तकलीफ दे रहा हो, तो उस के इलाज को कुछ दिनों तक रोका जा सकता है. लेकिन सलाह यही दी जाती है कि समय रहते ही इसका इलाज करा लिया जाए”.
वहीं डॉ वी. एस. चौहान का कहना हैं, “कुछ मामलों में, अगर हर्निया छोटा होता है, बढ़ नहीं रहा और किसी किस्म का दर्द या परेशानी नहीं दे रहा, तो तत्काल सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन अगर किसी किस्म की जटिलता की आशंका दिखायी देती है, तो हर्निया के मरीजों को एक सामान्य प्रोसीजर करवाने की सलाह दी जाती है ताकि हर्निया का आकार न बढ़े और न ही हालात और बिगड़ें”.
सर्जरी के पहले और बाद भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सर्जरी वाली जगह के आसपास कहीं भी दबाव नहीं पड़े क्योंकि इस से हर्निया के बढ़ने या दोबारा उभरने का खतरा बन सकता है. जोर से खांसना या मोटापा शरीर पर दबाव बना सकता है. इसके अलावा स्टूल पास करते समय बहुत अधिक दबाव हर्निया को और बढ़ा सकता है.
ऑपरेशन के बाद कम से कम दो से तीन महीने तक उस जगह पर दबाव नहीं देना चाहिए. कुछ लोगों को एक साल तक लग जाता है हर्निया से उभरने में.
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Published: 14 Sep 2022,05:45 PM IST