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Menopause क्या है और कब शुरू होता है? महिलाओं के स्वास्थ्य पर कैसे पड़ता है असर

World Menopause Day 2022: मेनोपॉज से गुजर रहीं महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का रखें ख्याल

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Updated:
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World Menopause Day 2022: Menopause एक नेचुरल प्रक्रिया है 

(फोटो: फिट हिंदी/iStock)

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World Menopause Day 2022: मेनोपॉज (Menopause) हर महिला के जीवन का वो समय होता है, जब उनके पीरियड्स यानी कि मासिक धर्म उनसे आखिरी विदाई ले रहे होते हैं. ये दौर महिलाओं के रिप्रोडक्टिव उम्र का अंत माना जाता है.

मेनोपॉज होना एक नेचुरल प्रक्रिया है मतलब यह कोई बीमारी नहीं है. लेकिन मेनोपॉज के दौरान और बाद में महिलाओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसका असर उनके जीवन पर पड़ सकता है.

मेनोपॉज क्या है और कब शुरू होता है?

जब किसी महिला को लगातार 12 महीनों तक पीरियड्स नहीं होता है और वह स्वाभाविक रूप से गर्भवती नहीं हो सकती है, तब महिला की उस शारीरिक अवस्था को मेनोपॉज (Menopause) या रजोनिवृत्ति कहते हैं. भारतीय महिलाओं में यह आम तौर पर, 46 - 51 साल की उम्र के बीच होता है. इस समय कुदरती तौर पर ओवरी में फॉलिकल प्रोडक्शन खत्म हो जाते हैं, एस्ट्रोजन भी कम हो जाता है.

इस दौरान महिलाओं को अनियमित पीरियड्स होते हैं. फ्लो कभी बहुत हेवी तो कभी बिल्कुल न के बराबर हो सकता है.

मेनोपॉज के लक्षण

"यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि शरीर की सामान्य अवस्था है, जो उम्र के साथ आती है. इसे समझदारी से संभालने की जरूरत होती है."
डॉ नेहा गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नॉएडा

इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • अनियमित पीरियड्स का होना - ये प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है. जब पूरी तरह मेनोपॉज का समय आता है, तब पीरियड्स होना बिल्कुल बंद हो जाता है. जब तक पीरियड्स बंद न हो, उसके पहले गर्भवती होने की संभावना बनी रहती है.

  • हॉट फ्लैशेज (अचानक से चेहरे और चेस्ट पर गर्मी महसूस होना) - तेज पसीना आ सकता है और चेहरे पर रेडनेस दिखने लगती है. इस दौरान घबराहट या सांस लेने में दिक्कत होने जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है. पीरियड्स के बंद होने के साथ-साथ ये लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगते हैं और फिर ठीक हो जाते हैं.

  • मूड का बदलना - डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, चिंता, नींद नहीं आना, कंसन्ट्रेशन में प्रॉब्लम, थकान, सिरदर्द

  • वेजाइना में ड्राइनेस होना

  • सेक्स करने की इच्छा में कमी

  • सेक्स करने के दौरान दर्द

  • यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने की ज्यादा आशंका

  • बार-बार पेशाब करने की इच्छा

  • हड्डियों का कमजोर हो जाना

  • स्किन संवेदनशील और ड्राई होना

  • दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा होना

क्या मेनोपॉज का असर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है?

"जब औरतें मेनोपॉज की तरफ जा रही होती हैं, उस समय कई बार नोटिस किया जाता है कि उनको मानसिक रूप से कई तरह के बदलाव अनुभव होते हैं. वैसे तो ये एक नोर्मल प्रक्रिया है".
डॉ कामना छिबर, क्लिनिकल ​​साइकोलॉजिस्ट, हेड- मेंटल हेल्थ, मेंटल हेल्थ और बेहवियरल साइंस विभाग, फोर्टिस हेल्थकेयर

डॉ कामना छिबर आगे कहती हैं,"सबसे पहला असर महिला के मन पर हो सकता है. कई औरतों को चिड़चिड़ापन ज्यादा होने लगता है. उनका मन उदास होने लगता है. एक और बात जो देखी जाती है, वो ये कि होर्मोनल बदलाव की वजह से शरीर में भी बदलाव आते हैं और अचानक हो रहे बदलावों से महिलाएं तनाव महसूस करती हैं. बॉडी शेप में बदलाव के कारण कुछ महिलाओं के आत्मविश्वास में भी कमी आती है. बॉडी को लेकर जो सकारात्मकता होती है उस पर भी असर हो सकता है. उसको ले कर नेगेटिव सोच बनने की आशंका रहती है".

कुछ औरतों को मेनोपॉज के दौरान या उसके बाद सेक्सुअल ड्राइव में कमी महसूस होती है, जो पार्ट्नर के साथ मनमुटाव का कारण बन सकता है.

मेनोपॉज के बाद, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं.
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मेनोपॉज से पहले क्या तैयारी करें ?

महिलाओं में मेनोपॉज शुरू होने से पहले ही काफी सारे लक्षण नजर आने लगते हैं. उसे प्री मेनोपॉज (Pre menopause) कहते हैं. महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो अपने शरीर का ख्याल रखें.

  • योग करें

  • एक्सरसाइज करें

  • ब्लूबेरी-स्ट्रॉबेरी और रैसबेरी जैसे एंटी इंफ्लैमेटरी फल खाएं

  • सोया, गोभी, कैल, ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी सब्जियों का सेवन अधिक करें

  • डाइट में नमक और सैचुरेटेड फैट्स कम करें

  • पर्याप्त विटामिन डी और कैल्शियन का सेवन करें

  • एल्कोहल का सेवन कम करें

  • स्मोकिंग छोड़ दें

"सबसे जरुरी बात ये है कि हर महिला अपने आप को ये याद दिलाएं कि यह एक सामान्य अवस्था है और सभी महिलाएं इससे गुजरती हैं. धीरे-धीरे सब ठीक हो जाता है. अगर तकलीफ ज्यादा है, तो सही एक्स्पर्ट से बात करना बेहद जरुरी है.
डॉ कामना छिबर, क्लिनिकल ​​साइकोलॉजिस्ट, हेड- मेंटल हेल्थ, मेंटल हेल्थ और बेहवियरल साइंस विभाग, फोर्टिस हेल्थकेयर

क्या समस्या हो सकती है मेनोपॉज से?

"रजोनिवृत्ति यानी कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं में कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे ब्लड वेसल्स में बदलाव, बोन डेंसिटी का नुकसान जिससे उसके आसानी से टूटने का जोखिम बना रहता है, हृदय रोगों का खतरा, पेशाब पर नियंत्रण नहीं रह पाना और थ्रोम्बो एम्बोलिक खतरे भी.
डॉ अरुणा कुमारी, प्रसूति और स्त्री रोग सलाहकार, क्लाउड नाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, बेंगलुरु

"महिलाओं को अपने प्री मेनोपॉज के समय से पहले ही कुछ जरूरी टेस्ट करवा लेने चाहिए. सालना स्वास्थ्य जांच में एनीमिया की जांच, ऑस्टियोपिरोसिस की जांच, डायबिटीज, डिप्रेशन और एन्जाइटी की जांच बहुत जरूरी है" ये कहना है डॉ नेहा गुप्ता का.

कम उम्र में होने वाले मेनोपॉज को कैसे पहचाने?

40 साल से कम उम्र मे मेनोपॉज को अर्ली मेनोपॉज कहते हैं. ऐसा हो रहा है, तो आपको इसके संकेत समझने और उसे संभालने के उपाय जानने की जरूरत है. डाक्टर FSH हार्मोन की मात्रा की मदद से इसे डायग्नोस कर सकते हैं.

सर्जरी या कैंसर होने पर समय से पहले अगर अंडाशय और गर्भाशय को निकालना पड़ा तो समय से पहले मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति हो सकती है.

मेनोपॉज में कब डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए?

इस सवाल के जवाब में डॉ कामना छिबर कहती हैं, "जब किसी महिला को मेनोपॉज के दौरान या बाद में बहुत अधिक बदलाव का अनुभव हो रहा होता है और उन्हें लग रहा होता है कि मन पर गहरा प्रभाव हो रहा है. रुचि में कमी आ रही है, काम करने के तरीके में बदलाव आ रहा है, ज्यादा गुस्सा और चिड़चिड़ापन महसूस हो रहा हो, आत्मविश्वास पर असर हो रहा है, रिश्तों पर नेगेटिव असर पड़ रहा है क्योंकि वो खुश नहीं हैं, परेशान हों, ज्यादा सोच रही हों, संकोच में रह रही हों, तो इस तरह की स्थिति में थेरपिस्ट से बात करने से फायदा हो सकता है".

अगर ऊपर बताए गए लक्षण काफी गहरे होते जा रहे हैं और कोशिशों के बावजूद कोई बदलाव नहीं आ रहा है, तो मनोचिकित्सक (psychiatrist) से मिलना जरुरी हो सकता है, जो दवाइयों से महिला की मदद करेंगे.

"पोस्ट मेनोपॉजल ब्लीडिंग 10-15% महिलाओं में होता है, जो कि एंडोमेट्रियल सर्वाइकल कैंसर के वर्तमान लक्षणों में से एक है".
डॉ अरुणा कुमारी, प्रसूति और स्त्री रोग सलाहकार, क्लाउड नाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, बेंगलुरु
  • मेनोपॉज के बाद अनियमित पीरियड्स होने पर

  • वेजाइना से बलीडिंग होना पर

  • ब्रेस्ट में गांठ हो

  • पेशाब कंट्रोल न हो

  • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का बार-बार होना

  • हौट फ्लैशेज आ रहे हों

"गायनेकोलॉजिस्ट कुछ दवाइयां या होर्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी देंगी, जो इन दिनों की समस्याओं को दूर करेंगी. जिसकी मदद से इस समस्या से बहुत ही आसानी से छुटकारा मिल जाएगा".
डॉ नेहा गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नॉएडा

महिलाओं को सालना स्वास्थ्य जांच के समय भी डाक्टर के बताए चेकअप और इलाज कराते रहने चाहिए.

(World Menopause Day 2022 पर ये आर्टिकल दोबारा पब्लिश किया गया है.)

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Published: 25 Aug 2022,09:27 AM IST

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