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मीजल्स (Measles) जिसे आम बोलचाल की भाषा में हम खसरा भी कहते हैं, आजकल एक नई मुसीबत बन गया है. पिछले कुछ दिनों से खास कर मुंबई, केरल और गुजरात में मीजल्स के मामले बढ़ रहे हैं. आमतौर पर खसरा बच्चों में होने वाली बीमारी मानी जाती है मगर जैसे मामले सामने आ रहे हैं उससे पता चल रहा है कि ऐसा नहीं है. युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं.
फिट हिन्दी ने एक्सपर्ट्स से जाना कि खसरा क्या है? क्यों होता है? कितना खतरनाक है? इससे कैसे बचा जा सकता है और होने पर क्या करना चाहिए?
मीजल्स एक एक्यूट वायरल रेस्पिरेट्री डिजीज है, जिससे कभी-कभी छोटे बच्चों की जान तक चली जाती है. यह एक संक्रामक बीमारी है. खसरा संक्रमित व्यक्ति के फेफड़े के बलगम और लार के संपर्क में आने पर यह फैल जाता है. खसरा से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने के कारण यह संक्रमण हवा में जल्दी फैल जाता है और दूसरे व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकता है.
फरीदाबाद के अमृता हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट- पीडियाट्रिक्स, डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल ने फिट हिन्दी को बताया कि कोविड के कारण रूटीन टीकाकरण में गिरावट आयी है. जिसकी वजह से पुरानी बीमारियां अब सामने आ रही हैं.
हाल ही में एक विज्ञप्ति में, डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कहा कि 2021 में, दुनिया भर में खसरे से अनुमानित (estimated) 9 मिलियन मामले और 128,000 मौतें हुईं. 22 देशों ने बड़े और विघटनकारी प्रकोपों (disruptive outbreaks) का अनुभव किया.
उसी वर्ष, लगभग 40 मिलियन बच्चों की एक रिकॉर्ड ऊंचाई खसरे के टीके की खुराक से चूक गई. 25 मिलियन बच्चे अपनी पहली खुराक से चूक गए और बाकी बचे 14.7 मिलियन बच्चे अपनी दूसरी खुराक लेने से चूक गए.
खसरे के लक्षण आम तौर पर संक्रमण के दूसरे हफ्ते में आने शुरू हो जाते हैं.
जुकाम
खांसी
बुखार
नाक बहना
शरीर में दर्द
आंखों में जलन
मांसपेशियों में दर्द
गले में खराश
मुंह के भीतर सफेद धब्बे होना
इस सवाल पर डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल कहते हैं, "अगर किसी क्षेत्र में खसरा फैला हुआ है तो उस क्षेत्र के सरकारी कर्मचारी और डॉक्टरों को पहले ही पता होगा. कोई भी बुखार और रैश वाले केस को हम संदेह के घेरे में रखते हैं और सोचते हैं कि इसे मीजल्स है. अगर मरीज को बुखार, खांसी, नजाला, मुंह के अंदर सफेद दाने और शरीर में कान के पास से ले कर शरीर में फैला हो तो उसे क्लिनिकल डायग्नोसिस कहते हैं. फिर अगर डॉक्टर या सरकारी कर्मचारी रिकमेंड करेंगे तो मरीज का मीजल्स का टेस्ट किया जाएगा. उसमें पता चलेगा कि उसको मीजल्स है या नहीं".
फिट हिन्दी को एक्सपर्ट ने बताया कि मीजल्स यानी खसरा एक वायरल बीमारी है. इसका इलाज एंटीबायोटिक से नहीं किया जा सकता है. इसका इलाज होगा लक्षणों के अनुसार. अगर बुखार आया है तो पेरासिटामोल (Paracetamol) दिया जाएगा, अगर पेट खराब है तो ओआरएस (ORS) का घोल देना होगा, अगर मरीज को निमोनिया हो रहा है, सांसें तेज हो रही हैं तो ये खतरे कि घंटी है. ऐसे में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए.
WHO के अनुसार विटामिन ए (Vitamin A) की खुराक लेने से खसरे के कारण होने वाली मृत्युदर में कमी आयी है लेकिन ये खुराक डॉक्टर की सलाह पर ही लें.
डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल कहते हैं, "अगर खसरा हो जाता है तो उस समय विटामिन ए की खुराक सरकारी कर्मचारी या डॉक्टर मरीज को देंगे. अपने मन से विटामिन ए की खुराक नहीं लेनी चाहिए. कई बार इसके ओवरडोज से भी हानि हो सकती है".
बिना टीकाकरण वाले बच्चों को खसरे का सबसे अधिक खतरा होता है.
गर्भवती महिलाओं को भी खसरे से संक्रमित होने की आशंका होती है.
किसी भी ऐसे व्यक्ति को खसरा हो सकता है जिसने इसकी वैक्सीन ना ले रखी हो.
मीजल्स का पहला टीका 9 महीने पर दूसरा 15 महीने पर और तीसरा 5 साल पर एमएमआर (MMR) या एमआर (MR) वैक्सीन के रूप में दिया जाता है.
अतीत में खसरे का प्रकोप हर 2 से 3 साल में होता था और दुनिया भर में हर साल लगभग 26 लाख लोगों की मौत होती थी. साल 1963 में खसरे के टीके की खोज के बाद दुनिया भर में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ. लेकिन अकेले 2021 में दुनिया भर में खसरे से 1 लाख 28 हजार लोगों की मौत हुई.
इसलिए यदि आप अपने बच्चों को एमआर या एमएमआर का टीका लगवाने से चूक गये हैं तो इसे अवश्य लगवायें.
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Published: 07 Dec 2022,04:54 PM IST