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टीबी और बांझपन का आपस में गहरा संबंध है. इन दोनों समस्याओं को सही इलाज और समय पर निदान करने से दूर किया जा सकता है.
हम सभी जानते हैं कि टीबी एक गंभीर बीमारी है, जो फेफड़ों को प्रभावित करती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टीबी गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और जननांगों को भी संक्रमित कर सकता है?
अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह समस्या बांझपन का कारण बन सकता है.
अगर आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, और असफल हो रही है, तो जननांग टीबी आपके मां बनने के सपनों मे रुकावट लाने का मूल कारण हो सकता है.
वास्तव में, पुरुषों और महिलाओं दोनों में बांझपन का मूल कारण टीबी है, इस तथ्य के बारे मे तब पता चलता है, जब जोड़े अपनी प्रजनन (reproduction) समस्याओं के लिए इलाज करने डॉक्टर के पास जाते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में सबसे बड़ी टीबी की महामारी है, और यह देश के लिए एक चिंता का विषय है. 2020 में, दुनिया के लगभग 26% टीबी के मामले भारत में पाए गए (डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2021के अनुसार).
इंडियन कौंसिल मेडिकल रिपोर्ट (ICMR) के अनुसार, भारत में आईवीएफ (IVF) प्रक्रिया का प्रयास करने वाली अधिकांश महिलाओं में जननांग टीबी (FJTB) बड़ी संख्या में पाया गया है. आईसीएमआर (ICMR) सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में भारत में एफजीटीबी (FJTB) का प्रसार काफी बढ़ गया है. इसलिए, कई आईसीएमआर (ICMR) अध्ययन टीम इस समस्या के निदान और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर लागू एल्गोरिदम विकसित करने पर काम कर रहे हैं.
टीबी किसी भी उम्र में हो सकता है, खासकर 15 से 45 साल के प्रजनन आयु वाली महिलाओं में जननांग टीबी हो सकता है, और मध्यम आयु वर्ग के पुरुष वर्ग में यह समस्या देखी जाती है.
महिला: महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, पेट में दर्द, योनि से बदबूदार ब्लड और बिना ब्लड के स्त्राव का बहना और संभोग के बाद ब्लीडिंग (bleeding) जैसे विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं. महिलाओं में, जननांग टीबी फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय को प्रभावित कर सकता है. एंडोमेट्रियम के अस्तर पर, यह गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है, जिसे एशरमैन सिंड्रोम कहा जाता है.
कई बार एफजीटीबी के कोई लक्षण मौजूद नहीं होते हैं, इसलिए शुरुआत में इस समस्या का सटीक और जल्द इलाज करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
इसलिए, डॉक्टर निर्धारित लक्षणों के अलावा मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और क्लिनिकल परीक्षण जैसे कुछ और टेस्ट भी करते हैं.
टीबी बैक्टीरिया की जांच के लिए यूरीन टेस्ट, सोनोग्राफी, सीटी, एंडोमेट्रियल एस्पिरेट (या बायोप्सी), एंडोस्कोपी जैसे मेडिकल टेस्ट करके इस समस्या का निश्चित निदान करना मुमकिन हो सकता है.
पुरुष: जननांग टीबी मुख्य रूप से महिलाओं को प्रभावित करता है, पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि, एपिडीडिमिस और अंडकोष को प्रभावित करता है. पुरुषों में, इससे स्खलन (ejaculation) में असमर्थता, शुक्राणु (sperm) की गतिशीलता में कमी और पिट्यूटरी ग्लैंड का पर्याप्त हार्मोन बनाने में असमर्थता जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
खांसी और छींक द्वारा हवा में छोड़ी गई छोटी बूंदों के माध्यम से टीबी के बैक्टीरियल एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित हो सकते हैं. अगर सही समय पर इसका इलाज नहीं किया गया, तो यह गुर्दे, पेट, मस्तिष्क, गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे पूरे शरीर मे फैल सकते हैं. इसलिए समय रहते इसका इलाज जरूरी है.
इन समस्याओं का निदान इनफर्टिलिटी (infertility) जांच के दौरान लक्षणों और उनकी प्रकृति के आधार पर किया जाता है.
अच्छी खबर यह है कि समय पर निदान और इलाज से टीबी को जल्दी नियंत्रित किया जा सकता है. साथ ही, टीबी का इलाज करते समय गर्भावस्था से संबंधित कई उन्नत प्रजनन उपचार लेना भी संभव है. उदाहरण के लिए, सहाय्यक प्रजनन तंत्रज्ञान (ART), इन विट्रो फर्टिलायझेशन (IVF), या फिर इंट्रायूटरिन इन्सेमिनेशन (IUI) का उपयोग किया जा सकता है.
एफजीटीबी के मामले में, भ्रूण स्थानांतरण (embryo transfer) को सबसे सफल आईवीएफ (IVF) उपचार पाया गया है. जबकि, पुरुषों में टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन (टीईएसए) नामक एक सरल प्रक्रिया द्वारा इस समस्या को हल किया जा सकता है, जिसमें अंडकोष से शुक्राणु (sperm) कोशिकाओं (cells) और ऊतकों (tissues) को एक छोटी सुई के माध्यम से हटा दिया जाता है और इसके बाद अंडे को निषेचित (fertilized) करने के लिए शुक्राणु (sperm) को ऊतक (tissue) से अलग किया जाता हैं.
इसके अलावा, जीवन स्तर में सुधार, प्रतिरक्षा (immunity) को बढ़ावा देना, आहार पर ध्यान केंद्रित करना, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना, बीसीजी का टीका लगवाना आदि. महत्वपूर्ण कदम हैं, जो खुद को टीबी से बचाने के लिए उठाए जाते हैं.
(यह लेख डॉ हृषिकेश पाई, कंस्लटेंट गायनकॉलिजस्ट एंड इन्फ़र्टिलिटी स्पेशलिस्ट, लीलावती हॉस्पिटल-मुंबई, डी वाई पाटिल हॉस्पिटल-नवी मुंबई, फोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली-गुड़गांव ने फिट हिंदी के लिए लिखा है.)
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