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'जंक फूड से दूर रहें. फास्ट फूड से बचें. प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.'
स्वस्थ खाने का यह गोल्डन मंत्र हम सभी के मन में घर कर गया है. लेकिन उन सामग्रियों की अधिक खतरनाक श्रेणी के बारे में क्या जो उन खाद्य पदार्थों में भी छिपी होती है, जिनके लेबल 'ताजा', 'स्वस्थ' और 'कम फैट वाले' होने का दावा करते हैं?
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ (UPFs) हर जगह हैं. "अगर कहीं भोजन का विज्ञापन हो रहा है, तो अधिक संभावना है कि वह कोई अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड है,” पीडियाट्रिशन और प्राइम मिनिस्टर काउंसिल ऑन इंडियाज न्यूट्रिशन चैलेंजेस के पूर्व सदस्य, डॉ अरुण गुप्ता कहते हैं.
हाल के अध्ययनों में UPF और कई स्वास्थ्य समस्याओं के बीच मजबूत संबंध पाया गया है.
उन्हें कैसे पहचाना जाए और उनसे कैसे बचा जाए, यह जानने के लिए फिट ने विशेषज्ञों से बात की.
सीधे शब्दों में कहें तो, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ वे खाद्य पदार्थ हैं, जो इनमें से किसी एक प्रक्रिया से गुजरते हैं:
फ्रीजिंग
फर्मेंटेशन
कैनिंग
कुकिंग
ड्राइंग
तो, कैंड खाद्य पदार्थ, अचार, मैदा से बनी कोई भी चीज, पैकेज्ड दूध, यहां तक कि घर पर बनी दही भी, सभी प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ हैं.
दूसरी ओर, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, औद्योगिक रूप से प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ हैं, जो ऐसी सामग्री का उपयोग करते हैं जो आटा, फैट, स्टार्च और शुगर जैसे सामग्री के इक्स्ट्रैक्ट का उपयोग करने के लिए प्रोसेसिंग के कई स्तरों से गुजरते हैं.
मेदांता इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव एंड हेपेटोबिलरी साइंसेज, नई दिल्ली के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अश्विनी सेतिया बताते हैं कि UPF में आम तौर पर उनके स्वाद, संरचना और शेल्फ-लाइफ को बदलने के लिए इमल्सीफायर, प्रिजर्वेटिव, फ्लेवरिंग और कलरिंग जैसे एडिटिव्स भी होते हैं.
टिपिकल प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ जैसे आइसक्रीम, चिप्स और सॉफ्ट ड्रिंक तो सभी UPF हैं ही, लेकिन यहां तक कि कई स्वस्थ प्रतीत होने वाले खाद्य पदार्थ भी UPF हैं, जैसे कि कॉफी क्रीमर, ग्रीन टी, सॉस, और 'स्वस्थ' इंस्टेंट नूडल्स और दलिया.
वे सचमुच हर जगह हैं. 2022 में अमेरिका में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ वयस्कों द्वारा खाए जाने वाले भोजन का लगभग 60% बनाते हैं.
UPF कोई नई घटना नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में, इन स्वस्थ खाद्य पदार्थों के स्वास्थ्य प्रभावों पर अधिक अध्ययन किए गए हैं और परिणाम हमारे लिए अच्छे नहीं लग रहे हैं.
UPF आपके लिए इतने हानिकारक हैं क्योंकि वे खाद्य पदार्थ की प्राकृतिक स्थिति को बदलकर बनाए जाते हैं, जिससे उसके पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं और बदले मे हानिकारक केमिकल जुड़ जाते हैं, वन हेल्थ, एक नूट्रिशन और वेल्नेस प्लेटफॉर्म, की संस्थापक डॉ. शिखा शर्मा कहती हैं.
वह आगे कहती हैं, "ये सभी केमिकल शरीर में सूजन पैदा कर सकते हैं क्योंकि आपकी कोशिकाएं नहीं जानती हैं कि इन 'एलियंस' से कैसे निपटना है, और इससे आपके अंगों को गंभीर नुकसान हो सकता है."
सेल मेटाबलिज्म नामक जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड डाइट से कैलोरी इंटेक और वजन बढ़ता है.
वैसे ही, कई हालिया अध्ययनों में UPF के अधिक सेवन और डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और दूसरे हृदय रोगों जैसे नॉन कम्युनिकेबल डिजीजों (NCD) के बीच संबंध पाया गया है.
नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर एक और NCD है, जिस पर नजर रखनी चाहिए, यह चेतावनी डॉ. लवकेश आनंद, सलाहकार- मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, दिल्ली ने दी है.
ऊपर लिस्ट किये गए कई सामग्रियों में कार्सिनोजन होने का भी संदेह है.
2021 में प्रकाशित एक और स्टडी में पाया गया कि 1,250 से अधिक लोकप्रिय प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के शेल्फ जीवन को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक विशेष फूड प्रिजर्वेटिव - टर्ट-ब्यूटाइलहाइड्रोक्विनोन इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है.
डॉ. सेतिया बताते हैं, "प्रिजर्वेटिव या तो पैथोजन को मारते हैं या उन्हें बढ़ने नहीं देते हैं, और वे संभावित रूप से माइक्रोबायोम को भी नष्ट करने का काम कर सकते हैं - जो मूल रूप से बैक्टीरिया, आर्किया, फंगस और वायरस से बना होता है."
समझने की बात यह है कि ये यह आपके हेल्थ के लिए बुरे हैं.
ये सिर्फ पश्चिमी देशों की समस्या नहीं है. 22 अगस्त को इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) के सहयोग से WHO द्वारा जारी की गई एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड सेक्टर 2011 और 2021 के बीच 13.37% की कम्पाउन्ड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़ा है.
अनैलिसिस में भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड भोजन की पांच लोकप्रिय श्रेणियों को शामिल किया गया,
चॉकलेट और शुगर कन्फेक्शनरी
नमकीन स्नैक
बेव्रेज
रेडीमेड और और कन्वीनियंस फूड
ब्रेक्फस्ट सीरियल
इसे भारत में NCD के पहले से ही चिंताजनक (और बढ़ते) बोझ के साथ देखा जाए तो यह चिंताजनक है.
मद्रास डायबिटीज रिसर्च सेंटर द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन, जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा फंड किया गया था, और जो लांसेट में प्रकाशित किया गया था, के अनुसार कम से कम 11.4% भारतीय आबादी को डायबिटीज है, और यह दक्षिणी राज्यों में अधिक पाया गया है.
यदि वे हर जगह हैं, तो क्या उनसे बचना संभव है?
डॉ. सेतिया कहते हैं, ''आपको अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से बेहद सावधान रहना होगा.''
आप जो कुछ भी खरीद रहे हैं और उपभोग कर रहे हैं उसके प्रति अधिक सचेत रहना और बेहतर विकल्प चुनना ही आगे बढ़ने का रास्ता है.
कम इस्तेमाल करें
डॉ. सेतिया कहते हैं, ''शेल्फ के सभी खाद्य पदार्थों में कुछ रसायन और ट्रीट्मेंट इस्तेमाल किये गए होंगे,” इसलिए उनके दुष्प्रभावों से बचने का सबसे अच्छा तरीका उनसे दूर रहना है.
लेबल ध्यान से पढ़ें
लेकिन अगर आपको कभी-कभार उन्हें खाना है, तो पैकेजिंग को पलटना और उसमें वास्तव में क्या है उसे बारीकी से पढ़ना काफी मददगार साबित हो सकता है.
डॉ. गुप्ता के अनुसार, यदि सामग्री सूची में 5 से अधिक सामग्रियां हैं, तो यह एक UPF है.
उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा, अगर इसमें ऐसी सामग्रियां हैं, जो आपको घर या स्थानीय बाजार में नहीं मिल सकती हैं, तो यह एक अल्ट्रा प्रोसेस्ड भोजन है."
फूड लेबल भी मिसलीडिंग हो सकते हैं.
फिट से एक दूसरे आर्टिकल के लिए बात करते हुए, डॉ. सतीश कुलकर्णी, जो पैकेजिंग और लेबलिंग में विशेषज्ञता रखने वाले फूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की वैज्ञानिक समिति के पूर्व सदस्य हैं, ने बताया कि निर्माताओं द्वारा पैक के सामने किए जा सकने वाले दावों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं हैं (शाकाहारी और मांसाहारी प्रतीकों जैसी कुछ अनिवार्य जानकारी को छोड़कर).
डॉ. कुलकर्णी के अनुसार कुछ सबसे आम झूठे दावे:
हेल्थी, हेलथियर
ऑर्गैनिक
100% प्राकृतिक
मल्टीग्रेन
लो फैट
लो कार्ब
प्रोटीन, फाइबर या अन्य पोषक तत्वों से भरपूर
शून्य कोलेस्ट्रॉल
100 प्रतिशत वास्तविक सामग्रियों से बनाया गया
बेक किया हुआ
इन सभी दावों को UPF, जिनमें हानिकारक ऐडिटिव होते हैं, से पूरा किया जा सकता है.
उदाहरण के लिए, एक उत्पाद में थोड़ी मात्रा में 'असली सामग्री' हो सकती है, लेकिन प्रोसेसिंग और एडिटिव्स के कारण, मूल सामग्री में होने वाला कोई भी पोषण लाभ खत्म हो जाता है.
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