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Bharat Ratna Award: देश के दो पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh), पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao), कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminathan) बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी समेत पांच हस्तियों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 30 मार्च को भारत रत्न देकर सम्मानित किया. 9 फरवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने इन पांच हस्तियों को भारत रत्न देने की घोषणा की थी.
आमतौर पर एक साल में तीन भारत रत्न पुरस्कार दिए जाते हैं. हालांकि, इस साल सरकार ने पांच व्यक्तियों को भारत रत्न के लिए नामित किया. बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने दिया गया.
आइए जानते हैं इस साल भारत रत्न से सम्मानित होने वाले व्यक्तियों के बारें में...
देश के पूर्व पीएम और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम रहे चरण सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ में साल 1902 में हुआ था. चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) ने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में काम किया.
प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होने से पहले उन्होंने दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 1967 में बह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें. हालांकि, 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. 17 फरवरी 1970 को वह दोबारा प्रदेश के सीएम बने.
चरण सिंह पहली बार 1937 में उत्तर प्रदेश के छपरौली विधान सभा से विधायक चुने गए. इसके बाद उन्होंने 1946, 1952, 1962 और 1967 में निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. इसी सीट से जीतकर वह मुख्यमंत्री बने और बागपत लोकसभा सीट से जीतकर प्रधानमंत्री बने.
चौधरी चरण सिंह ने चुनाव लड़ना कांग्रेस से ही शुरू किया लेकिन 1967 में पार्टी का साथ छोड़कर उन्होंने भारतीय क्रांति दल नाम से अपनी पार्टी बना ली. 1977 में देश में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद चौधरी चरण सिंह ने केंद्र की राजनीति का रुख कर लिया.
देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao) का जन्म 1921 में आंध्र प्रदेश के करीमनगर में हुआ था. उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय, बॉम्बे विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी.
पीवी नरसिम्हा राव 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक प्रधानमंत्री रहे. एक कृषक और वकील रहे नरसिम्हा राव ने 1971 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया.
पीवी नरसिम्हा राव ने अपने राजनीतिक कार्यकाल में कई मंत्रालय भी संभाले. 14 जनवरी 1980 से 18 जुलाई 1984 तक वह विदेश मंत्री, जुलाई 1984 से दिसंबर 1984 तक गृह मंत्री और दिसंबर 1984 से सितंबर 1985 तक रक्षा मंत्री रहे. राव को भारत की राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है. वे भारत में आर्थिक उदारीकरण के जनक माने जाते हैं.
भारत में हरित क्रांति के जनक रहे एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminatham) का जन्म 1925 में हुआ था. उन्होंने तिरुवनंतपुरम के महाराजा कॉलेज से जूलॉजी में बीएससी की डिग्री प्राप्त की. साथ ही कोयंबटूर कृषि कॉलेज से कृषि विज्ञान (Agricultural Science) में भी बीएससी की डिग्री प्राप्त की थी.
स्वामीनाथन ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) से कृषि विज्ञान (आनुवांशिकी और पादप प्रजनन में विशेषज्ञता) में एमएससी की डिग्री और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, यूके से पीएचडी की डिग्री भी प्राप्त की थी.
एमएस स्वामीनाथन की मृत्यु पिछले साल 2023 में चेन्नई में हुई.
बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) 1986-90, 1993-98 और 2004-05 तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. 1980 में भारतीय जनता पार्टी के स्थापना के बाद आडवाणी सबसे लंबे समय तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहने वाले व्यक्ति हैं.
संसद में लगभग तीन दशकों के अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री दोनों के रूप में कार्य किया. 1999 से 2004 तक के सरकार के मंत्रिमंडल में वह पहले गृह मंत्री और बाद में उपप्रधान मंत्री भी बने. 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक राम मंदिर रथ यात्रा की शुरू कर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में लालकृष्ण आडवाणी की केंद्रीय भूमिका रही.
बिहार के दो बार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) का जन्म समस्तीपुर जिले में 1924 में हुआ था. उन्होंने पहली बार दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक दूसरी बार मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था.
कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव सहित राज्य के कई नेताओं के गुरू थे.
भारत रत्न की स्थापना 2 जनवरी 1954 में की गई थी. इस पुरस्कार को प्रसिद्ध कलाकार और पद्म विभूषण प्राप्तकर्ता नंदलाल बोस द्वारा डिजाइन किया गया था.
भारत रत्न पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में बेहतर काम और मानव कल्याण के लिए उत्कृष्ट योगदान दिया है. यह पुरस्कार मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है. यह पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं दिया जाता जो किसी अपराध या अनैतिक कार्य के लिए दोषी ठहराया गया हो.
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