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हेट स्पीच की घटनाओं पर निष्क्रिय होकर क्या दिल्ली पुलिस इन्हें बढ़ावा दे रही है?

जानिए दिल्ली में हुई हेट स्पीच की कुछ बड़ी घटनाओं पर दिल्ली पुलिस ने क्या एक्शन लिया?

मेघनाद बोस
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>हेट स्पीच के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई करने के लिए पुलिस को ऐसी कितनी घटनाओं की जरूरत होगी.</p></div>
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हेट स्पीच के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई करने के लिए पुलिस को ऐसी कितनी घटनाओं की जरूरत होगी.

(फोटो : मेघनाद बोस / क्विंट हिंदी)

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19 दिसंबर 2021: दिल्ली के गोविंदपुरी में एक कार्यक्रम में एंटी-मुस्लिम हेट स्पीच दी गई.

3 अप्रैल 2022 : दिल्ली के बुराड़ी में एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देखने और सुनने को मिली.

4 सितंबर 2022 : दिल्ली के बदरपुर में एंटी-मुस्लिम हेट स्पीच दी गई.

9 अक्टूबर 2022 : दिल्ली के दिलशाद गार्डन में एक आयोजन में एंटी-मुस्लिम हेट स्पीच दी गई.

हेट स्पीच या भड़काऊ भाषणों को लेकर यह पूरी लिस्ट नहीं है, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों के दौरान हेट स्पीच के ऐसे और भी कई मामले देखने को मिले हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जिस गंभीरता से इन घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए उसके लिए वास्तव में दिल्ली पुलिस को कितनी एंटी-मुस्लिम हेट स्पीच की जरूरत होगी? हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे कि कैसे दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता देश की राजधानी दिल्ली में होने वाली इस तरह की हेट स्पीच की घटनाओं को और अधिक प्रोत्साहित कर सकती है.

आइए शुरुआत करते, दिसंबर 2021 में एक कार्यक्रम के दौरान हिंसा के लिए जब दिल्ली पुलिस सुदर्शन न्यूज के चीफ सुरेश चव्हाणके के आह्वान की जांच-पड़ताल कर रही थी तब पुलिस ने रणनीतिक तरीके से कैसे इस मामले को संभाला था.

दिल्ली पुलिस ने जब सुरेश चव्हाणके को क्लिनचीट देने का प्रयास किया

क्या आपको दिसंबर 2021 का सुरेश चव्हाणके का वह वायरल वीडियो याद है, जिसमें दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान चव्हाणके भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की शपथ दिलाते हुए दिखाई दे रहे थे?

यदि आपको वह वीडियो याद नहीं हो तो आप उसे यहां देख सकते हैं.

शपथ दिलाते वक्त चव्हाणके ने वहां मौजूद लोगों से अनुरोध करते हुए कहा था कि अगर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए किसी को जान से मारने की जरूरत पड़ेगी तो उसे मार देंगे.

दिल्ली पुलिस ने इस मामले की जांच के बाद अप्रैल 2022 में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें पुलिस की ओर से कहा गया कि "ऐसा कुछ भी नहीं कहा या किया गया जो किसी भी धर्म, जाति या पंथ के बीच उन्माद का माहौल पैदा कर सके."

रिपोर्ट में पुलिस ने आगे कहा कि "समाज के किसी विशेष वर्ग या समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह की कोई हेट स्पीच नहीं दी गई थी."

यह तो कुछ भी नहीं था. दिल्ली पुलिस ने चव्हाणके की स्पीच का बचाव करते हुए कहा कि "यह स्पीच किसी के धर्म को सशक्त बनाने को लेकर थी, ताकि वह उन बुराइयों का सामना कर सके जो उसके अस्तित्व को खतरे में डाल सकती हैं..."

दिल्ली पुलिस ने शिकायतकर्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि "हमें अन्य लोगों के विचारों या दृष्टिकोण के प्रति सहिष्णुता का अभ्यास करना चाहिए. असहिष्णुता जितनी खुद व्यक्ति के लिए खतरनाक है उतनी ही लोकतंत्र के लिए भी है."

दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट से सुप्रीम कोर्ट खुश नहीं था. इसलिए कोर्ट ने पुलिस को इससे बेहतर एफिडेविट (हलफनामा) फाइल करने को कहा था. यह देखते हुए कि पुलिस उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस) द्वारा हलफनामा दायर किया गया था, पीठ ने पूछा कि "हम यह जानना चाहते हैं कि क्या वरिष्ठ अधिकारी इस हलफनामे को दाखिल करने से पहले अन्य पहलुओं की बारीकियों को समझ गए हैं? क्या पुलिस ने केवल इंक्वॉयरी रिपोर्ट को काॅपी किया है या फिर अपना दिमाग लगाया है? क्या आप फिर से इस पर एक नजर दौड़ाना चाहते हैं?"

दक्षिण पूर्व दिल्ली की डीसीपी ईशा पांडे द्वारा यह हलफनामा दायर किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद इस घटना के संबंध में दिल्ली पुलिस ने चव्हाणके के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया था.

पुलिस ने नए हलफनामे में कहा था कि आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की निम्न धाराओं के तहत 4 मई 2022 को FIR दर्ज की गई थी :

  • 153ए (धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना.)

  • 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर किया गया कृत्य)

  • 298 (किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर शब्द आदि का उच्चारण करना)

  • 34 (समान इरादे को आगे बढ़ाने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य)

घटना के साढ़े नौ महीने बाद और 4 मई को प्राथमिकी दर्ज होने के पांच महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद क्विंट ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस मामले में उनकी जांच-पड़ताल की स्थिति अब कहां पहुंची है.

बुराड़ी हेट स्पीच

3 अप्रैल 2022 को दिल्ली के बुराड़ी में हिंदू महापंचायत नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें हिंदुत्व नेता यति नरसिंहानंद और सुदर्शन न्यूज के प्रमुख सुरेश चव्हाणके सहित कई लोगों द्वारा मुस्लिम के खिलाफ नफरती भाषण दिए गए थे.

इस घटना को दिल्ली पुलिस ने जिस तरह से संभाला वह हेट स्पीच वाली सभाओं के प्रति पुलिस के चतुराईपूर्ण नरम रुख अपनाने का एक अच्छा उदाहरण है.

उत्तर पश्चिम दिल्ली की डीसीपी उषा रंगनानी ने क्विंट को 2 अप्रैल की देर रात बताया था कि बुराड़ी में हिंदू महापंचायत के लिए जो अनुमति दी गई थी उसे खारिज कर दिया गया था. रंगनानी के अनुसार बुराड़ी ग्राउंड की भूस्वामी अथॉरिटी यानी दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने इस क्षेत्र में चल रहे निर्माण के कारण हिंदू महापंचायत के आयोजन लिए मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.

दिल्ली पुलिस ने कहा था कि आयोजन की अनुमति को खारिज कर दिया गया था, इससे पहले ही आयोजकों में से एक ने 31 मार्च को क्विंट को बताया था कि भले ही पुलिस इसके लिए अनुमति नहीं दे लेकिन यह आयोजन होगा.

सेव इंडिया फाउंडेशन के एक प्रमुख पदाधिकारी और 'हिंदू महापंचायत' के आयोजकों में से एक अरविंद त्यागी ने कहा था कि "इस आयोजन को कैसे रद्द किया जा सकता है? लोगों ने इस कार्यक्रम में आने के लिए व्यवस्था कर ली है. इसलिए, भले ही पुलिस इस आयोजन की अनुमति देने से मना कर दे लेकिन फिर भी यह कार्यक्रम होगा."

और वाकई में जब यह रिपोर्टर 3 अप्रैल को कार्यक्रम स्थल पर लगभग सुबह 9:30 बजे पहुंचा तब वहां पहले से ही कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा एक बड़ा मंच और पूरे क्षेत्र में बडे़ पैमाने पर शामियाना लगाया गया था. इसके साथ ही कार्यक्रम स्थल पर कई पुलिस वाहन और पुलिस कर्मी मौजूद थे.

कार्यक्रम स्थल पर हिंदू महापंचायत के आयोजन की अनुमति न देने के बावजूद पुलिस ने इस आयोजन को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया.

इस आयोजन के आयोजक (सेव इंडिया फाउंडेशन (SIF) और इसके अध्यक्ष प्रीत सिंह) ने अपने कार्यक्रम को जारी रखा. यह एक संयोग ही है कि प्रीत सिंह उस समय अगस्त 2021 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर हेट स्पीच के एक मामले में जमानत पर बाहर थे.

इस आयोजन के दौरान हिंदुत्व की भीड़ ने इस रिपोर्टर के साथ-साथ अन्य कई पत्रकारों पर हमला किया और उनके साथ मारपीट की थी, जिसको लेकर सोशल मीडिया में काफी नाराजगी व्यक्त की गई थी. उसके बाद दिल्ली पुलिस ने इस आयोजन से संबंधित कम से कम तीन FIR दर्ज की.

दो FIR पत्रकारों से संबंधित हैं, जिसमें कहा गया है कि महापंचायत में उपस्थित लोगों की भीड़ द्वारा उन पर शारीरिक हमला किया गया और उनके साथ मारपीट की गई.

तीसरी FIR हिंदुत्व नेता यति नरसिंहानंद और सुदर्शन न्यूज के संपादक सुरेश चव्हाणके सहित इस कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा दिए गए मुस्लिम विरोधी नफरती भाषणों से संबंधित थी. एफआईआर में आईपीसी की धारा 188 और 153ए के तहत मामला दर्ज किया था. धारा 188 लोक सेवक के आदेश का उल्लंघन करने पर लगाई जाती है. जबकि धारा 153ए तब लगाई जाती है कि जब धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का कृत्य किया जाता है. संयोग से इस कार्यक्रम के दौरान नरसिंहानंद की हेट स्पीच ने हरिद्वार धर्म संसद के हेट स्पीच के मामले में उनकी जमानत शर्तों का भी उल्लंघन किया था.

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हालांकि, बुराड़ी की घटना को घटित हुए छह महीने से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अब तक नरसिंहानंद या चव्हाणके के खिलाफ हेट स्पीच मामले में कार्रवाई नहीं की गई है.

इतना ही नहीं ये दोनों लगातार बिना किसी रोक-टोक के भड़काऊ भाषण देते रहते हैं. उदाहरण के लिए 4 सितंबर 2022 को हिंदुत्व संगठन 'हिंदू इकोसिस्टम' द्वारा दिल्ली में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में चव्हाणके ने एंटी-मुस्लिम हेट स्पीच दी थी. अन्य सांप्रदायिक आरोपों के बीच चव्हाणके ने इस कार्यक्रम में फिर से उसी 'यूपीएससी जिहाद' का मुस्लिम विरोधी राग अलापा, जिस पर उन्होंने पहले अपने चैनल सुदर्शन न्यूज पर कई एपिसोड प्रसारित किए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर 2020 को अपने आदेश में कहा था कि सुदर्शन न्यूज कोर्ट के अगले आदेश तक संपादक सुरेश चव्हाणके के 'यूपीएससी जिहाद' (या इसी तरह की किसी भी अन्य सामग्री) को शो के किसी भी एपिसोड को आगे प्रसारित नहीं कर सकता है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि "इस बिंदु पर, प्रथम दृष्टया, अदालत को यह प्रतीत होता है कि शो के प्रसारण का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना है. इसमें कई बयान स्पष्ट तौर पर गलत हैं."

जस्टिस चंद्रचूड़ ने आदेश सुनाते हुए कहा था कि "किसी समुदाय को बदनाम करने के किसी भी प्रयास को इस अदालत द्वारा संवैधानिक मूल्यों के रक्षक के तौर पर अनादर के साथ देखा जाना चाहिए."

बुराड़ी में आयोजित कार्यक्रम के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा भड़काऊ भाषण को लेकर एक एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन अभी तक उस मामले में एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. वहीं बदरपुर की घटना के लिए कोई पुलिस कार्रवाई नहीं हुई, यहां तक कि FIR तक नहीं हुई है.

बुराड़ी में हिंदू महापंचायत और बदरपुर में हिंदू इकोसिस्टम घटना जैसे कार्यक्रमों में भड़काऊ भाषण के बाद गिरफ्तारी नहीं होने या कार्रवाई में कमी होने से क्या हिंदुत्व नेताओं को इस तरह की और भी सभाओं को आयोजित करने और इस तरह के और ज्यादा नफरती भड़काऊ भाषण देने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिलता है?

विराट हिंदू सभा का कार्यक्रम : स्पष्ट तौर पर अभद्र भाषा, दिल्ली दंगों में भूमिका की स्वीकृति, लेकिन FIR किस लिए हुई?

दिल्ली के दिलशाद गार्डन में 9 अक्टूबर 2022 को 'विराट हिंदू सभा' ​​नामक एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बीजेपी नेताओं (बीजेपी सांसद भी) और हिंदुत्वा नेताओं ने कई नफरती भाषण दिए.

"दादरी में एक सुअर मारा जाता है काटने वाला अखलाक, तो वहां सारे के सारे राहुल गांधी से लेकर अखिलेश और अरविंद केजरीवाल ऐसे रोते हैं जैसे दमाद मर गया हो."

ये शब्द उत्तर प्रदेश के लोनी से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर हैं. जो उन्होंने विराट हिंदू सभा में अपने भाषण के दौरान इस्तेमाल किए थे.

गुर्जर ने 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के बारे कहा कि "दिल्ली दंगों के दौरान हम पर 2500 लोगों के साथ दिल्ली में घुसने का आरोप लगाया गया था. हम पर जिहादियों को मारने का आरोप लगाते हुए पुलिस ने मामले दर्ज किए. हम जिहादियों को मारेंगे, हम हमेशा जिहादियों को मारेंगे, लेकिन हम उन लोगों को नहीं मारेंगे जो भारत माता की जय कहते हैं और यह मानते हैं कि भगवान श्री राम उनके पूर्वज हैं."

उसके बाद पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद और बार-बार हेट स्पीच देने वाले परवेश वर्मा आए. जिन्होंने सभा में मौजूद लोगों से एक समुदाय का पूरी तरह से बहिष्कार करने का आग्रह किया. परवेश वर्मा ने कहा "जहां-जहां भी ये आपको दिखाई दें. मैं कहता हूं कि अगर आपको इनका दिमाग ठीक करना है, इनकी तबियत ठीक करना है तो एक ही इलाज है तो वह है इनका संपूर्ण बहिष्कार. मेरे साथ बोलिए हम इनका संपूर्ण बहिष्कार करेंगे. हम इनकी दुकान, रेहडियों से कोई समान नहीं खरीदेंगे. हम इनको कोई मजदूरी नहीं देंगे."

इस कार्यक्रम में हिंसा का भी आह्वान किया गया. हिंदुत्व नेता योगेश्वर आचार्य ने भीड़ को समझाते हुए कहा कि "उनके पास सिर्फ एक नहीं है, उनके पास कई हैं. वे 14 शादियां करना चाहते हैं और 40 बच्चों को जन्म देना चाहते हैं. इस तरह की गतिविधियों पर हमें ध्यान देना चाहिए, उनकी पहचान करनी चाहिए और उन्हें एक-एक करके खत्म करना चाहिए."

इन नफरती भाषणों और हिंसा के सार्वजनिक आह्वान पर दिल्ली पुलिस ने क्या कार्रवाई की?

पुलिस से अनुमति नहीं लेने पर आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक के आदेश का उल्लंघन) के तहत पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ FIR दर्ज की है.

9 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर हेट स्पीच के वीडियो प्रसारित होने के बाद, इंडियन एक्सप्रेस को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि "हम फुटेज का विश्लेषण कर रहे हैं. हमें रामलीला मैदान, दिलशाद गार्डन में कार्यक्रम के बारे में शिकायतें मिली हैं. हम मामले की जांच कर रहे हैं."

इस सभा के दौरान जो हेट स्पीच दी गईं और हिंसा के लिए उकसाने वाला आह्वान किया गया, क्या पुलिस उस कंटेंट को FIR दर्ज करने और गिरफ्तारी करने के योग्य नहीं मानती है?

पिछले कुछ वर्षों में हमारे सामने ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिन्हें देखते हुए अब हिंदुत्व के भड़काऊ भाषण या हेट स्पीट के मामलों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई (या उसके अभाव) के पैटर्न को समझना मुश्किल नहीं है.

यदि आपने इस आर्टिकल को यहां तक पढ़ा है, तो आप भी निश्चित तौर पर इसे समझ सकते हैं.

ऊपर जिन मामलों को लेकर बताया गया है उन पर क्या एक्शन लिया गया है इस संबंध में पुलिस की प्रतिक्रिया जानने के लिए क्विंट ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया है. जब वे कोई प्रतिक्रिया या जवाब देते हैं तब इस आर्टिकल को उनकी प्रतिक्रिया के साथ अपडेट किया जाएगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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