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इसरो चीफ के. सिवन ने रविवार को चंद्रयान-2 से जुड़ी अहम खबर दी है. सिवन ने बताया कि चांद की सतह पर लैंडर 'विक्रम' की लोकेशन का पता चल गया है. उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर ने विक्रम की थर्मल इमेज भी क्लिक की है, लेकिन अब तक उससे संपर्क नहीं हो सका है.
चंद्रयान-2 से जुड़ा हर अपडेट आप इस लाइव ब्लॉग में देख सकते हैं.
भारत का महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर देश का सबसे ज्यादा ट्रेंड करने वाला हैशटैग बन गया है. एक नए शोध में मंगलवार को पता चला है कि 1 से 9 सितंबर के बीच इसके साथ 67,544 ट्वीट्स किए गए.
ऑनलाइन विजिबिल्टी मैनेजमेंट कंपनी सैमरश के कम्यूनिकेशन हेड फर्नाडो अंगुलो ने कहा, "इसरो पर भारतीयों ने बहुत रुचि दिखाई है. मिशन को लेकर अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए लोग ट्विटर का सहारा लेते हैं. यह देखना बहुत रोचक है कि उम्मीदों के मुताबिक परिणाम नहीं मिलने के बाद भी लोगों की प्रतिक्रिया सकारात्मक और तटस्थ रही है."
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगलवार को एक बार फिर कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने मून लैंडर विक्रम का पता लगा लिया है. इसरो ने ट्वीट किया, "चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर का पता लगा लिया है, लेकिन अभी तक उससे संपर्क नहीं हो सका है."
इसरो ने कहा, "लैंडर से संपर्क करने की हर संभव कोशिश की जा रही है." इसरो ने हालांकि यह नहीं बताया कि चांद की सतह पर लैंडर इस समय किसी स्थिति में है.
केंद्रीय उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि भारत ने अपने चंद्रमा मिशन प्रयासों से इतिहास बनाया है और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है. सरकार के 100 दिनों का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कौर ने कहा, "बिना किसी विदेशी सहायता के हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा की सतह पर उतारने का प्रयत्न किया. यह कुछ ऐसा है, जिस पर हमें गर्व है."
इसरो ने सोमवार को इस बात को साफ किया है कि इसरो प्रमुख के. सिवन का सोशल मीडिया पर किसी प्रकार का कोई अकाउंट नहीं है. इसरो ने ट्वीट कर कहा, "सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कैलासवादिवु सिवन के नाम से कई अकाउंट्स हैं. यह साफ किया जाता है कि इसरो के प्रमुख डॉ. के. सिवन का इस प्रकार से कोई व्यक्तिगत अकाउंट नहीं है."
पाकिस्तान की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री नामिरा सलीम ने चंद्रयान-2 मिशन पर भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दी है. नामिरा ने चंद्रमा पर लैंडिंग करने के भारत एजेंसी के ऐतिहासिक प्रयास की सराहना की है.
कराची में छपने वाली साइंस मैगजीन साइंटिया में छपे एक बयान में नामिरा ने कहा, "मैं भारत और इसरो को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर के द्वारा सॉफ्ट लैंडिंग का ऐतिहासिक प्रयास किए जाने पर बधाई देती हूं."
चांद पर ‘हार्ड लैंडिंग’ के बावजूद चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ टूटा नहीं है. ISRO के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. इस अधिकारी के मुताबिक, विक्रम चांद पर टेढ़ी स्थिति में है. हालांकि अभी तक उससे संपर्क नहीं हुआ है.
ISRO चीफ के. सिवन ने कहा है कि उन्हें चांद की सतह पर लैंडर 'विक्रम' की लोकेशन का पता चल गया है. सिवन ने कहा कि आर्बिटर ने विक्रम की थर्मल फोटो ली है, लेकिन उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया है.
इसरो चीफ के. सिवन ने कहा, “ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल के लिए डिजाइन किया गया था. लेकिन क्योंकि अभी हमारे पास ऑर्बिटर में एक्स्ट्रा फ्यूल है, इसलिए ऑर्बिटर के जीवन का अनुमान 7.5 साल है.”
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने कहा, मिशन के हर फेज की सफलता के लिए सफलता का मानक तय किया गया था. अब तक मिशन के 90 से 95 फीसदी उद्देश्यों को हासिल कर लिया गया है. लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद, लूनर साइंस में काम जारी रखा जाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी जब इसरो कंट्रोल सेंटर से निकल रहे थे तो उन्हें विदा देने आए इसरो चीफ के सिवन भावुक हो गए. इस दौरान पीएम मोदी उन्हें हौसला देते नजर आए.
प्रधानमंत्री मोदी ने बेंगलुरू स्थित इसरो सेंटर में अपने संबोधन में कहा ‘आज भले ही रुकावटें आई हों. लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा. बल्कि और मजबूत हुआ है. आज हमारे रास्ते में भले ही आखिरी कदम पर रुकावट आई हो. लेकिन इससे हम मंजिल से नहीं डिगे हैं.’
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा, ‘चंद्रयान की यात्रा शानदार रही. पूरा देश सफर में कई बार गर्व से भरा है. इस वक्त भी हमारा आर्बिटर चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है. इस मिशन के दौरान मैं देश-विदेश जहां भी रहा, वहां से इसकी जानकारी लेता था.
इसरो के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “देश को आप पर गर्व है. मैं पूरी तरह वैज्ञानिकों के साथ हूं. अपना हौसला बनाए रखिए. जीवन में उतार चढ़ाव आता रहता है.”
इसरो चीफ के सिवन ने बताया कि ‘विक्रम’ लैंडर से संपर्क टूट गया है, जिस वजह से कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है.
लैंडर 'विक्रम' का चांद की सतह पर उतरने का काउंटडाउन शुरू हो गया है. रात 1:37 बजे लैंडर का चांद पर उतरने का प्रोसेस शुरू होगा. इसके बाद 1:53 बजे लैंडर चांद को छू सकता है.
चांद पर पहुंचने की भारत दूसरी मुहिम शनिवार 7 सितंबर को सुबह करीब 2 बजे तक पूरी हो जाएगी. प्रज्ञान चांद की सतह पर सिर्फ 1 सेंटीमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चल पाएगा. इस तरह प्रज्ञान 14 दिन में सिर्फ 500 मीटर तक ही चल पाएगा. इस पूरी खबर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
चंद्रयान-2 मिशन का हिस्सा रह चुके साइंटिस्ट निर्भय कुमार उपाध्याय ने कहा, "चंद्रयान 2 के लिए काम करने का अनुभव बहुत ही अच्छा था, सीनियर्स बहुत मददगार हैं. ये सीखने का एक शानदार अनुभव था, हम बहुत उत्साहित हैं. कल, हम सुनेंगे कि भारत ने इतिहास बनाया है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेंगलुरु एयरपोर्ट पहुंच गए हैं. कर्नाटक मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा उन्हें एयरपोर्ट पर रिसीव करने पहुंचे. यहां से पीएम अब बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय जाएंगे. वह उपग्रह नियंत्रण केंद्र (एससीसी), इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से इस अद्भुत पल को देखेंगे.
भारत के चंद्र लैंडर विक्रम की चांद पर सफल लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए तमिलनाडु में तंजावुर जिले के चंद्रनार मंदिर में विशेष प्रार्थना की गई. चंद्रनार/श्री कैलाशनाथन मंदिर के प्रबंधक वी. कनन ने कहा, "हमने चंद्रन का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शुक्रवार शाम को एक विशेष 'अभिषेकम' और 'अर्चना' की."
इसरो चंद्रयान-2 को चांद की सतह पर लैंड कराने के बाद इतिहास रचने जा रहा है. पीएम मोदी इस एतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए रात 1 बजे बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय पहुंचेंगे.
लैंडर विक्रम को चांद की कक्षा से सबसे नजदीकी सतह पर उतरना है, जो करीब 35 किलोमीटर की ऊंचाई पर है. विक्रम की सफलता पूर्वक लैंडिंग के लिए अगले 15 मिनट का जो सबसे जरूरी पड़ाव हैं, उसका कुछ इस तरह गुजरना जरूरी है-
भारत के मून लैंडर-विक्रम की चांद पर सफल लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए तमिलनाडु के तंजावुर जिला स्थित चंद्रनार मंदिर में विशेष पूजा की जाएगी. एक अधिकारी ने बताया कि इसके लिए मंदिर में पूर्जा-अर्चना कर चंद्रमा भगवान का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त किया जाएगा.
चंद्रनार/श्री कैलाशनाथन मंदिर के प्रबंधक वी. कन्नन ने कहा, "हम चंद्रन के दिव्य आशीर्वाद के लिए शुक्रवार शाम को एक विशेष 'अभिषेकम' और 'अर्चनाई' करेंगे." उन्होंने कहा कि 2008 में चंद्रयान-1 मिशन की सफलता के लिए भी एक विशेष पूजा आयोजित की गई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेंगलुरु के इसरो केंद्र से भारत के अंतरिक्ष इतिहास में शानदार पल का गवाह बनेंगे. इसके लिए पीएम मोदी आज रात 9:30 बजे बेंगलुरु के येलहंका एयर फोर्स स्टेशन पहुंचेंगे.
चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम. वनिता के सहपाठी उन्हें सम्मानित करने के लिए इस साल एक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. सीएसजी इंटरनेशनल के डायरेक्टर जवाहर सभापति ने बताया, "हम वनिता को सम्मानित करने के लिए एक छोटा-सा कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं. हम सभी को उन पर गर्व है. वह लोगों से कम ही मिलती हैं, मगर मुझे उम्मीद है कि वह हमारे प्रस्ताव पर सहमत होंगी."
वनिता भारत के अंतरग्रही मिशन की पहली महिला प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. उन्होंने यहां के इंजीनियरिंग कॉलेज गिंडी से पढ़ाई की है.
ISRO के चेयरमैन के. सिवन ने मिशन चंद्रयान-2 को लेकर कहा, "हम एक ऐसी जगह पर उतरने जा रहे हैं, जहां पहले कोई नहीं पहुंचा है. हम सॉफ्ट लैंडिंग के बारे में आश्वस्त हैं. हम रात होने का इंतजार कर रहे हैं.”
मिशन चंद्रयान-2 का लैंडर 'विक्रम' चांद की सतह पर उतरने से पहले इसरो से संपर्क टूट गया. इसरो के मुताबिक, रात 1:37 बजे लैंडर की चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. लेकिन करीब 2 किमी ऊपर संपर्क टूट गया. हालांकि मिशन के असफल होने अभी इसरो की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है.
इसरो को अगर चांद पर 'विक्रम' की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता मिलती है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा और चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा.
लैंडर के चांद पर उतरने के बाद 7 सितंबर की सुबह 5:30 बजे से 6:30 बजे के बीच इसके भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकलेगा और अपने वैज्ञानिक प्रयोग शुरू करेगा. रोवर ‘प्रज्ञान’एक चंद्र दिन (पृथ्वी के 14 दिन) तक काम करेगा.
लैंडर ‘विक्रम’ को 6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात 1 बजे से 2 बजे के बीच चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया की जाएगी और यह रात 1:30 से 2:30 बजे के बीच चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा.
‘सॉफ्ट लैंडिंग' में लैंडर को आराम से धीरे-धीरे सतह पर उतारा जाता है, जिससे लैंडर, रोवर और उनके साथ लगे उपकरण सुरक्षित रहें.
इसरो चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर को लगभग 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश में दो गड्ढों ‘मैंजिनस सी’ और ‘सिंपेलियस एन’ के बीच एक ऊंचे मैदानी इलाके में उतारने की कोशिश करेगा.
ये भी देखें- चंद्रयान-2 लैंडिंग: PM के साथ ये छात्र बनेंगे ऐतिहासिक पल के गवाह
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