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Supertech Twin Tower गिरने से ₹500 करोड़ का घाटा,बिल्डर ने डेमोलिशन पर क्या कहा?

Supertech ने कहा कि इन दो टावरों के विध्वंस से उसके अन्य रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर कोई असर नहीं पड़ेगा

आशुतोष कुमार सिंह
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Supertech Twin Tower गिरने से ₹500 करोड़ का घाटा,बिल्डर ने डेमोलिशन पर क्या कहा?</p></div>
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Supertech Twin Tower गिरने से ₹500 करोड़ का घाटा,बिल्डर ने डेमोलिशन पर क्या कहा?

(फोटो-क्विंट)

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Supertech Noida Towers Demolition: जिस दिन पूरे देश की नजर नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर के गिराए जाने पर थी, उस दिन सुपरटेक ने बयान जारी कर दावा किया कि ट्विन टावर्स का निर्माण नोएडा विकास अधिकारियों द्वारा पास किए गए बिल्डिंग प्लान के अनुसार ही किया गया था और कंपनी उससे भटकी नहीं. न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कंपनी के चेयरमैन आर के अरोड़ा ने रविवार, 28 अगस्त को कहा कि सुपरटेक लिमिटेड को ट्विन टावर के गिराए जाने के कारण निर्माण और ब्याज लागत सहित लगभग 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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"हमारा टोटल नुकसान लगभग 500 करोड़ रुपये है. इसमें अन्य खर्चों के साथ भूमि और कंस्ट्रक्शन पर खर्च राशि, अप्रूवल के लिए अधिकारियों को भुगतान की गई फीस, वर्षों से बैंकों को भुगतान किए गए ब्याज और खरीदारों को वापस भुगतान किए गए 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसे शामिल हैं "
आर के अरोड़ा, चेयरमैन , सुपरटेक

हमने कानूनों का सख्ती से पालन किया- बयान में सुपरटेक

साथ ही सुपरटेक ने कहा कि इन दो टावरों के विध्वंस से उसकी अन्य रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर कोई असर नहीं पड़ेगा, उसने अबतक खरीददारों को 70 हजार फ्लैट्स बनाकर दिए हैं और आगे भी तय समय से फ्लैट खरीदारों को दिए जायेंगे.

अवैध सुपरटेक ट्विन टावर को ढाहने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सम्मानित बताते हुए सुपरटेक फर्म ने गलत काम करने का सारा दोष नोएडा प्राधिकरण पर लगाया. बयान में कहा गया कि प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान को नोएडा अथॉरिटी ने 2009 में पारित किया था और उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा बिल्डिंग से जुड़े सभी बाईलॉ का सख्ती से पालन किया गया था.

"लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी आधार पर कंस्ट्रक्शन को संतोषजनक नहीं पाया और डेमोलिशन के आदेश जारी किए. मुंबई स्थित एडिफिस इंजीनियरिंग, दक्षिण अफ्रीकी के अपने पार्टनर फर्म जेट डिमोलिशन के साथ, एक 'नियंत्रित विस्फोट' में संरचनाओं को नीचे लाएगी. दोनों टावरों में करीब 3,700 किलोग्राम विस्फोटक डाला गया है."

कंपनी के आखिर में लिखा कि "हमने होमबॉयर्स को 70,000 से अधिक यूनिट्स की डिलीवरी पूरी कर दी है और तय समय सीमा के अनुसार बाकी के होमबॉयर्स को डिलीवरी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम अपने सभी घर खरीदारों को आश्वस्त करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का किसी भी अन्य चल रहे प्रोजेक्ट को प्रभावित नहीं करेगा और अन्य सभी प्रोजेक्ट जारी रहेंगे."

 टावर गिराने के लिए 17.5 करोड़ दे रही कंपनी- सुपरटेक के चेयरमैन 

ट्विन टावर को गिराए जाने की लागत के बारे में पूछे जाने पर, चेयरमैन अरोड़ा ने कहा कि सुपरटेक डेमोलिशन कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को 17.5 करोड़ रुपये का भुगतान कर रहा है. एडिफिस इंजीनियरिंग को 100 करोड़ रुपये के बीमा कवर के लिए प्रीमियम राशि सहित ट्विन टावर को सुरक्षित रूप से गिराने का काम सौंपा गया था.

सुपरटेक कंपनी को कितने करोड़ का नुकसान हुआ?

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार प्रॉपर्टी कंसल्टेंट कंपनी एनारॉक के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार ने बताया है कि इन दोनों टावरों में 900 से ज्यादा अपार्टमेंट की मौजूदा कीमत 700 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी.

2009 में लॉन्च किए गए दो टावरों में 1 BHK स्टूडियो अपार्टमेंट के साथ-साथ 1,050-1,475 वर्ग फुट के आकार के 2 और 3 BHK फ्लैट शामिल थे. प्रोजेक्ट को 3,200 रुपये प्रति वर्ग फुट पर शुरू किया गया था. लेकिन 2012 में कीमत को संशोधित कर 5,200 रुपये प्रति वर्ग फुट कर दिया गया था जब मंजिलों की संख्या 40 हो गई थी. संतोष कुमार ने कहा कि इस स्थान पर अपार्टमेंट की मौजूदा मार्केट रेट 8,500-9,500 रुपये प्रति वर्ग फुट है.

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