सुपरटेक (Supertech) द्वारा नियमों का उल्लंघन कर खड़े किए गए दो ट्विन टावर (Twin Towers) को अब ध्वस्त करने का समय नजदीक आ गया है. लेकिन सवाल यह है कि इन ट्विन टावर को गिराने के बाद खाली होने वाली जमीन का क्या होगा? जिस जमीन पर ट्विन टावर बनाया गया था उसे किस इस्तेमाल में लिया जाएगा?
मामला साल 2009 में हुआ, जब सुपरटेक ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलीभगत कर ट्विन टावर का निर्माण शुरू किया. ये T-16 और T-17 (Apex और Ceyane) टावर थे.
लेकिन वहां स्थित रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) ने विरोध करना शुरू कर दिया. RWA का मानना था ये दो बड़े टावर ठीक उनकी सोसाइटी के सामने खड़े किए जा रहे थे. उनका कहना था इस क्षेत्र को नोएडा प्राधिकरण ने ग्रीन बेल्ट बताया था. मसलन वहां इस तरह का निर्माण नहीं हो सकता.
क्विंट से बातचीत में याचिकाकर्ता RWA के जनरल सेक्रेट्री पंकज वर्मा ने बताया था कि, "यहां के प्रोजेक्ट के शुरुआती प्लान में ये बिल्डिंग कभी थी ही नहीं, ये तो ग्रीन एरिया था. जिस पर टावर खड़े कर दिए गए. इसीलिए हमने तय किया कि हम इसके लिए लड़ाई लड़ेंगे.''
28 अगस्त को ये दोनों टावरों को गिरा दिया जाएगा, लेकिन फिर उस जमीन का क्या होगा. इस पर सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट के प्रिंसिपल आर्किटेक्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपर्ट दिक्षु कुकरेजा ने क्विंट से बातचीत "तकनीकी या कानूनी दृष्टि से देखे तो कंपनी ने जो इनिशियल मास्टरप्लान बनाया था जो घर खरीदारों या नोएडा प्राधिकरण के साथ शेयर हुआ था उसमें जो बताया गया था वही इस एरिया में लागू होना चाहिए."
मेरी जानकारी में इस इलाके को ग्रीन बता कर और खुला स्पेस रखने का तय किया गया था. क्योंकि आसपास का इलाका काफी घना है. यहां एक ऐसा पार्क भी बनाया जा सकता है, जिसमें ऐसे संदेशों के साथ कुछ बनाया जा सकता है जो इस जगह की महत्ता को समझा सके और आने वाली पीढ़ी को अच्छा संदेश दे सके.दिक्षु कुकरेजा, प्रिंसिपल आर्किटेक्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपर्ट
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