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उत्तर प्रदेश (UP) समेत पांच राज्यों में चुनाव खत्म हो चुका है, नतीजे अगले पांच साल के लिए जनादेश स्पष्ट कर चुके हैं. लेकिन भारत में चुनाव कहां खत्म होता है एक चुनाव समाप्त तो अगले की तैयारी. देखिए अभी से 2024 के चुनाव की बातें चल पड़ी हैं और राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव की रेस में कौन जीतेगा, अब ये बड़ा सवाल हो चला है, जिसका जवाब किसी के पास नहीं है. लेकिन एक बात लगभग सब मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में यूपी का बहुत बड़ा रोल रहने वाला है. कहते हैं कि जिसने यूपी जीता, दिल्ली उसकी.
यूपी में कुल 403 विधानसभा और 80 लोकसभा सीटें हैं. समाजवादी पार्टी और बीजेपी ने कई दलों के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा था. जो लोकसभा में साथ रह सकता है. फिलहाल बीजेपी गठबंधन के पास 273 सीटें हैं और एसपी गठबंधन ने 125 सीटों पर जीत दर्ज की है. इसके अलावा बीएसपी को एक और कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली है. अगर यही नतीजे 2024 में भी रहे तो एसपी को अच्छा खासा फायदा हो सकता है और उनका गठबंधन लोकसभा चुनाव में एक चौथाई सीटों पर जीत दर्ज कर सकता है.
समाजवादी पार्टी को यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 में 32 प्रतिशत वोट मिले हैं जबकि एसपी के गठबंधन को 36 फीसदी वोट मिले हैं. दूसरी ओर बीजेपी को 41.29 प्रतिशत वोट मिले हैं, और उनके गठबंधन को करीब 45 फीसदी वोट मिले हैं. अब मजे की बात ये है कि एसपी और बीजेपी दोनों को ही वोटों के लिहाज से 2017 के मुकाबले फायदा हुआ है. एसपी को जरा ज्यादा फायदा पहुंचा है. जबकि बीएसपी और कांग्रेस का वोट शेयर काफ कम हुआ है.
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को 51 प्रतिशत वोट मिले थे और उन्हें 64 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि एसपी गठबंधन ने 15 सीटें जीती थी और उन्हें 39.23 फीसदी वोट मिला था. लेकिन इस बार गठबंधनों की तस्वीर भी बदल गई है. पहले एसबीएसपी के ओपी राजभर बीजेपी के साथ थे जो अब अखिलेश यादव की एसपी के साथ गठबंधन में हैं. उधर एसपी के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी भी गठबंधन में थी जो अब अकेले हैं. जो एसपी के साथ गठबंधन में 10 सीटें जीती थी और एसपी 5 पर ही जीत पाई थी.
इसीलिए 2017 के मुकाबले 2022 में एसपी और बीजेपी दोनों को मत प्रतिशत के लिहाज से जो फायदा हो रहा है उसका सीधा असर 2024 के चुनाव पर पड़ता दिख रहा है कि एसपी को अच्छा खासा फायदा पहुंच रहा है क्योंकि बीजेपी भले ही ना घटी हो लेकिन कांग्रेस और बीएसपी नीचे गई हैं जिसका फायदा समाजवादी पार्टी को हो रहा है. हालांकि कुछ ऐसी भी सीटें हैं जो बीजेपी के पास है लेकिन वहां एसपी ने खुद को काफी मजबूत किया है.
एसपी ने कई लोकसभा सीटों पर अपनी स्थिति बेहतर की है. उदाहरण के तौर पर बदायूं लोकसभा सीट को ही ले लीजिए जहां एसपी ने अपना स्थिति मजबूत की है. जबकि ये सीट अभी बीजेपी के पास है. बांदा लोकसभा सीट पर भी एसपी एसपी आगे दिख रही है. बीजेपी के पास बाराबंकी लोकसभा सीट भी ऐसी ही सीट है जहां एसपी बढ़त में दिख रही है. जबकि पूर्वांचल की बलिया, बस्ती और भदोही में भी एसपी गठबंधन आगे दिख रहा है.
अगर 2022 के विधानसभा चुनाव नतीजे ही 2024 में दोहराते हैं तो कांग्रेस और बीएसपी दोनों का ही खाता खुलना मुश्किल है. क्योंकि विधानसभावार नतीजों में रायबरेली पर भी एसपी आगे निकल गई है जो फिलहाल कांग्रेस के पास यूपी में इकलौती लोकसभा सीट है.
एसपी के साथ गठबंधन करके 10 लोकसभा सीटों पर जीतने वाली मायावती की बीएसपी को बड़ा नुकसान होता दिख रहा है. पूर्वांचल की अंबेडकरनगर, लालगंज, घोसी, गाजीपुर और जौनपुर लोकसभा सीट पर एसपी आगे दिख रही है.
बीजेपी ने प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की है लेकिन एसपी के साथ सीधे मुकाबले ने चुनौती बढ़ा दी है क्योंकि 2019 के मुकाबले 6 फीसदी बीजेपी गठबंधन का मत प्रतिशत घटा है. इस बार 305 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और एसपी का सीधा मुकाबला हुआ है. जिनमें से 206 सीटें बीजेपी ने जीती हैं. 2017 में बीजेपी की जीत का औसत अंतर 29 हजार से ज्यादा था, जो अब घटकर 28 हजार रह गया है. जबकि 2017 में एसपी की जीत का औसत अंतर करीब 14 हजार था जो 2022 में बढ़कर 17 हजार के पार चला गया है.
ये लोकसभा सीट अभी बीएसपी के पास है. बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं. पुरकाजी, मीरापुर, बिजनौर, चांदपुर और हस्तिनापुर.
इनमें से पुरकाजी, मीरापुर और चांदपुर विधानसभा सीटों पर एसपी गठबंधन ने जीत दर्ज की है जबकि हस्तिनापुर और बिजनौर विधानसभा सीट पर बीजेपी जीती है. अगर यही नतीजे 2024 के लोकसभा चुनाव में तब्दील होते हैं तो सीधे तौर पर एसपी को फायदा होता दिख रहा है.
कौशांबी लोकसभा सीट पर 2019 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. यहां 5 विधानसभा सीटें पड़ती हैं, बाबागंज, कुंडा, सिराथू, मांझनपुर और चैल.
इनमें से बाबागंज, सिराथू, चैल और मांझनपुर में एसपी गठबंधन ने जीत दर्ज की है, जबकि यहां बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली है. एक बची कुंडा विधानसभा सीट पर राजा भैया अपनी अलग पार्टी से जीते हैं.
बाराबंकी लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें आती हैं. ये सीट अभी भारतीय जनता पार्टी के पास है. कुर्सी, राम नगर, बाराबंकी, जैदपुर और हैदरगढ़ विधानसभा सीटें बाराबंकी लोकसभा में आती हैं.
इनमें से राम नगर, बाराबंकी, और जैदपुर विधानसभा सीटों पर समाजवादी गठबंधन ने जीत दर्ज की है. इसके अलावा कुर्सी और हैदरगढ़ विधानसभा सीटों पर बीजेपी जीती है. यहीं आंकड़े अगर 2024 लोकसभी में बदले तो एसपी को सीधा फायदा होता दिख रहा है.
इसी तरह जब हमने लोकसभावार विधानसभा नतीजों की समीक्षा की तो पाया कि 23 ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां अखिलेश यादव की अगुवाई वाले एसपी गठबंधन को बढ़त हासिल है. जिनके नाम हैं-
सहारनपुर
कैराना
मुजफ्फरनगर
बिजनौर
नगीना
मुरादाबाद
रामपुर
संभल
मैनपुरी
बदायूं
रायबरेली
बांदा
कौशांबी
बाराबंकी
अंबेडकरनगर
बस्ती
लालगंज
आजमगढ़
घोसी
बलिया
जौनपुर
गाजीपुर
भदोही
इसके अलावा कुछ ऐसी भी सीटें हैं जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी गठबंधन ने जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार बीजेपी गठबंधन भारी पड़ रहा है. उदाहरण के लिए अमरोहा लोकसभा सीट को ही लीजिए यहां भी पांच विधानसभा सीटें हैं जिनमें धनौरा, नौगावां सादात, अमरोहा, हसनपुर और गढ़मुक्तेश्वर शामिल हैं.
इनमें से धनौरा, हसनपुर और गढ़मुक्तेशवर में बीजेपी ने जीत दर्ज की है. जबकि अमरोहा और नौगावां सादात में समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की है. हालांकि ये सीट बीएसपी के पास है लेकिन 2019 में एसपी और बीएसपी ने गठबंधन में चुनाव लड़कर अमरोहा लोकसभा सीट पर जीत का झंडा गाड़ा था.
अगर ये विधानसभा चुनाव के नतीजे 2024 के लोकसभा में भी ऐसे ही रहते हैं तो समाजवादी पार्टी विपक्ष में एक बड़े प्लेयर के रूप में उभर सकती है क्योंकि जिस तरीके से ममता और केसीआर जैसे नेता एक गैर कांग्रेसी विकल्प बनाने की कोशिश कर रहे हैं उसमें अखिलेश यादव जैसे नेता बड़ा रोल अदा कर सकते हैं. और उनका बढ़ा वोट भी यही इशारा करता है. लेकिन ये भी ध्यान में रखना होगा कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं. और ये मात्र एक अंदाजा है असली परीक्षा मैदान में होनी है, उसी के नतीजे तय करेंगे कि किसका कद कितना बड़ा है.
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