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मध्यप्रदेश में सट्टा बाजार ने शिवराज चौहान के लिए खतरे की घंटी बजा दी हैं. 28 नवंबर को वोटिंग के बाद जो सट्टा भाव सामने आए हैं उसमें कांग्रेस को बहुमत के आसार दिख रहे हैं.
मध्यप्रदेश में 28 नवंबर की वोटिंग में 75 परसेंट से ज्यादा वोटिंग हुई है जो 2013 के मुकाबले 3 परसेंट ज्यादा है. इससे भी जानकार अंदाज लगा रहे हैं कि मध्यप्रदेश में एंटी इंकंबेंसी अपना असर दिखा सकती है.
सटोरियों के हिसाब से बीजेपी को 99 से 101 सीटें ही मिलने के आसार हैं. मतलब इन आंकड़ों के हिसाब से राज्य में बीजेपी की शिवराज सरकार जाती दिख रही है.
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सट्टा बाजार के रुख में वोटिंग के पहले और वोटिंग के बाद कोई खास बदलाव नहीं आया है. वोटिंग से हफ्तेभर पहले भी सटोरियों ने कांग्रेस को बहुमत मिलने की संभावना जताई थी. सट्टा बाजार के अनुमान के मुताबिक कहता है कि मध्य प्रदेश के कई मंत्री भी चुनाव हार सकते हैं.
जमीन से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक कांग्रेस पिछली बार के मुकाबले अपना प्रदर्शन सुधार रही है. महाकौशल के कई जिलों में जहां कांग्रेस की कोई सीट नहीं थीं वहां बीजेपी के साथ उसकी बराबरी की टक्कर बताई जा रही है.
सूत्रों के मुताबिक पुलिस के खुफिया विभाग ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें भी कांग्रेस को ही बहुमत मिलने के आसार बताए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक खासतौर पर ग्वालियर, भिंड, मुरैना, नीमच और झाबुआ में बीजेपी को बड़ा नुकसान होता दिख रहा है.
इसके अलावा शहरों के मुकाबले गांवों में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ ज्यादा रुझान नजर आया है जिसका कांग्रेस को फायदा हो सकता है.
इस चुनाव में वोटिंग के दिन तक कोई बड़ा मुद्दा नहीं दिख रहा था. लेकिन जानकारों के मुताबिक किसानों और छोटे व्यापारियों में नोटबंदी की वजह से शायद बीजेपी के खिलाफ गुस्सा था. जो सरकार के खिलाफ वोटों में दिख सकता है.
यानी वोटिंग खत्म होने के बाद सटोरियों और बीजेपी की आंतरिक रिपोर्ट दोनों का अनुमान है कि मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी के प्रबल आसार हैं. वैसे नतीजे तो 11 दिसंबर को ही आएंगे लेकिन जानकारों का मानना है कि टीवी या अखबार में आने वाले चुनावी सर्वे से ज्यादा सटीक रिपोर्ट सट्टा बाजार की ही होती है.
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Published: 29 Nov 2018,03:31 PM IST